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Sita Navami 2022: सियाराम मय सब जग जानी करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी
Sita Navami 2022: बाबा तुलसीदास सियाराम को जगत का माता पिता मानते हैं तो कालिदास जगतः पितरौ वंदे पार्वती परमेश्वरौ कहते हैं। वह शिव और पार्वती को को जगत का माता पिता मानते हैं।
Sita Navami 2022: सियाराम मय सब जग जानी करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी ये चौपाई भारतीय समाज में रची बसी है। जिसका भावार्थ है सभी चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के जीव स्वेदज, अंडज, उद्भिज्ज और जरायुज जो तीन स्थानों जल पृथ्वी आकाश में रहते हैं उन सब से भरे इस संसार को सिया राम के समान मानकर मै दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
बाबा तुलसीदास सियाराम को जगत का माता पिता मानते हैं तो कालिदास जगतः पितरौ वंदे पार्वती परमेश्वरौ कहते हैं। वह शिव और पार्वती को को जगत का माता पिता मानते हैं। लेकिन तुलसी दास ने इस भेद को स्पष्ट किया।
जब सती और शिव भ्रमण के दौरान राम को जगत का पिता बताकर प्रणाम करते हैं। और शिव के संवाद के बाद सती ने जब राम की परीक्षा लेनी चाही और सीता का रूप धरा और राम ने पहचान कर प्रणाम किया। हर स्त्री सीता है और पुरुष में राम बस हमें राम द्वारा स्थापित मर्यादाओं के पालन की जरूरत है।
माता सीता का आज जन्मदिन
खैर जगत जननी माता सीता का आज जन्मदिन है। माता सीता का जन्म या आविर्भाव या प्राकट्य वैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन हुआ था। इस तरह से आज स्त्री पुरुष बराबरी के युग में बहुत बड़ा दिन है। हम रामनवमी जिस तरह मनाते हैं उसी तरह सीता सप्तमी भी मनानी चाहिए हम कहते हैं जा पर कृपा राम की होई तापर कृपा करे सब कोई।
लेकिन माता सीता अमोघ शक्ति दे सकती हैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण उस समय का है जब हनुमान माता सीता की खोज में अशोक वाटिका गए थे। और माता सीता ने उन्हें वरदान देते हुए सर्वशक्तिमान बना दिया अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता असबर दीन्ह जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा। किसी भी दिव्य पुरुष या देवी देवता के पास इतनी शक्तियां एक साथ देने की शक्ति नहीं है जो माता सीता ने सहज भाव से पुत्र हनुमान को दे दीं। राम का इससे बड़ा तात्विक विवेचन दूसरा नहीं हो सकता जो माता सीता ने किया। राम रसायन तुम्हरे पासा। यहां राम रसायन है ये बात माता सीता ने सरल ढंग से परिभाषित कर दी है। क्या आपने कभी सोचा है कि शिव किसका ध्यान करते हैं।
मोक्ष का मार्ग क्या है। काशी तो शिव की नगरी है वहां महाश्मशान है लेकिन काशी में गूंज राम नाम सत्य की रहती है। एक धुन जो निरंतर वहां की हवाओं में तैरती रहती है। क्योंकि राम नाम मोक्ष का द्वार है। और जिसने हनुमान की तरह खुद को राम मय कर लिया वह अमर हो गया। राम अनंत है। राम के बिना वजूद नहीं अर्थात राम का उलटा मरा हो जाता है। लेकिन मरे हुए के कान में भी राम नाम सत्य है की गूंज उसकी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यही है राम रसायन जिसका ज्ञान जगद्जननी सीता ने हनुमान को कराया।
धोबी के कहने पर माता सीता का त्याग
माता सीता के बारे में कालांतर में यह भ्रांति फैलायी गई कि राम ने एक धोबी के कहने पर माता सीता का त्याग कर दिया था। तुलसीदास की राम चरित मानस में क्षेपक प्रसंगों के जरिये इसे जोड़ा गया जिसे बाद में हिन्दी पाणिनि आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ने संशोधित कराया और रामचरित मानस से क्षेपक प्रसंगों को अलग कराया। वर्तमान में रामचरित मानस सिर्फ राम की राजगद्दी तक है। जो कि सत्य है बाकी कपोल कल्पित गढ़ी हुई बातें हैं।
कहते हैं माता सीता का प्रकटीकरण जनकपुर में हुआ था। जिसका प्राचीन नाम मिथिला और विदेहनगरी था। महाभारत काल में जनकपुर जंगल के रूप में था जहां ऋषि मुनि तपस्या करते थे। पुराणों में जनकपुर में शिलानाथ, कपिलेश्वर, कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर और मिथिलेश्वर नाम के शिव मंदिर थे। वर्तमान में सीता जन्मस्थान सीतामढ़ी या दरभंगा से 24 मील दूर नेपाल में बताया जाता है जहां आज भी शिव मंदिर हैं।
जनकपुर में माता सीता का भव्य मंदिर है। जो लगभग 4860 वर्गफीट में है। मंदिर के आसपास तमाम सरोवर हैं पहले इनकी संख्या 115 के आसपास बतायी जाती थी। यह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है।
वैसे सीतामढ़ी में भी जानकी मंदिर है जो रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से तकरीबन डेढ़ किलोमीटर दूर है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्रीराम माता सीता और हनुमान है। यह मंदिर सौ साल पुराना है।