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मुंबई हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई, त्वचा से त्वचा संपर्क को नहीं माना था यौन उत्पीड़न

सुप्रीम कोर्ट आज मुंबई हाईकोर्ट के उस फैसले की सुनवाईकी है जिसमें हाई कोर्ट ने फैसा दिया था कि स्किन टू स्किन टच यौन उत्पीड़न..

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Raj
Published on: 24 Aug 2021 10:49 AM GMT
Symbolic photo taken from social media
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सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

बॉम्बे हाईकोर्ट के स्किन टू स्किन टच फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विसेज कमेटी को आदेश दिया कि वो दोनों मामलों में बच्ची से छेड़छाड़ के आरोपियों की तरफ से पैरवी करे। सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी सिद्धार्थ दवे से इस केस में मदद करने को कहा है। इस दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत में कहा कि अगर कल कोई व्यक्ति सर्जिकल दस्ताने की एक जोड़ी पहनता है और एक महिला के शरीर से छेड़छाड़ करता है तो उसे इस फैसले के अनुसार यौन उत्पीड़न के लिए दंडित नहीं किया जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला एक अपमानजनक मिसाल है।


सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में शामिल दोनों मामलों के आरोपियों की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि नोटिस भेजने के बावजूद आरोपियों ने पक्ष नहीं रखा इसलिए सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी उनकी पैरवी करे। कोर्ट में अब मामले की सुनवाई 14 सितंबर को होगी सुनवाई।

आपको बता दें कि 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले के तहत आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि बिना कपड़े उतारे बच्चे के स्तन टटोलने से पोक्सो एक्ट की धारा 8 के अर्थ में यौन उत्पीड़न नहीं होता। इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि निर्णय अभूतपूर्व है और 'एक खतरनाक मिसाल कायम करने की संभावना है।'

क्या था हाईकोर्ट का फैसला

अदालत ने एजी को निर्णय को चुनौती देने के लिए उचित याचिका दायर करने का निर्देश दिया था। अदालत ने आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के कृत्य से आईपीसी की धारा 354 के तहत 'छेड़छाड़' होगी और ये पोक्सो अधिनियम की धारा 8 के तहत यौन शोषण नहीं होगा।

त्वचा से त्वचा संपर्क यौन उत्पीड़न नहीं-बॉम्बे हाईकोर्ट

सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की सिंगल बेंच ने सत्र न्यायालय के उस आदेश को संशोधित करते हुए यह अवलोकन किया जिसमें एक 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 साल की लड़की से छेड़छाड़ करने और उसकी सलवार निकालने के लिए यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा फैसले के पैरा संख्या 26 में सिंगल जज ने कहा है कि प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क यानी यौन प्रवेश के बिना त्वचा-से -त्वचा संपर्क यौन उत्पीड़न नहीं है।

Deepak Raj

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