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कोरोना की दूसरी लहरः तेजी से बढ़ रहा ग्रामीण भारत में प्रकोप, स्थिति विस्फोटक
कोविड महामारी की पहली लहर ने जहां देश के शहरी हिस्से में कहर ढाया था तो पहली से अधिक घातक बनी दूसरी लहर ग्रामीण भारत के गांवों में कहर बरपाती दिख रही है।
नई दिल्लीः कोविड महामारी की पहली लहर ने जहां देश के शहरी हिस्से में कहर ढाया था तो पहली से अधिक घातक बनी दूसरी लहर ग्रामीण भारत के गांवों में कहर बरपाती दिख रही है। खास बात ये हैं कि ये लहर किसान आंदोलन से प्रभावित रहे राज्यों में अधिक तेजी सी कहर बरपा रही है। पिछले दो हफ्तों में पंजाब के दक्षिणी जिलों में कोविड के 60 फीसदी मामले सामने आए हैं। कोरोना वायरस की इस प्रवृत्ति ने स्वास्थ्य अधिकारियों को दक्षिण मालवा, विशेष रूप से मनसा और बठिंडा जिलों के ग्रामीण खंड के रूप में उलझन में डाल दिया है।
इन गांवों में कोरोना वायरस फैलाने में दिल्ली सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की अहम भूमिका नजर आ रही है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि गाँवों से लगभग 60% मामले सामने आ रहे हैं क्योंकि टीकाकरण अभियान में भी ग्रामीणों की रुचि नहीं दिखाई दी है। उदाहरण के तौर पर अगर बठिंडा में 20 कोविड की मौत की सूचना मिलती है, तो 20 मृतकों में से 11 गाँवों से और नौ शहर से होते हैं। इसी मिसाल के तौर पर हरियाणा के गाँव किसान आंदोलन का खामियाजा भुगत रहे हैं। राज्य के सिर्फ 10 गांवों में दो सप्ताह से भी कम समय में 239 "रहस्यमय मौतें" हुईं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लोगों में तेज बुखार और सांस फूलना जैसे लक्षण आ रहे हैं। कमोबेश सभी मौतों में एक जैसे लक्षण रहे। आधिकारिक तौर पर, हालांकि ये सभी मौतें महामारी के तहत सूचीबद्ध नहीं थीं।
हिसार जिले में अकेले बास में पिछले दो हफ्तों में रहस्यमय तरीके से कम से कम 50 लोगों की मौत हुई है। बास में सरपंच राज कुमार ने संख्या की पुष्टि की है। रोहतक जिले के टिटोली में एक मौत के बाद गाँव को सील कर दिया गया और इसे एक नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर दिया गया। गाँव में एक COVID परीक्षण अभियान में कम से कम 25 प्रतिशत नमूने सकारात्मक निकले। खबरों के मुताबिक, हिसार का सिसाय गांव भी पिछले दो हफ्तों में 25 से ज्यादा मौतों का गवाह बना। सूत्रों ने कहा कि स्पष्ट मौतें होने के बावजूद अधिकांश मौतें बिना किसी कारण के हुईं, क्योंकि ग्रामीणों ने खुद का परीक्षण ही नहीं कराया। हिसार के बालसमंद और बेहबलपुर गाँव में, क्रमशः 15 और 16 लोगों की जान चली गई। इसी तरह, सोनीपत के जाटी कलां गाँव में, 16 मौतें दर्ज की गईं और 10 भिवानी के चांग गाँव में। गाँव के मुखिया ने कहा है, कोविड से तीन मौतों की पुष्टि ने गाँव के लोगों को स्तब्ध कर दिया है। हम लक्षणों से पीड़ित लोगों से तुरंत जांच करवाने के लिए कह रहे हैं।
झज्जर जिले के झाड़ली और बेरी गांवों में, 37 शवों का अंतिम संस्कार COVID प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया। रोहतक के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कुछ गाँवों में स्थिति सचमुच गंभीर हो गई है। मेरे गांव, सोनीपत के बड़ौदा में, पिछले 10 दिनों में 30 लोगों ने दम तोड़ दिया। एक अन्य सोनीपत गांव में, 130 में से लगभग 100 का परीक्षण सकारात्मक था। उत्तर प्रदेश में, शाहजहाँपुर के कस्बा में 26 लोगों की मौत हो गई और मेरठ जिले के इंचौली क्षेत्र के सदरनपुर खुर्द में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। पीलीभीत के अमरिया, बरखेड़ा, बीसलपुर, पूरनपुर, बिलसंडा, मरौरी, ललौरीखेड़ा के दर्जनों गांवों में सैकड़ों संक्रमित मरीज मिले हैं। अकेले बीसलपुर क्षेत्र में ही 160 मरीज मिलने की पुष्टि हुई है। ललौरीखेड़ा क्षेत्र में 76 जबकि पूरनपुर में 68 मरीज संक्रमित मिले हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना संक्रमण शहर के अलावा इलाके के गांवों में भी पहुंच चुका है। इनमें मुजफ्फरनगर के गांव कुछ ज्यादा प्रभावित दिख रहे हैं। हालांकि अभी तक सरकारी आंकड़ों में इनकी संख्या सामने नहीं आ पा रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों से आ रही रिपोर्ट में हालत काफी खराब बताई जा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में लगातार नए संक्रमित रोगी मिल रहे हैं। इनकी तुलना में अस्पतालों से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या कम है। मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि जिलों में कुल संक्रमित रोगियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। मुजफ्फरनगर के हालात कुछ ज्यादा ही खराब नजर आ रहे है। पिछली लहर में जहां केसों की संख्या सीमित थी। वहीं इस बार संक्रमण का फैलाव तहसीलों और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से हुआ है।
एक समाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया '' पंचायत चुनाव के बाद से कोरोना का कहर मुजफ्फरनगर जिले में टूट पड़ा। इसमें खासतौर ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित है। इलाके में लोगो को बुखार आ रहा है। बुढ़ाना तहसील और खतौली इलाके में संक्रमित बहुत ज्यादा मिले हैं। यहां पर मौतें भी हो रही है। हमारे यहां कई श्क्षिक और अन्य कर्मचारी इस संक्रमण से मर चुके है। कई गंभीर रूप से भर्ती है। यहां पर 350 के आस-पास श्क्षिक इस संक्रमण की चपेट में है। करीब 20 शिक्षक प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के काल गाल में समाहित हो गये हैं। बिहार के ग्रामीण पश्चिम चंपारण में हुई मौतों में अचानक वृद्धि हुई है। इसी तरह, पंजाब के गुरदासपुर के ग्रामीण इलाकों में कोविड की मृत्यु दर शहरी दर से दोगुनी है। इसकी पुष्टि स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों से होती है।
राजस्थान के जैसलमेर के ग्रामीण इलाकों में पिछले 15-20 दिनों में लगभग 18 लोगों की मौत हो गई। पिछले 20 दिनों में, गुजरात के भावनगर जिले के चोगथ में 90 लोगों ने दम तोड़ दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम के गाँव भी COVID मामलों में अचानक वृद्धि दिख रही है। समस्या इस बात की है कि गांव के लोग सर्दी खांसी जुकाम बुखार को गंभीरता से नहीं लेते और खुद की चिकित्सा पर भरोसा करते हैं, जिसके चलते उचित कोविड उपचार मिलने में देर हो जाती है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रामीणों के बीच उनके शहरी नागरिकों की तुलना में जागरूकता बहुत कम है।
हरियाण के एक सरकारी डॉक्टर का कहना है कि अधिकांश ग्रामीणों का परीक्षण भी नहीं किया जाता है और अगर वे करते भी हैं, तो वे कोविड पाजिटिव की बात अन्य ग्रामीणों से छिपाने की कोशिश करते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण इलाकों में पीएचसी पर पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं। लोग स्वयं-दवा या झोलाछाप डॉक्टरों से परामर्श की कोशिश कर रहे हैं जो स्थिति को गंभीर बना रहा है।
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