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जानें क्या है स्वच्छ भारत मिशन शहरी 'अर्बन 2.0' और 'अमृत 2.0', ऐसे करेगा काम
Swachh Bharat Mission Urban 2.0 & Amrit 2.0: आइए जानते है 1 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुभारंभ किए गए 'स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0' और 'अमृत 2.0' के बारे में...
Swachh Bharat Mission Urban 2.0 & Amrit 2.0: महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन पहले यानि 1 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0' और 'अमृत 2.0' का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने साल 2014 में देशवासियों से भारत को खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प याद दिलाते हुए 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण लक्ष्य को पूरा करने की बात कही। बता दें कि अभियान का दूसरा चरण स्वच्छ भारत मिशन 'अर्बन 2.0' और 'अमृत 2.0' को शहरों को कचरा मुक्त कर पानी को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने बताया कि मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को वाटर सिक्योर सिटीज बनाना तथा यह सुनिश्चित करना है कि हमारी नदियों में कहीं भी किसी प्रकार का कोई गंदा नाला न गिरे। स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा सुखद रही है।
जानें क्या है 'स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0'?
'स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0' देश के सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए शुरू हुआ ।इसका मकसद शहरी कचरों पर पूरी तरह लगाम लगाना है। इसके अलावा इसमें 'अमृत' के तहत न आने वाले शहरों में दूषित और काले पानी के प्रबंधन को सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा सभी शहरों के स्थानीय निकायों को 'ओडीएफ+' और एक लाख से कम आबादी वाले को 'ओडीएफ++' के रूप में तैयार करने की योजना है। इसका मकसद शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा करना है।
कैसे काम करेगा?
बता दें कि यह मिशन ठोस कचरे के स्रोत पृथक्करण के लिए '3R' के सिद्धांत पर काम करेगा। इन तीन 'R' का मतलब है 'रिड्यूस' यानि कम करें, 'रीयूज' यानि पुन: उपयोग और 'रीसाइकिल' यानि पुनर्चक्रण' हैं। इस मिशन के तहत शहरी ठोस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण तथा प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए डंप साइट के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस योजना पर आने वाले समय में तकरीबन 1.41 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।
जानें, क्या है 'अमृत 2.0'?
'अमृत 2.0' का लक्ष्य 4,700 शहरी स्थानीय निकायों के सभी घरों में पीने के पानी की आपूर्ति करना है। इस मिशन के तहत 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का शत-प्रतिशत कवरेज होगा। इससे शहरी क्षेत्रों में करीब 10.5 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। अमृत 2.0 में सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों के तहत काम किया जाएगा। यह सतह और भूजल निकायों के संरक्षण और कायाकल्प को भी बढ़ावा देना। अमृत 2.0 के तहत नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों और कौशल का लाभ उठाने के लिए जल प्रबंधन तथा प्रौद्योगिकी उप-मिशन में डेटा आधारित शासन को बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना के तहत शहरों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए 'पेयजल सर्वेक्षण' शुरू किया जाएगा। इस योजना पर करीब 2.87 लाख करोड़ रुपए खर्च का लक्ष्य है।
उल्लेखनीय है, कि 'स्वच्छ भारत मिशन 2.0' और 'अमृत 2.0' का अगला चरण बाबा साहब अंबेडकर को समर्पित किया गया है। इस मिशन को उन्हीं के सपनों को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम माना गया है। बाबा साहब अंबेडकर असमानता दूर करने का सबसे बड़ा माध्यम 'शहरी विकास' को मानते थे। उनका मानना था कि शहरी असमानता किसी भी व्यक्ति के लिए दोहरी मार की तरह होता है। एक तो व्यक्ति घर से दूर जाता है। ऊपर से ऐसी स्थिति में रहना उसके लिए मुश्किल पैदा करता है। अंबेडकर इसी हालात को बदलना चाहते थे। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार ने 'स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 और मिशन 'अमृत 2.0' को बाबा साहब अंबेडकर को समर्पित किया है।