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Surgical Strike Ki Kahani: सर्जिकल स्ट्राइक से पूरा हुआ जवानों की शहादत का बदला, सीक्रेट प्लान से उड़ी आतंकियों की धज्जियां
Surgical Strike Ki Kahani: उरी सेक्टर में 18 सितम्बर 2016 को आतंकियों ने बड़ा आतंकी हमला किया था। जिसमें सेना के 16 जवान शहीद हो गए थे। जिसका बदला सेना ने उरी सर्जिकल स्ट्राइक करके लिया।
Surgical Strike Ki Khani: जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 18 सितम्बर 2016 को आतंकियों ने बड़ा आतंकी हमला किया था। उरी में एलओसी के पास भारतीय सेना के आर्मी हेडक्वार्टर को निशाना बनाते हुए आतंकियों ने घिनौनी चाल चली थी। जिसमें सेना के 16 जवान शहीद हो गए थे। रात के समय में सीमा पर ताक लगाए बैठे आतंकियों ने रात के समय सोए हुए निहत्थे जवानों पर ताबड़तोड़ गोलाबारी की, जिससे की ज्यादा से ज्यादा जवानों को मारा जा सके। लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही जवानों की शहादत की बदला लेने के लिए 28-29 सितंबर की रात को आतंकियों की मौत के लिए चुना गया। जैसे को तैसा का सबक सिखाते हुए सेना के जवानों ने आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike Ki Kahani) करते हुए 3-4 घंटे में आतंकियों का काम तमाम कर दिया।
पुलवामा हमला
इसके बाद 14 फरवरी 2019, को जब आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ (CRFP) के जवानों को निशाना बनाते हुए आतंकी हमला किया था। इस आतंकी हमले में सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया था। पूरे देश में शोक का माहौल छा गया था। भारतीय सेना ने इस आतंकी हमला का बदला फिर सर्जिकल स्ट्राइक करके लिया। जिससे एक बार कांप उठी थी आतंकियों की रूह।
सर्जिकल स्ट्राइक जो आतंकियों की मौत का सबब बनकर आई। जिसने भारतीय सेना के जवानों की शहादत का बदला लिया। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या मतलब होता है इस सर्जिकल स्ट्राइक का।
क्या होती है सर्जिकल स्ट्राइक
आतंकियों का खात्मा करने के लिए सेना के कमांडो सैनिकों को चुना जाता है। इसके लिए सबसे पहले हमले की रणनीति तैयार की जाती है। इसके बाद इसमें समय, जगह, कमांडोज की संख्या का खासा ध्यान रखा जाता है।
हमला जहां पर करना होता है, उसके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से हमले की योजना बनाई जाती है। योजना को अंजाम देने के लिए कमांडो दस्ते को बहुत ही गोपनीय तरीके से हेलीकॉप्टर से टारगेट तक पहुंचाया जाता है। ये कमांडो दुश्मनों को कुछ सेकंडों के अंदर चारों तरफ से घेर लेते हैं।
फिर शुरू होता है तड़ातड़ हमला। जिसमें आतंकियों को सांस लेने भर का मौका भी नहीं दिया है। उनके पूरे कैंप को ठिकानों को तबाह करके तय समय के अंदर वापस आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान ये रखना पड़ता है कि किसी भी निर्दोष यानी आस-पास के रहने वालों को या इमारतों को कोई नुकसान न पहुंचे।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक कब हुआ था
जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर 2016 की रात जब भारतीय सेना के जवान सीमा पर नजदीक बैसकैंप में सो रहे थे, तभी आतंकियों सो रहे निहत्थे जवानों को निशाना बनाते हुए हमला कर दिया। इस आतंकी हमले में सेना के 16 जवान शहीद हो गए थे। जिससे देशभर में आक्रोश की लहर थी। इस आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने उरी सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की।
इसके लिए देश की मिलिट्री और सरकार में टॉप लेवल पर योजना बनाई गई। इस योजना के लिए 28-29 सितंबर की रात को चुना गया। इस दिन सिर्फ चार घंटे में सेना आतंकियों का काम तमाम करके लौट आई।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए सेना का ऑपरेशन रात करीब 12.30 बजे शुरू हुआ। इसके लिए स्पेशल फोर्सेज के पैराट्रूपर्स को भी शामिल किया गया था। इन कमांडोज को एलओसी के पास एयरड्रॉप किया गया। इसके बाद कमांडोज गोपनीय तरीके से पैदल सीमा पार कर पाकिस्तान में रात के अंधेरे में घुस गए।
सीमा पार करते हुए भारतीय कमांडोज एलओसी में तीन किलोमीटर तक अंदर तक घुसते चले गए। भीमबेर, हॉटस्प्रिंग, केल और लीपा सेक्टर्स में सर्जिकल स्ट्राइक्स को अंजाम दिया गया।सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए आतंकियों के लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया गया।
सर्जिकल स्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए
पाकिस्तान की सीमा में घुसकर भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक में 38 आतंकी और दो पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। सेना ने इस पूरे ऑपरेशन को सुबह 4.30 बजते-बजते खत्म कर दिया था। सबसे बड़ी सफलता तो ये थी कि भारतीय सेना को इस पूरे ऑपरेशन में कोई नुकसान नहीं हुआ। योजना कामयाब होते हुए शहीद हुए जवानों का बदला ले लिया गया।