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सुप्रीम कोर्ट ने PPE किट के निर्यात पर पाबंदी वाले रिजर्व बैंक के फैसले को सही ठहराया
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने PPE किट के निर्यात पर पाबंदी लगाने के भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माना था, कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पीपीई किट के निर्यात पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का प्रतिबंध एक 'वैध उद्देश्य' था
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने PPE किट के निर्यात पर पाबंदी लगाने के भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माना था, कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पीपीई किट के निर्यात पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का प्रतिबंध एक 'वैध उद्देश्य' था, जो व्यापार करने की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार को खत्म करने के लिए पर्याप्त महत्व का था।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 06 दिसंबर 2021 को एक अहम फैसले में कोविड-19 महामारी के दौरान पीपीई किट के निर्यात के लिए साख पत्र (Letter of Credit) देने से इनकार करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के 'मर्चेंन्टिग ट्रेड ट्रांजेक्शन' (MTT) के कुछ दिशानिर्देशों की वैधता को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा, 'कुछ लोगों को बिना किसी नियंत्रण के मुक्त व्यापार की सुविधा के लिए जनता के कल्याण को सुरक्षित रखने वाले लोकतांत्रिक हितों को 'न्यायिक रूप से निरस्त' नहीं किया जा सकता।'
क्या था मामला?
सर्वोच्च अदालत में सुनवाई करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी.वी. नागरत्न की तीन सदस्यीय पीठ ने दवा का कारोबार करने वाली एक कंपनी के डायरेक्टर की अपील को खारिज कर दिया। दरअसल उस कंपनी को अमेरिका में निर्यात करने के लिए चीन से पीपीई किट आयात करके मध्यस्थ के रूप में कार्य करने से प्रतिबंधित किया गया।
ये कहना था याचिकाकर्ता का
याचिकाकर्ता ((petitioner) का आरोप था, कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) का व्यापार प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत दिए गए व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
क्या कहा पीठ ने?
इस पर तीन जजों की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, 'संविधान के तहत दिए गए अधिकार और स्वतंत्रता सार्वजनिक हित में बनाए गए नियमन को अप्रभावी करने को निजी कारोबारियों के लिए कोई हथियार जैसा नहीं है।' जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने 55 पन्नों के आदेश में कहा, 'कुछ लोगों के बिना किसी नियंत्रण के मुक्त व्यापार को संरक्षित रखने के लिए जनता के कल्याण को सुरक्षित रखने वाले लोकतांत्रिक हितों को न्यायिक रूप से निरस्त नहीं किया जा सकता।'
ये भी कहा सुप्रीम अदालत ने
कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, कि निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला पीपीई (PPE) उत्पादों की पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए था। यह उपाय राज्य हित में कानूनी रूप से लागू किया गया था। जो याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों पर किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता था।