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OBC Reservation and Quota: सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, आरक्षण और मेरिट एक दूसरे के विरोधी नहीं
OBC Reservation and Quota: सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में सामाजिक न्याय को लेकर सबसे अहम बात कही है।
OBC Reservation and Quota: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि आरक्षण (reservation) और मेरिट (merit) एक दूसरे के विरोधी नही हैं। आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस (MBBS) , बीडीएस (BDS) और सभी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) को संवैधानिक रूप से बरकरार रखा है। हालांकि कोर्ट पहले ही यह आदेश दे चुका था, लेकिन आज कोर्ट ने इस पर अपना विस्तृत फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में सामाजिक न्याय (social justice) को लेकर सबसे अहम बात कही है। विशेष पाठ्यक्रमों में आरक्षण का आमतौर पर विरोध किया जाता है और कहा जाता है कि ऐसे पाठ्यक्रमों में आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण देने से मेरिट प्रभावित होती है। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इस विचार पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि योग्यता और आरक्षण एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं। दरअसल सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने गत दिवस इसी मामले में एक अन्य फैसला सुनाया है जिसमें कहा है कि राज्य स्थानीय चुनावों में बिना डेटा के ओबीसी कोटा (OBC quota)अलग नहीं रख सकते हैं। अपने आदेश को वापस लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की एक याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने बुधवार को कहा कि 'ओबीसी आरक्षित' सीटों को स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सामान्य सीटों के रूप में माना जाएगा, जब तक कि अदालत के आदेश के निष्कर्ष पर इस तरह के डेटा उपलब्ध नहीं हो जाते। महाराष्ट्र की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास उपलब्ध जातियों की किसी भी जानकारी को अंतरिम डेटा के रूप में रखने के लिए कहा। आयोग मार्च में अगले चरण के चुनाव के लिए सिफारिश के जरिए राज्य को आगे का रास्ता सुझाएगा।
ओबीसी कोटा को आगे बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह की कोशिश
मप्र सरकार ने कहा कि वह ओबीसी कोटा को आगे बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह की कोशिश करेगी। हालांकि अदालत ने कहा कि स्थानीय चुनावों के लिए सभी आरक्षणों को अदालत के ट्रिपल टेस्ट का पालन करना होगा, जिसमें आरक्षण को सही ठहराने के लिए डेटा संग्रह अनिवार्य है।