Tirange Ka Itihas: तिरंगा कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, क्या है तीन रंगों का मतलब, जानिए तिरंगे के बारें में जरूरी बातें

Tirange Ka Itihas : झंडे को भारत की आजादी की घोषणा से 4 दिन पहले यानी 22 जुलाई सन 1947 को संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया था।

Anshul Thakur
Report Anshul ThakurPublished By Shivani
Published on: 15 Aug 2021 6:37 AM GMT
Tirange Ka Itihas
X

तिरंगा लिए बच्चे (Photo Social Media)

Tirange Ka Itihas : भारत का जो तिरंगा आज आप देख रहे हैं, उस की परिकल्पना आंध्र प्रदेश के पिंगली वैंकैया लिखी थी। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने के बाद पिंगली वैंकैया सरकारी कर्मचारी बन गए थे, लेकिन जब वह गांधी जी के संपर्क में आए तो उनके विचार बिल्कुल बदल गए। कुछ झंडे में बहुत रुचि थी। इसलिए गांधीजी ने उन्हें भारत का झंडा बनाने को कहा। इसके बाद 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के झंडों पर रिसर्च किया और आखिरकार उन्होंने एक झंडा बनाया।

भारत का झंडा किसने बनाया (Bharat Ka Jhanda Kisne Banaya)

जब गांधी जी ने झंडे को देखा तो वह बहुत प्रभावित हुए। जिसके बाद भारत में कांग्रेस पार्टी के सारे अधिवेशन में दो रंग वाले झंडे का इस्तेमाल होने लगा। इसके बाद जालंधर के लाल हंसराज ने झंडे में बीचों-बीच एक चक्र बनाने का सुझाव दिया।

लाल हंसराज वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने पंजाब में आर्य समाज के प्रचार प्रसार और डीएवी स्कूल की स्थापना कराई थी, उनके द्वारा जिस चक्र का सुझाव दिया गया था वह चक्र प्रगति और आम आदमी के प्रतीक के रूप में दिखाया गया।इसके बाद गांधीजी के सुझाव पर ने झंडे में शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी शामिल कर लिया।


इसी तरह हमारे तिरंगा झंडा अपना स्वरूप लेने लगा। पहली बार 1931 में कांग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया सफेद और हरा तीन रंगों वाले झंडे को स्वीकार किया। लेकिन उस वक्त झंडे के बीच अशोक चक्र नहीं बल्कि चरखा था।

तिरंगा कब बना देश का झंडा

कुछ सालों बाद तिरंगे के बीच चरखे की जगह अशोक चक्र बनाया गया। इसी झंडे को भारत की आजादी की घोषणा से 4 दिन पहले यानी 22 जुलाई सन 1947 को संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया था। तिरंगे झंडे को इस्तेमाल करने और फैराने के लिए एंबलम एंड नेम प्रिवेंशन ऑफ प्रॉपर यूज एक्ट 1950 बनाया गया था।

तिरंगे की अहम बातें

Tirange Ka Rang -भारतीय ध्वज संहिता 2002 में तिरंगे के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें पहले भाग में सामान्य जानकारी दी गई है। जैसे झंडे के रंग उसके साइज आदि। इसके दूसरे भाग में झंडे को आम जनता प्राइवेट संस्था और स्कूल में किस तरह इस्तेमाल करना चाहिए, इस बारे में जानकारी दी गई है. वहीं तीसरे भाग में सरकारों और उनसे जुड़ी एजेंसियों द्वारा किस तरह से झंडे का इस्तेमाल किया जाएगा इस बारे में नियम कायदे बताए गए हैं.

Tirange Ka Size- झंडे की चौड़ाई का रेशियो इसकी लंबाई के साथ दो-तीन का है। जिसका मतलब अगर चौड़ाई 2 फुट लंबाई 3 फुट होनी चाहिए। इसी के साथ तिरंगे के बीचो-बीच सफेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का एक चक्र है. यह चक्र सम्राट अशोक की राजधानी रहे सारनाथ के स्तंभ पर बना है. इस चक्र में 24 डांडिया है।



भारत मानक ब्यूरो (बी.आई.सी) ने 1951 में पहली बार तिरंगे झंडे के लिए कुछ नियम बनाए थे। 1968 में तिरंगा बनाने के लिए भी मानक तय कर दिए गए। यह नियम कुछ इस तरह हैं -

⦁ तिरंगा केवल खादी या हाथ से काटे गए कपड़े से ही बनाया जा सकता है

⦁ एक झंडे को बनाने के लिए दो तरह की खादी का इस्तेमाल होता है पहली जिससे कपड़ा बनता है और दूसरी टाट यानी मोटी वाली खादी

⦁ जिस खादी से झंडा बनाया जाता है उसकी बुनाई सामान्य खादी की बुनाई से अलग होती है

⦁ खादी की ऐसी आधिकारिक बनाई कर्नाटक के धारवाण जिले के पास गदग और कर्नाटक के बागलकोट में ही होती है इसी के साथ हुबली में ऐसी एकमात्र लाइसेंस प्राप्त संस्था है जहां झंडा बनाया जाता है

⦁ तिरंगे की बाजार में पहुंचने से पहले ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की प्रयोगशाला में इसका कई बार परीक्षण होता है

⦁ खादी को कड़े गुणवत्ता परीक्षण के बाद ही 3 रंगों में रंगा जाता है और उसमें अशोक चक्र जाना जाता है

तिरंगे के अपमान की क्या है सजा (Tirange Ke Apman Par Kya Saza)

प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल 1971 के तहत अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय झंडे या स्वाधीन का अपमान करता पाया जाता है तो उसे 3 साल तक कीजिए या फिर जुर्माना या दोनों हो सकता है। राष्ट्रगान को रोकने या राष्ट्रगान के लिए जमा हुए लोगों के लिए जानबूझकर बाधा खड़ी करने पर भी अधिकतम 3 साल की सजा जुर्माना भरना पड़ सकता है।


क्या है तिरंगा फहराने का सही तरीका (Tiranga Fahrane ka Sahi Tareeka)

फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के नियम डिटेल में बताए गए हैं, इनमें से कुछ नियम हैं

⦁ अगर राष्ट्रीय ध्वज को खुले में फहराया गया है तो उसे सूरज ढलने से पहले उतार लेना चाहिए

⦁ कभी भी झुकना नहीं चाहिए

⦁ किसी भी हाल में झंडे का रंग रूप बदला नहीं जा सकता या झंडे को उल्टा फहराया नहीं जा सकता

⦁ कभी भी झंडे पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता

⦁ तिरंगे को बुरी क्या गंदी अवस्था में फहराया नहीं जा सकता

कौन फहरा सकता है झंडा (Rashtriya Dhwaj kaun Fahra Sakta hai)

एंबलम एंड द नेम प्रिवेंशन ऑफ पावर यूज एट 1950 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट 2 नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के मुताबिक, साल 2002 से पहले भारत में आम जनता केवल कुछ गिने-चुने राष्ट्रीय त्योहारों पर ही झंडा फहरा सकती थी। साल 2002 में इस कानून में नया बदलाव किया गया। पूर्व सांसद और बिजनेसमैन नवीन जिंदल ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस प्रतिबंध को हटाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी। जिंदल का मानना था कि भारत के हर नागरिक जब मर्यादा और सम्मान के साथ तिरंगा फहराता है तो वह एक देश प्रेम की भावना को व्यक्त कर रहा होता है। उनकी याचिका पर ध्यान देते हुए तत्कालीन सरकार ने और केंद्रीय मंत्री मंत्रिमंडल ने भारतीय झंडा संहिता में 26 जनवरी 2002 को संशोधन किया। इस संशोधन के जरिए अब आम जनता को साल में सभी दिन में झंडा फहराने की अनुमति दी जा चुकी है।

Shivani

Shivani

Next Story