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Supreme Court: राजनीति के अपराधीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पार्टियों को दिए गए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है या फिर किसी मामले में वह आरोपी है, तो राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के नाम के ऐलान के 48 घंटे के भीतर इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 10 Aug 2021 12:48 PM IST (Updated on: 10 Aug 2021 12:50 PM IST)
The Supreme Court has said that if a candidate has a criminal case registered against him or he is an accused in any case, then political parties will have to make the information public within 48 hours
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राजनीति के अपराधीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: फोटो- सोशल मीडिया

Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बिहार चुनाव से जुड़े राजनीति के अपराधीकरण सह अवमानना मामले में मंगलवार को फैसला सुनाया गया। सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के ऐलान के 48 घंटे के भीतर सभी राजनीतिक दलों को उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह 'सुप्रीम फैसला' देश की राजनीति का रूप बदल सकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को राजनीति के अपराधीकरण से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया गया। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अगर किसी उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है या फिर किसी मामले में वह आरोपी है, तो राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के नाम के ऐलान के 48 घंटे के भीतर इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले में सुधार करते हुए आदेश दिया है

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के आपराधिक रिकॉर्ड वाली गाइडलाइन्स को और सख्त किया है और अपने पुराने फैसले में सुधार किया है। आइए देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में क्या मुख्य बातें हैं

उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास प्रकाशित करना होगा

-सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राजनीतिक दलों को चुनाव के लिए चयनित उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास प्रकाशित करना होगा, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले को संशोधित किया।

-दरअसल, फरवरी 2020 के फैसले के पैराग्राफ 4.4 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, उसका आपराधिक इतिहास प्रकाशित किया जाएगा।

उल्लंघन करने पर पार्टी चुनाव चिन्ह को फ्रीज या निलंबित

-सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करने वाली राष्ट्रीय पार्टी के खिलाफ उल्लंघन के मद्देनज़र पार्टी के चुनाव चिन्ह को फ्रीज या निलंबित रखा जाए। आयोग ने यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन के मामले में दिया है।

-माकपा की ओर से वकील ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। हमारा भी विचार है कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने सीपीएम के वकील से कहा कि माफी से काम नहीं चलेगा। हमारे आदेशों का पालन करना होगा।

-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वकील ने निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी।

आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनावों में कुछ उम्मीदवारों द्वारा अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मुकदमों की जानकारी नहीं दी थी। इसी के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जहां पर सर्वोच्च अदालत ने सख्त रुख अपनाया था। इस मामले में कई राजनीतिक दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में माफी भी मांगी गई थी, साथ ही कहा गया था कि उन्होंने उम्मीदवारों से भी प्रदेश यूनिट, जिला यूनिट के स्तर पर सफाई मांगी गई है।



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