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Supreme Court Debate Deadline: वकीलों को बहस के लिए अब मिलेंगे निर्धारित समय, इस देश में मिलते हैं 25 मिनट

Supreme Court Debate Deadline: वकीलों की बहस और कई पन्नों के दस्तावेज के चलते कई केस सालों तक लंबित रह जाते हैं। इस नए कवायद से ये उम्मीद लगाई जा रही है कि बहुत जल्द इस दिशा में नियम बनाया जा सकता है।

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Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 1 Aug 2021 5:50 AM GMT (Updated on: 1 Aug 2021 5:58 AM GMT)
Supreme Court Debate Deadline: वकीलों को बहस के लिए अब मिलेंगे निर्धारित समय, इस देश में मिलते हैं 25 मिनट
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Supreme Court Debate Deadline: कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने वकीलों को दस्तावेज संशिप्त में देने साथ ही बहस करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की कवायद शुरू की है। वकीलों की बहस और कई कई पन्नों के दस्तावेज के चलते कई केस सालों तक लंबित रह जाते हैं। इस नए कवायद से ये उम्मीद लगाई जा रही है कि बहुत जल्द इस दिशा में नियम बनाया जा सकता है।

हाल ही में जस्टिक संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ में कहां गया था कि भारत के सुप्रेम कोर्ट में ही ऐसा देखा गया है कि वकील घंटों और दिनों तक बहस करते हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों पन्नों का दस्तावेज पेश करते हैं। पीठ का कहना है कि इससे कोर्ट का समय नष्ट होता है। उन्होंने वकीलों को अपनी मानसिकता बदलने तक की बात कह दी। जस्टिस कौल ने कहा की सैकड़ों पन्नों का दस्तावेज पेश करने और घंटों बहस के चलते लंबे समय से अटके उन अपीलों के साथ कैसे न्याय दिला सकेंगे।

बहस करने के लिए दिए केवल 30-30 मिनट

इस मामले को देखते हुए गुजरात के वकील यतीन ओझा की पैरवी करते हुए पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और अरविंद दातार को बहस करने के लिए केवल 30-30 मिनट का ही समय दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज भी वकीलों को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट खुद भी इसे अपनाते हुए अपने फैसले को स्पष्ट और छोटा लिखने का प्रयास कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्य एक पीठ का कहना है कि फैसला स्पष्ट और छोटे हो जिसे आम जनता को समझने में आसानी हो ।

अमेरिका के सुप्रेम कोर्ट में मिलते हैं 25 मिनट

आपको बता दें, भारत को छोड़ कर दुनिया भर के सुप्रेम कोर्ट में सभी वकीलों को बहस के लिए निर्धारित समय दिया जाता है। अमेरिका के सुप्रेम कोर्ट में तो बहस के लिए 25 मिनट दिए जाते हैं। इसी समय में ही उन्हें अपनी सारी बाते रखनी होती है।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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