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दागी नहीं बन सकेंगे MP- MLA, आदेश जारी, यहां पढ़िए पूरी गाइडलाइन

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सत्तादल बीजेपी और जनता दल (यूनाइटेड) सहित नौ राजनीतिक पार्टियों को अवमानना का दोषी माना है।

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Newstrack NetworkPublished By Divyanshu Rao
Published on: 11 Aug 2021 10:53 AM IST (Updated on: 11 Aug 2021 10:59 AM IST)
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सुप्रीम कोर्ट और राजनीतिक पार्टियों के प्रतीक चिन्ह की तस्वीर (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सत्तादल बीजेपी और जनता दल (यूनाइटेड) सहित नौ राजनीतिक पार्टियों को अवमानना का दोषी माना है। जिसमें कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 2020 विधानसभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आपराधिक रिकॉर्ड और राजनीतिक के अपराधिकरण में शामिल लोगों को सांसद और विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई 2020 को राजनीतिक पार्टियों के दागी नेताओं के खिलाफ देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया था कि अपने आपराधिक रिकॉर्ड वाले अपने नेताओं के बारे में जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी है। कोर्ट ने अपने इस आदेश में सभी राजनीतिक दलों को 48 घंटों का समय दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन 48 घंटों के भीतर राजनीतिक पार्टियों को दागी नेताओं को टिकट देने का कारण बताना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक उम्मीदवारों का रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का आदेश दिया था

यहीं नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सभी राजनीति दलों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड को अपनी वेवसाइट और प्रिंट मीडिया के जरिए सबसे सामने सार्वजनिक करना होगा। कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को बताना होगा कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति का उम्मीदवार के रूप में चयन क्यों किया। कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दलों को तीन दिनों के अंदर ऐसे उम्मीदवारों की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी और ऐसा न करने पर चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकता है।

कोर्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों की उदासीनता पर अफसोस जाहिर किया

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियां अपराध खत्म करने की ओर सही कदम नहीं उठा रही हैं। कोर्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों पर अलग-अलग जुर्माना लगाया। अदालत ने राजनीतिक व्यवस्था को अपराध से मुक्त करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार की विधायी शाखा की उदासीनता पर अफसोस जाहिर किया है।

बेंच ने कहा राजनीति की प्रदूषित धारा साफ करने की चिंता सरकार की विधायी शाखा में नहीं है

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि देश लगातार इंतजार कर रहा है और धैर्य खो रहा है। कोर्ट ने कहा कि राजनीति की प्रदूषित धारा को साफ करने के लिए सरकार की विधायी शाखा की तात्कालिक चिताओं में शामिल नहीं है। बेंच ने दो राजनीतिक दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट ने कहा जारी आदेशों का बिल्कुल पालन नहीं हुआ

कोर्ट ने कहा कि अदालत के द्वारा जारी निर्देशों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया गया है। जनता दल (यूनाइटेड) राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इन पार्टियों से आठ हफ्तों के भीतर ये राशि जमा करने का कोर्ट ने आदेश दिया है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर कोर्ट ने कोई जुर्माना नहीं लगाया है।

बिहार विधानसभा चुनाव में 469 दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया गया

आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के मुताबित बिहार विधानसभा चुनाव में 10 राजनैतिक दलों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 469 प्रत्याशियों को टिकट दिए गए थे। अदालत ने कहा कि केवल जीत के आधार पर आपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों का चयन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लघंन करता है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश भी दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

कोर्ट ने कहा सभी दोषी पार्टियों से अवमानना का जुर्माना लिया जाए

इसके आदेश के मुताबित हर मतदाता को ये जानने का अधिकार है। और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का अपराधिक अतीत के बारे में जानकारी की उपल्बधता के बारे में जागरूक किया जाए। आदेश में कोर्ट ने कहा कि मीडिया टीवी प्रिंट, विज्ञापन, प्राइम टाइम डिबेट आदि प्लेटफॉर्मों पर जागरूक और उम्मीदवारों के अपराधिक रिकॉर्ड सर्वाजनिक किया जाएं। कोर्ट ने कहा था कि इस उद्देश्य के लिए चार हफ्ते में एक कोष बनाया जाना चाहिए। जिसमें कोर्ट की अवमानना का जुर्माना अदा किया जाएगा।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा प्रतिदिन राजनीतिक व्यवस्था में अपराधिकरण बढ़ता जा रहा है

कोर्ट के फैसले में कहा है कि कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में अपराधिकरण का खतरा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बेंच ने कहा कि अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों और राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण में शामिल लोगों को कानून बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कोई इस बात से भी इनकार नहीं कर सकता कि राजनीतिक व्यवस्था में शुद्धता बनाए रखने के लिए यह कदम उठान बहुत जरूरी हैं।

भारत के उच्चतम न्यायालय की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

कोर्ट ने फैसले में आगे कहा है कि एकमात्र सवाल ये भी है कि क्या अदालत ऐसे निर्देश जारी करके ऐसा कर सकती है। जिनका वैधानिक प्रावधानों में आधार नहीं है। कोर्ट के आदेश में कहा गया है। नौ राजनीतिक पार्टियों को अदालत ने 13 फरवरी 2020 के आदेशों की अवमानना करने का दोषी पाया है। लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक उदार दृष्टिकोण से अपनाया गया है कि ये चुनाव पहले थे जो कोर्ट के आदेश जारी होने के बाद हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

जस्टिस नरीमन ने 71 पन्नों के फैसले में राजनीतिक पार्टियों को दी चेतावनी

जस्टिस नरीमन ने 71 पन्नों के फैसले में कहा है कि हम राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हैं कि उन्हें भविष्य सतर्क रहना चाहिए। साथ ही यह निश्चित करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेशों का अक्षरश: पालन हो। बेंच ने कहा कि उम्मीदवारों के अतीत के बारे में जानकारी प्रस्तुत करन से पहले निर्देशों में एक को संशोधित किया। फैसले में कहा गया है कि शीर्ष अदालत बार बार देश के कानून निर्माताओंसे अपील करती रही है कि वे आवश्यक संसोधन लाने के लिए कदम उठाएं। ताकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की राजनीति में भागीदारी निषिद्ध हो सके।

बेंच ने कहा राजनीतिक पार्टियां गहरी नींद में सो रही हैं

बेंच ने अपने फैसले में आगे कहा कि सभी अपीले बहरें कानों के सामने अनसुनी रह गई हैं। राजनीतिक पार्टियां अपनी गहरी नींद से नहीं जाग रहे हैं। शक्तियों के बंटवारे की संवैधानिक व्यवस्था के मद्देनजर हम चाहते हैं कि इस मामले में तत्काल कुछ करने की आवश्यकता है। लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं। हम राज्य की विधायी शाखा के लिए आरक्षित क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं कर सकते हैं।



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Divyanshu Rao

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