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Fake News On Social Media: सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र सरकार से पूछा कैसे रोकेंगे

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वेब पोर्टल, यू ट्यूब चैनल और सोशल मीडिया में चलने वाली फर्जी खबरों पर चिंता जताई है। केंद्र सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि कैसे रोकेंगे?

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 2 Sep 2021 11:12 AM GMT
Supreme Court has taken cognizance of fake news on social media
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फेक न्यूज आन सोशल मिडिया सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया 

Fake News On Social Media: सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण रूप से दिखाई देती है। लेकिन दूसरी तरफ इसका गलत फायदा भी उठाया जा रहा है और फर्जी खबरें, भड़काऊ वीडियो लोग पोस्ट कर रहे हैं जिससे समाज में गलत संदेश पहुंच रहा है। इसी को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वेब पोर्टल, यू ट्यूब चैनल और सोशल मीडिया में चलने वाली फर्जी खबरों पर चिंता जताई है।

इस मामले में सीजेआई ने कहा कि इन पर कोई नियंत्रण नहीं है, लिहाजा ये फर्जी खबरें सर्कुलेट हो रही हैं। हर बात को सम्प्रदायिक रंग देकर पेश किया जाता है। कोई भी यू ट्यूब चैनल शुरू कर सकता है। ये लोग सिर्फ पावरफुल लोगों की सुनते है, न्यायपालिका और बाकी संस्थाओं के खिलाफ बिना जिम्मेदारी के कुछ भी कहते हैं। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि इन पर नियंत्रण के लिए सरकार क्या कर रही है?

केंद्र सरकार बना चुकी है नया आईटी रूल

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने कोर्ट की इन्हीं चिंताओं को देखते हुए नए आईटी रूल बनाये हैं, जिनके खिलाफ कई याचिकाएं अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित हैं। हमने इन सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट केंद्र की ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ है।

कांसेप्ट इमेज- सोशल मीडिया

धार्मिक सभा से संबंधित फर्जी समाचार को रोकने को लेकर सुनवाई

दरअसल, सीजेआई एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को मरकज निजामुद्दीन में एक धार्मिक सभा से संबंधित फर्जी समाचार के प्रसार को रोकने और सख्त कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई।

न्यायाधीशों के खिलाफ भी लिखी जाती है पोस्ट

सीजेआई एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल करते हुए कहा कि निजी समाचार चैनलों के एक हिस्से में दिखाई जाने वाली लगभग खबर में सांप्रदायिक रंग होता है। अंतत: इस देश की बदनामी होने वाली है। क्या आपने कभी इन निजी चैनलों को विनियमित करने का प्रयास किया। सोशल मीडिया केवल शक्तिशाली आवाजों को सुनता है और बिना किसी जवाबदेही के न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ कई चीजें लिखी जाती हैं।

Shashi kant gautam

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