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अंधविश्वास में गई थी 900 लोगों की जान, सबसे बड़े नरसंहारों में से एक है यह घटना

विश्वास और अंधविश्वास से इस धरती का कोई भी प्राणी नहीं बचा है। विश्वास प्राणी-प्राणी से करता है।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 12 Jun 2021 9:46 AM GMT (Updated on: 12 Jun 2021 2:54 PM GMT)
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गुयाना में अंधविश्वास में मारे गए लोगों की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: विश्वास और अंधविश्वास से इस धरती का कोई भी प्राणी नहीं बचा है। विश्वास प्राणी-प्राणी से करता है। लेकिन जिसे लोग भलीभांति परिचित भी नहीं होते जब उसमें विश्वास करने लगते हैं तो उसे अंधविश्वास मान लिया जाता है। अंधविश्वास का मतलब अटूट विश्वास से भी जुड़ा होता है। लेकिन जिन लोगों को लगता है कि अंधविश्वास केवल भारत में हैं तो वह गलत सोचते हैं। दूनिया का कोई देश ऐसा नहीं है, जहां अंधविश्वास न हो। फर्क सिर्फ इतना है कि भारत आस्थावानों का देश रहा है। यहां हर किसी का सम्मान और विश्वास करना रीति रही है। ऐसी ही एक घटना का हम यहा जिक्र कर रहे हैं अंधविश्वास के नाम पर सामूहिक आत्महत्या हुई थी। लाशों का मंजर ऐसा था कि पूरी दुनिया दहल गई थी।

साउथ अमेरिका के गुयाना में अंधविश्वास के नाम पर हुई सामूहिक आत्महत्या की घटना ने दुनिया को दहला दिया था। यह भयावह घटना इतिहास में दर्ज है। इस घटना ने सभी को बुरी तरह से झकझोर दिया था। इस पूरी घटना के पीछे जिम जोंस नाम के एक धर्मगुरु का हाथ था, जो खुद को भगवान का अवतार बताता था। वह जानता था कि धर्म् के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा सकता है।

पीपल्स टेंपल के नाम पर शुरू हुआ खेल

लोगों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए जिम जोंस ने जरूरतमंदों की मदद के नाम पर वर्ष 1956 में 'पीपल्स टेंपल' नाम का एक चर्च बनाया। अपनी धार्मिक उपदेश और लोगों में अंधविश्वास पैदा कर उसने हजारों लोगों को अपना अनुयायी बनाया। बताया जाता है कि जिम जोंस कम्युनिस्ट विचारधारा का था और उसके विचार अमेरिकी सरकार से एकदम अलग थे। इसके चलते वह अपने अनुयायियों के साथ शहर से दूर गुयाना के जंगलों में चला गया। यहां उसने एक छोटा सा गांव बसा लिया था। लेकिन वक्त बीतने के साथ ही उसकी असलियत भी लोगों के सामने आने लगी।

तानाशाही से त्रस्त हो गए थे लोग

धीरे-धीरे जिम जोंस का साम्राज्य बढ़ता गया और वह तानाशाह हो गया। वह अपने अनुयायियों से दिनभर काम कराता था और रात में उन्हें परेशान करने के लिए सोने भी नहीं देता था। दिनभर काम करने के बाद जब थक-हारकर उसके अनुयायी सोने के लिए जाते तो वह अपना भाषण शुरू कर देता था। इतना ही नहीं उसके सिपाही घर-घर जाकर देखते थे कि कहीं कोई सो तो नहीं रहा। इस दौरान अगर कोई सोता मिल जाता था तो उसे कड़ी सजा दी जाती थी।

900 से ज्यादा लोगों की गई थी जान

जिम जोंस की पोल धीरे-धीरे करके खुलने लगी। उसकी तानाशाही की खबरें उसके साम्राज्य से निकलकर बाहर आने लगीं। यह बात सरकार तक पहुंच गई। सरकार उसके इरादों को नाकाम करने की तैयारी कर ही रही थी कि इसकी भनक उसका लग गई। उसने एक टब में जहर घुलवाकर सबको जबरन उसका सेवन करवाया। बताया जाता है कि तहरीला ड्रिंक पीने से करीब 900 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में 300 से ज्यादा बच्चे भी शामिल थे। यह घटना अब तक के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक है। बताया जाता है इस दौरान जि जोंस भी मृत पाया गया था।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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