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कोरोना पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: सरकार को भेजा नोटिस, पूछा- क्या है नेशनल प्लान

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Dharmendra Singh
Published on: 22 April 2021 1:25 PM IST (Updated on: 22 April 2021 3:10 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: देश में कोरोना से हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। अब इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारत में कोरोना वायरस के मौजूदा हालात पर स्वत: संज्ञान लिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए नेशनल प्लान क्या है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति और आवश्यक दवाओं के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया। सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि कि अदालत इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेगी। कोर्ट ने हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने चार बड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार से नेशनल प्लान मांगा है। कोर्ट ने पहला- ऑक्सीजन की सप्लाई, दूसरा- दवाओं की सप्लाई, तीसरा- वैक्सीन देने का तरीका और प्रक्रिया और चौथा- लॉकडाउन करने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को हो, कोर्ट को नहीं। अब मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल यानी कल होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में छह अलग-अलग हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है, इसलिए 'कंफ्यूजन और डायवर्जन' की स्थित है। दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, कलकत्ता, इलाहाबाद और ओडिशा- 6 हाई कोर्ट में कोरोना संकट पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह 'कंफ्यूजन और डायवर्जन' कर रहा है, एक हाईकोर्ट को लगता है कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में प्राथमिकता है, एक को लगता है कि उनका अधिकार क्षेत्र है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के लॉकडाउन वाले आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि वह नहीं चाहती कि हाईकोर्ट ऐसे आदेश पारित करें। सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम राज्य सरकारों के पास लॉकडाउन की घोषणा करने की शक्ति रखना चाहते हैं। न्यायपालिका द्वारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट ने पूछा कि क्या वह हाईकोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगाएगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी योजनाओं को हाईकोर्ट में प्रस्तुत कर सकती है, यदि आपके पास ऑक्सीजन के लिए एक राष्ट्रीय योजना है तो निश्चित रूप से हाईकोर्ट इसे देखेगा।




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