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Shivaram Rajguru: काशी का पंडित जो क्रांतिकारी रघुनाथ के रूप में जाना गया
Shivaram Rajguru History: फांसी का फंदा चूमने वाले तीन वीरों में भगत सिंह और सुखदेव जहां पंजाब से थे वहीं राजगुरु महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार से थे लेकिन इनके जीवन का एक बड़ा समय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बीता था।
Shivaram Rajguru History: भारतीय क्रांति के इतिहास में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु अपना अलग स्थान रखते हैं। यह सही है कि तीनों को एक साथ फांसी दी गई थी। लेकिन राजगुरु के बारें में ज्यादा जानकारी लोगों को नहीं है या बहुत कम ही लोग उनके बारे में जानते हैं। देश की आजादी की लड़ाई में तीन धाराओं का महत्व रहा है ऐसा माना जाता है। जिसमें पहली धारा है सुभाषचन्द्र बोस की। जिन्होंने आजादी के लिए संगठनात्मक लड़ाई पर जोर दिया और लड़े। दूसरी धारा चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों की रही जिसमें अनगिनत वीरों ने अपने प्राणों की आहुतियां आजादी के यज्ञ कुंड में दीं। इसके अलावा एक तीसरी धारा भी थी वह थी महात्मा गांधी का अहिंसात्मक आंदोलन यह सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ क्योंकि इसमें हर नागरिक किसी न किसी रूप में शामिल हुआ। लेकिन इससे बोस और भगत सिंह की धारा के क्रांतिकारियों का महत्व कम नहीं होता है।
Shaheed Rajguru Biography In Hindi
एक साथ फांसी का फंदा चूमने वाले तीन वीरों में भगत सिंह और सुखदेव जहां पंजाब से थे वहीं राजगुरु महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार से थे लेकिन इनके जीवन का एक बड़ा समय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बीता था। महाराष्ट्र के जिस गांव में 24 अगस्त 1908 को इनका जन्म हुआ था उसका नाम खेड़ था, यह पुणे शहर का एक गांव था। इनके पिता का नाम हरिनारायण था। उन्होंने दो शादियां की थीं। उनके पहली पत्नी से छह संतानें थी और दूसरी पत्नी से पांच। राजगुरु पांचवें नंबर की संतान थे। मात्र छह वर्ष की अवस्था में पिता का निधन हो जाने के बाद इनका पालन पोषण बड़े भाई और मां ने किया।
Rajguru Education
गांव में आरंभिक शिक्षा के बाद विद्या अध्ययन के लिए राजगुरु बनारस आ गए। जहां इन्होंने संस्कृत आदि विषयों की पढ़ाई की। हिन्दू धर्म ग्रंथों का विषद अध्ययन किया। बनारस में इनकी गिनती ज्ञानी लोगों में होने लगी। अध्ययन के दौरान ही यह क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए। मात्र 16 साल की उम्र में राजगुरु ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन जो ज्वाइन कर लिया। इसके बाद राजगुरु चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव आदि क्रांतिकारियों के संपर्क में आगए। खास बात ये हैं कि क्रांतिकारियों के बीच ये रघुनाथ (Krantikari Raghunath) नाम से चर्चित थे।
चूंकि राजगुरु पढ़े लिखे थे वाणी से सौम्य थे इसलिए शुरुआत में वह संगठन के विस्तार के काम में जुट गए। इस दौरान राजगुरु ने लगभग पूरे देश पंजाब, लाहौर, कानपुर आगरा जैसे शहरों में प्रवास किया। काफी कम समय में राजगुरु, भगत सिंह के अच्छे मित्र बन गए। एक खास बात और राजगुरु बेहतरीन निशानेबाज भी थे।
Bhagat Singh, Sukhdev Rajguru History
लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने संकल्प लिया। और लाठीचार्ज का आदेश देने वाले जेम्स ए स्कॉट को मारने का प्लान बनाया। लेकिन मारा गया स्कॉट की जगह सांडर्स क्योंकि जय गोपाल नामक क्रांतिकारी से पहचान में चूक हो गई। इसके बाद गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया।
गिरफ्तारी से बचने के लिए भगत सिंह ने वेश पूरी तरह से बदल लिया वह अंग्रेज अफसर बन गए। और क्रांतिकारी दुर्गा भाभी उनकी पत्नी बनीं। उनके बच्चे के साथ ये ट्रेन में सवार हो गए। भगत सिंह के अलावा इस ट्रेन में राजगुरु भी वेश बदल कर सवार थे। जब ये ट्रेन लखनऊ पहुंची तो राजगुरु यहां उतर गए और बनारस के लिए रवाना हो गए जबकि भगत सिंह दुर्गा भाभी और उनके बच्चे के साथ हावड़ा की ओर निकल गए। बाद में भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु गिरफ्तार हुए। तीनों को एक साथ फांसी दे दी गई।