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Supreme Court ने केंद्र से पूछा- मृत्यु प्रमाणपत्र में 'कोरोना से मौत' क्यों नहीं लिखते? मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि कोरोना से मरने वाले लोगों के डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना से मौत क्यों नहीं लिखा जा रहा है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केन्द्र से जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण (Coronavirus) से मौत हो रही है, उनके डेथ सर्टिफिकेट यानी मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोरोना से मौत क्यों नहीं लिखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इनके लिए भविष्य में कोई स्कीम लागू करती है तो मरने वाले के परिवार को उसका फायदा कैसे दिया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या कोरोना से मरनेवालों को प्रमाणपत्र जारी करने की कोई समान नीति है? क्या मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना लिखा जाता है? साथ ही कोर्ट ने पूछा कि क्या कोरोना संक्रमण से मरनेवालों को मुआवजा दिया जा सकता है? बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी। अगली सुनवाई पर सरकार इन सभी सवालों का जवाब देगी।
केंद्र सरकार की स्कीम को आगे बढ़ाने की मांग
दरअसल, केंद्र सरकार की 2015 की एक योजना थी, जिसमें कहा गया था कि अगर किसी नोटिफाइड बीमारी या आपदा से किसी की मौत होती है तो उसके परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। ये स्कीम पिछले साल खत्म हो चुकी है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि केंद्र सरकार की इस स्कीम को आगे बढ़ाया जाए और कोरोना के लिए भी लागू किया जाए।
हजारों परिवार को होगा फायदा
आपको बता दें कि कोरोना वायरस को एक नोटिफाइड बीमारी और आपदा, दोनों घोषित किया जा चुका है। अब ऐसे में इस योजना को 2020 से आगे बढ़ाया जाता है तो उन हजारों परिवार को फायदा होगा, जिनके कमाने वालों की कोरोना से मौत हुई है, लेकिन इसमें बड़ा सवाल ये है कि ये कैसे साबित होगा कि मरने वाले की मौत करोना से हुई है?
सुनवाई करने वाले जज जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि उन्होंने खुद देखा है कि डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कुछ और होती है। जैसे लंग फेल्योर या हार्ट फेल्योर। जबकि मरीज के मौत की असल वजह कोरोना वायरस ही होती है। जस्टिस शाह ने कहा कि अगर सरकार कोई स्कीम ऐसे लोगों के लिए बनाती है तो ये कैसे साबित होगा कि मौत की वजह कोरोना संक्रमण है।
उन्होंने कहा कि परिवार वालों को ये साबित करने के लिए एक से दूसरी जगह भागना पड़ेगा। वहीं सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि डेथ सर्टिफिकेट पर वही लिखा जाता है जो आईसीएमआर की गाइडलाइंस है। कोरोना को लेकर कोई नियम नहीं बना है। ये दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 10 दिन में ये जवाब देने को कहा है कि क्या डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कोरोना लिखा जा सकता है। क्या ऐसे लोगों को सरकार 4 लाख रुपये का मुआवजा दे सकती है? मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होनी है।