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बड़ी जानकारी: दुनिया लम्बी हो रही, भारतीय नाटे होते जा रहे, जानिये क्यों

भारत में बच्चों में स्टंटिंग यानी ठिगनापन पहले से ही एक बड़ी समस्या रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Monika
Published on: 1 Oct 2021 11:12 AM IST
height decreasing india
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भारत में लोगों की लम्बाई हो रही कम (फोटो : सोशल मीडिया )

नई दिल्ली: भारत में बच्चों में ठिगनापन (Thiganapan) पहले से ही चिंता का विषय रहा है। अब तो पता चला है कि जहां दुनिया भर में लोगों का कद बढ़ रहा है , वहीं भारत में इसके विपरीत लोगों का औसत कद छोटा होता जा रहा है । एक्सपर्ट्स ने इसे एक चिंताजनक ट्रेंड बताया है। देश के लोगों में औसत लंबाई (Ausat Lambai) में यह कमी साल 2005 के बाद से आई है , जबकि साल 1989 के बाद से देश के लोगों का कद बढ़ रहा था।

भारत में बच्चों में स्टंटिंग यानी ठिगनापन (Stunting children in India) पहले से ही एक बड़ी समस्या रही है। दरअसल,उम्र के साथ यदि बच्चों की शारीरिक ग्रोथ नहीं होती है तो उससे स्थाई शारीरिक व मानसिक क्षति हो जाती है। यूनिसेफ के अनुसार भारत में 5 साल से कम उम्र के 35 फीसदी बच्चे ठिगने हैं। यानी उनकी ग्रोथ बाधित हुई है। ऐसा क्रोनिक कुपोषण की वजह से है।

लेकिन अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ ने सरकार के वार्षिक राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर आधारित एक शोध किया है। इस शोध रिपोर्ट के परिणामों के मुताबिक भारत में वयस्कों की औसत लंबाई चिंताजनक रूप से गिर रही है। इस अध्ययन में 15 से 50 वर्ष की आयु के बीच के पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई और उनकी सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया। शोध के मुताबिक भारत में 1998-99 की तुलना में 2005-06 और 2015-16 के बीच वयस्क पुरुषों और महिलाओं की लंबाई में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। कद में सबसे ज्यादा गिरावट गरीब और आदिवासी महिलाओं में देखी गई।

एससी एसटी महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव

रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की औसत लंबाई तेजी से घट रही है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो महिलाएं हैं जो एससी या एसटी समुदाय से आती हैं। अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाली एक पांच साल की लड़की की लंबाई में सामान्य वर्ग की लड़की के मुकाबले 2 सेंटीमीटर की कमी आई है। जबकि अमीर घरों से आने वाली महिलाओं की औसत लंबाई में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, पुरुष चाहे अमीर हों या गरीब या पिछड़ी जाति के, उनकी औसत लंबाई में करीब एक सेंटीमीटर की कमी आई है।

ग्लोबल ट्रेंड कुछ और ही है

भारतीय लोगों की औसत लंबाई में गिरावट ग्लोबल ट्रेंड (global trend) प्रवृत्ति के विपरीत है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि भारत में वयस्कों की औसत लंबाई में गिरावट दुनिया भर में औसत लंबाई में वृद्धि के कारण चिंता का विषय है। इसके कारणों की तुरंत पहचान करने की जरूरत है। भारत में महिलाओं की औसत लंबाई पांच फीट एक इंच और पुरुषों की औसत लंबाई पांच फीट चार इंच बताई जाती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि विभिन्न कारणों से वयस्क पुरुषों और महिलाओं की लंबाई प्रभावित होती है। किसी व्यक्ति की लंबाई के लिए 60 से 80 प्रतिशत भूमिका जेनेटिक होती है। इसके अलावा पर्यावरणीय और सामाजिक कारण भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह चिंता का विषय है कि भारत में लोगों की औसत लंबाई में गिरावट गैर-आनुवंशिक कारकों के कारण भी है। इनमें जीवनशैली, पोषण, सामाजिक और आर्थिक कारक शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि समाज के हर वर्ग को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अलावा, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाली बुनियादी सामाजिक और पर्यावरणीय सेवाएं देने पर ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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