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The Kashmir Files effect: दोबारा खुलेंगे कश्मीरी पंडित पलायन मामलों के केस, यासीन मलिक और बिट्टा कराटे की बढ़ी मुश्किलें

The Kashmir Files effect: फ़िल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में आतंकी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे के किरदार को बखूबी चित्रित किया गया है।

Rajat Verma
Written By Rajat VermaPublished By Monika
Published on: 23 March 2022 2:45 PM IST
Yasin Malik ,Bitta Karate
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यासीन मलिक और बिट्टा कराटे की बढ़ी मुश्किलें (फोटो : सोशल मीडिया )

Kashmiri Pandit Migration: फ़िल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) की रिलीज के बाद 1990 का दर्द प्रत्येक भारतीय के दिल में फिर सब हरा है। 1990 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकी और अन्य आतंकी संगठनों द्वारा कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) का नरसंहार कर उनको उन्हीं के घर से खदेड़ दिया गया था। फ़िल्म के माध्यम से इससे जुड़े मामले भी एक बार फिर उजागर हो रहे हैं। ऐसे में जेकेएलएफ अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) और बिट्टा कराटे (Bitta Karate) का नाम खूब चर्चा में है।

हालिया प्राप्त सूचना के मुताबिक यह आसार लगाए जा रहे हैं कि दोनों के खिलाफ दर्ज मामलों की फाइलें वापस से खोली जाएंगी। इस बात के संकेत जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह (DGP Dilbag Singh) ने बातों-बातों में दिया है। दिलबाग सिंह ने कहा है कि-"किसी भी घाटी में आतंकियों के खिलाफ़ दर्ज मामलों की जांच की जाएगी और जांच के आधार पर किसी भी आतंकी को बख्शा नहीं जाएगा।"

फ़िल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में आतंकी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे के किरदार को बखूबी चित्रित किया गया है। इसी के आधार पर 1990 के इस मामले की जांच के आसार वापस से जन्म ले रहे हैं।

कौन हैं बिट्टा कराटे और यासीन मलिक

यासीन मलिक एक कश्मीरी अलगाववादी नेता और पूर्व आतंकी संगठन जेकेएलएफ का आतंकवादी हैं, जो कश्मीर को अलग राष्ट्र बनाने की वकालत के लिए जाना जाता है। इसी मांग के चलते यासीन मालिक पर उसके पक्ष में ना रहने वाले 1990 में कश्मीरी पंडितों और अन्य का बड़ी संख्या में नरसंहार करने का आरोप है।

1990 में यासीन मलिक पर एक हमले के दौरान भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या का आरोप लगा था, जिसके तहत वर्तमान में उसपर मुकदमा जारी है। फिलहाल यासीन मलिक तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहा है।

बिट्टा कराटे भी यासीन मलिक की तरह ही जेकेएलएफ का आतंकी और अलगाववादी नेता था और 1990 के दौरान कश्मीरी पंडितों को मारने और उन्हें कश्मीर से भागने के लिए मजबूर करने में उसका बहुत बड़ा हाथ था। अपने एक साक्षात्कार में बिट्टा कराटे ने स्वयं बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों की नृसंश हत्या की बात कबूली थी। बिट्टा कराटे पर करीब 20 ऐसे ही मामले दर्ज किए गए थे, जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया था और बाद में करीब 16 साल जेल में काटने के बाद बिट्टा कराटे को 2006 में अदालत ने रिहा कर दिया था। बिट्टा कराटे का असली नाम फारूक अहमद दार है और कराटे में प्रशिक्षित होने के चलते लोग उसे बिट्टा कराटे बुलाते थे।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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