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दिल्ली में लगने जा रहा है लॉकडाउन ! प्रदूषण के बिगड़े हालात पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, केंद्र के जवाब से नाखुश 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर चरम पर है। इसी बीच शनिवार को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के 'ए' स्तर पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई।

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By aman
Published on: 13 Nov 2021 6:57 AM GMT (Updated on: 13 Nov 2021 8:45 AM GMT)
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लॉकडाउन (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर चरम पर है। इसी बीच शनिवार (13 नवंबर 2021) को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के 'ए' स्तर पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल उपाय के तौर पर दो दिनों का लॉकडाउन लगाने की सलाह भी दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा, 'मैं यह नहीं बताना चाहता, कि प्रदूषण पर पराली जलाने का कितना असर है। बाकी पटाखे, वाहन, धूल और निर्माण का कितना योगदान है'।

बता दें, कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) और एनसीआर (NCR) में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) का स्तर लगातार 500 से ऊपर बना हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने आज इसी मुद्दे पर दायर एक याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा, कि 'ऐसी स्थिति में तो लगता है कि घर में भी मास्क पहनकर ही बैठना होगा।' कोर्ट ने केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण से निपटने के तरीके अपनाने को कहा।

'पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम हों'

कोर्ट में शनिवार को जब प्रदूषण मामले पर सुनवाई शुरू हुई, तो चीफ जस्टिस ने सीधे सरकार से सवाल किए। पूछा, कि आप देख रहे हैं, कि स्थिति कितनी खतरनाक है। हमें घरों पर भी मास्क लगाकर बैठना पड़ेगा। इससे निपटने के लिए आखिर क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस पर केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा, कि 'वायु प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाया जाना है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम होने चाहिए, जिससे राज्य सरकार उन पर कार्रवाई कर सकें।'



सारे प्रदूषण के लिए किसान ही जिम्मेदार हैं?

सॉलिसिटर जनरल की इस मांग पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाए। कहा, 'आप ऐसे कह रहे हैं कि सारे प्रदूषण के लिए किसान ही जिम्मेदार हैं। आखिर इसे रोकने का तंत्र कहा है?' कोर्ट ने कहा, 'हमारा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। बस, सवाल है कि इस समस्या से निपटा कैसे जाए?

आखिर इस स्थिति में लोग कैसे जिएंगे?

मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने सुनवाई के दौरान अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, कि प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने का संभव है। लेकिन, बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। कोर्ट ने सरकार से कहा, 'हमें तत्काल इसे (प्रदूषण) नियंत्रित करने के कदम बताएं। अगर जरूरत पड़े तो दो दिन का लॉकडाउन या कुछ और कदम लीजिए। आखिर इस स्थिति में लोग कैसे जिएंगे?'

हालांकि, इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, कि आज ही सरकार की एक बैठक प्रस्तावित है। सरकार भी इस मामले पर गंभीर है।


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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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