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Speech on Independence Day: देश की आजादी और 15 अगस्त

Speech on Independence Day: देश अपनी आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2021 को मनाने जा रहा है।

Shweta
Published on: 14 Aug 2021 12:04 PM IST
भारत का झंडा
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भारत का झंडा (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Speech on Independence Day: देश अपनी आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2021 को मनाने जा रहा है। ये देश की आजादी की हीरक जयंती है। देश के क्रांतिकारियों के त्याग तपस्या और बलिदान का पर्व है जिसे आज हम सब उत्साह से मना रहे हैं। कुछ प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम तो चर्चा में आ गए लेकिन देश की स्वाधीनता के यज्ञ में तमाम क्रांतिकारी गुमनाम और अनाम रह गए आज उन सब के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का पर्व है। लेकिन आज जो आप आजादी का पर्व मना रहे हैं क्या आपको पता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहले स्वतंत्रता दिवस की स्पीच आधी रात में 12 बजकर 39 मिनट पर क्यों दी थी। देश की आजादी का जो समय ब्रिटिश हुकूमत ने तय किया था उससे तकरीबन एक साल पहले ही ये दिन क्यों आ गया। जब देश की आजादी 14 अगस्त की आधी रात को मिली तो उदया तिथि को मानने वाला ये देश क्यों कर अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने लगा। क्या आपको पता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले देश का स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता था।

शायद किसी को याद भी नहीं होगा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जो भाषण दिया था उसे 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' कहा जाता है और इसी भाषण से आजाद भारत की पहचान बनी। ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का अर्थ होता है नियति से साक्षात्कार। देश के आजाद होने के उद्घोष का पहला भाषण लालकिले से नहीं वायसराय लॉज से दिया गया था। पंडित नेहरू ने अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा था कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था और अब वो समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा से मुक्त हो जाएंगे। पूरी तरह से नहीं लेकिन ये महत्वपूर्ण है। आज रात 12 बजे जब पूरी दुनिया सो रही होगी तब भारत स्वतंत्र जीवन के साथ नई शुरूआत करेगा।

लेकिन काबिले गौर ये बात भी है कि पूरी दुनिया जब नेहरू के भाषण पर कान लगाए सुन रही थी उस समय देश की आजादी का मसीहा यानी राष्ट्रपित महात्मा गांधी ये भाषण नहीं सुन सके थे क्योंकि वह उस दिन रात नौ बजे सोने चले गए थे। यह रहस्य आज भी बना हुआ है क्या गांधी खंडित आजादी से क्षुब्ध थे। आज स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस या फिर सरकारी स्तर पर कोई कार्यक्रम उसमें राष्ट्रगान अवश्य होता है। ऐसा करके हम देश के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। लेकिन 1947 में जब आधी रात को देश आजाद हुआ था तब कोई राष्ट्रगान नहीं हुआ था। इसकी वजह यह थी कि संविधान सभा द्वारा बंगला भाषा में लिखे गए राष्ट्रगान का हिन्दी अनुवाद 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया था।

इसके बाद भी काबिले गौर ये बात भी है कि 14 अगस्त की रात को 12 बजे के बाद आजादी मिल गई। पं. नेहरू का भाषण हो गया लेकिन 15 अगस्त जिसे हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं पहले स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से कोई झंडा नहीं फहराया गया था। आजाद भारत का पहला तिरंगा झंडा संसद भवन पर 15 अगस्त 1947 को सुबह 10.30 बजे फहराया गया था। इसके बाद लालकिले पर तिरंगा झंडा 16 अगस्त को फहराया गया था। इसकी वजह यह बताई जाती है कि नेहरू जी कामकाज में व्यस्त हो गए थे। इसलिए एक दिन बाद लालकिले पर तिरंगा फहराया गया।

14 अगस्त की आधी रात को आजादी मिलने से पहले तकरीबन 18 साल तक कांग्रेस के नेतृत्व में देश 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस यानी स्वतंत्रता दिवस मनाता रहा। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह प्रस्ताव खुद पं. नेहरू ने रखा था। अब आइये जानते हैं कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने की वजह। भारत में उस समय लार्ड माउंटबेटन का शासन था। चूंकि 15 अगस्त 1945 को जापान ने ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था इसलिए माउंटबेटन इस दिन को अपने लिए शुभ मानते थे। इसी लिए भारत की आजादी का दिन उन्होंने 15 अगस्त तय किया हुआ था। लेकिन भारत के ज्योतिषियों को ये दिन मंजूर नहीं था उनके मुताबिक ये दिन बहुत ही अशुभ और अमंगलकारी था। मामला जब फंस गया तो बीच का रास्ता निकाला गया कि अगर 15 अगस्त को ही सत्ता हस्तांतरण होना है तो अंग्रेजी तारीख के हिसाब से रात 12 बजे के बाद अगला दिन हो जाता है। लेकिन भारतीय ज्योतिषी उदया तिथि मानते हैं ऐसे में 14 अगस्त की रात के अभिजित मुहूर्त में जो कि केवल 48 मिनट का है अगर उसमें ये सत्ता हस्तांतरण हो जाता है तो देश के लिए शुभ रहेगा। ये मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 15 मिनट तक पूरे 24 मिनट तक की अवधि का था। इसलिए ज्योतिषियों ने गणना करके कहा कि पं. जवाहलाल नेहरू अपना भाषण रात में ही 12 बजकर 39 मिनट तक दे दें और नेहरू ने यही किया।



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