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Sukhjinder Singh Randhawa का मुख्तार कनेक्शन, कभी लखनऊ आकर गुर्गों से की थी गुपचुप मुलाकात

पहले पंजाब में नए मुख्यमंत्री के रूप में सुखजिंदर सिंह रंधावा की ताजपोशी तय मानी जा रही थी।

Anshuman Tiwari
Published on: 19 Sept 2021 5:46 PM IST (Updated on: 19 Sept 2021 6:04 PM IST)
Sukhjinder Singh Randhawa
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सुखजिंदर सिंह रंधावा (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में सुखजिंदर सिंह रंधावा की ताजपोशी पहले तय मानी जा रही थी। कांग्रेस विधायकों से चर्चा के बाद पार्टी के पर्यवेक्षकों ने भी रंधावा के नाम पर मुहर भी लगा दी थी। कांग्रेस सूत्रों का भी कहना था कि पार्टी हाईकमान की ओर से जल्द ही रंधावा के नाम का एलान किया जा सकता है। रंधावा ने कैप्टन को लेकर बड़ी बात कही थी कि हम भी कैप्टन का ही चेहरा हैं और हमें कैप्टन साहब को साथ लेकर ही चलना होगा।

रंधावा कैप्टन सरकार में जेल और सहकारिता मंत्री रहे और उनका नाम माफिया मुख्तार अंसारी के प्रकरण में भी खूब उछला था। रंधावा पर पंजाब की रोपड़ जेल में मुख्तार को सारी सुविधाएं मुहैया कराने का गंभीर आरोप लगा था। इसके साथ ही पिछले मार्च महीने में रंधावा की लखनऊ यात्रा को लेकर भी खूब विवाद हुआ था। रंधावा ने गुपचुप तरीके से लखनऊ की यात्रा की थी और इस यात्रा के दौरान उनकी मुख्तार के करीबियों से मुलाकात हुई थी। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार को यूपी भेजे जाने का तीखा विरोध किया था और इसके पीछे भी रंधावा का ही दिमाग बताया गया था। हालांकि रंधावा मुख्तार प्रकरण को लेकर उठे सवालों का खंडन करते रहे हैं । मगर इतना तो सच है कि वे कभी भी इस मामले में कोई दमदार दलील नहीं दे सके।

सोनी के इनकार के बाद रंधावा का नाम तय

पंजाब में मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पहले अंबिका सोनी का नाम सबसे आगे चल रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से उनके नाम पर मुहर भी लगा दी गई थी । मगर बाद में अंबिका सोनी के खुद सीएम बनने से इनकार करने के बाद नए सीएम की तलाश फिर तेज की गई। पंजाब भेजे गए पार्टी के पर्यवेक्षकों हरीश रावत और अजय माकन ने कांग्रेस विधायकों से बातचीत करके उनका मन टटोला।

बाद में पर्यवेक्षकों की ओर से सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर मुहर लगा दी गई है। इसके बाद यह तय माना जा रहा था कि हाईकमान जल्द ही उनके नाम पर मंजूरी दे देगा। रंधावा ने भी कैप्टन सहित पंजाब के सभी कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने की बात कही। सूत्रों के मुताबिक रंधावा की ओर से राज्यपाल से मुलाकात का समय भी मांग लिया गया था। राजभवन से समय मिलने के बाद रंधावा की ओर से नई सरकार बनाने का दावा पेश किये जाने की उम्मीद थी।

मार्च महीने में की थी लखनऊ की गुपचुप यात्रा

रंधावा पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं ।मगर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को लेकर वे खूब विवादों में भी रहे हैं। उन्होंने मार्च के दूसरे हफ्ते में गुपचुप तरीके से लखनऊ की यात्रा की थी। इस दौरान मुख्तार के करीबियों से उनकी मुलाकात की खबरें मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। लखनऊ एयरपोर्ट से गोमतीनगर के पांच सितारा होटल तक रंधावा को पहुंचाने की व्यवस्था मुख्तार के करीबियों ने ही थी की थी। उस समय मुख्तार के करीबी अब्बास, सईद अनवर और आसिफ रंधावा के आसपास देखे गए थे। रंधावा मर्सडीज कार से एयरपोर्ट से फाइव स्टार होटल तक पहुंचे थे और सूत्रों के मुताबिक इस कार की व्यवस्था भी मुख्तार के आदमियों की ओर से ही की गई थी।

हालांकि बाद में रंधावा ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि मैं मुख्तार के करीबियों से मिलने यूपी क्यों जाऊंगा। उन्होंने गुपचुप दौरे की बात को नकारते हुए यह भी कहा था कि उनके निजी सचिव की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखकर दौरे के बारे में जानकारी दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार को यूपी भेजने का विरोध

रोपड़ जेल में मुख्तार की बंदी के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मुख्तार को झूठी लाए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पंजाब सरकार की ओर से लगातार इसका विरोध किया गया। पंजाब सरकार लगातार यह दलील देती रही कि मुख्तार अंसारी गंभीर बीमारियों डायबिटीज, डिप्रेशन और स्लिप डिस्क का शिकार है । ऐसी सूरत में उसे पंजाब से उत्तर प्रदेश ले जाना उचित नहीं होगा। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुख्तार को पंजाब की रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गत 26 मार्च को पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि मुख्तार अंसारी को दो हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में शिफ्ट किया जाए ।

पंजाब जेल में मुख्तार को मिली थीं सारी सुविधाएं

पंजाब में जेल के भीतर मुख्तार को सारी सुविधाएं मुहैया कराए जाने को लेकर भी विवाद पैदा हुआ था। इसके पीछे भी रंधावा का भी हाथ बताया गया था। पंजाब सरकार ने जिस तरह मुख्तार के मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया था, उसे लेकर हमेशा सवाल उठते रहे। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस मामले का पटाक्षेप हुआ । मगर रंधावा के दामन पर मुख्तार विवाद के छींटे साफ नहीं हो सके।



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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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