प्राइवेट अस्पतालों पर Supreme Court सख्त: कहा- सेवा करने की जगह रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं अस्पताल

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अस्पतालों की मौजूदा भूमिका को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि निजी अस्पतालों को छोटे आवासीय भवनों से संचालित करने की अनुमति देने के बजाय राज्य सरकारें बेहतर अस्पताल प्रदान कर सकती हैं।

Network
Newstrack NetworkPublished By Satyabha
Published on: 19 July 2021 3:26 PM GMT
supreme court
X

सुप्रीम कोर्ट फोटो- सोशल मीडिया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अस्पतालों की मौजूदा भूमिका को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि निजी अस्पतालों को छोटे आवासीय भवनों से संचालित करने की अनुमति देने के बजाय राज्य सरकारें बेहतर अस्पताल प्रदान कर सकती हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि अस्पताल बड़े उद्योग बन गए हैं। यह सब मानव जीवन को संकट में डालकर हो रहा है। हम उन्हें जीवन की कीमत पर समृद्ध नहीं होने दे सकते। बेहतर होगा ऐसे अस्पतालों को बंद कर दिया जाए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गुजरात के अस्पतालों में आग लगने के मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने भवन उपयोग अनुमति के संबंध में अस्पतालों के लिए समय सीमा जून, 2022 तक बढ़ाने को लेकर गुजरात सरकार की जमकर खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से अस्पतालों को छूट देने वाली इस अधिसूचना को वापस लेने को कहा। पीठ ने कहा कि एक मरीज जो कोविड से ठीक हो गया था और उसे अगले दिन छुट्टी दी जानी थी, लेकिन आग लगने से उसकी मौत हो गई और दो नर्सें भी जिंदा जल गईं। पीठ ने कहा कि ये मानवीय त्रासदी हैं, जो हमारी आंखों के सामने हुआ। फिर भी हम इन अस्पतालों के लिए समय बढ़ाते हैं।

'उद्योग बन गए हैं अस्पताल'

कोर्ट ने कहा कि एक बार जब परमादेश (मंडमस) जारी कर दिया गया हो तो उसे इस तरह की एक कार्यकारी अधिसूचना द्वारा ओवरराइड नहीं किया जा सकता है। आपका कहना है कि अस्पतालों को जून, 2022 तक आदेश का पालन नहीं करना है और तब तक लोग मरते और जलते रहेंगे। पीठ ने कहा कि अस्पताल एक रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं। संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के बजाय यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर एक आयोग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दायर करने पर भी नाराजगी जताई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में आयोग की यह कौन सी रिपोर्ट है? यह कोई परमाणु रहस्य नहीं है।

गौरतलब हो कि 9 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्यों से अस्पतालों में किए गए अग्नि सुरक्षा ऑडिट रेपोर्ट लेकर अदालत में पेश करने के लिए कहा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को आदेश दिया था कि राज्य सरकार को प्रत्येक कोविड अस्पताल का महीने में कम से कम एक बार फायर ऑडिट करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए।

Satyabha

Satyabha

Next Story