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ममता को लेकर टीएमसी ने बनाई बड़ी रणनीति, दीदी को इसलिए चुना संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष
TMC News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी मौजूदा समय में संसद के किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं
TMC News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी मौजूदा समय में संसद के किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं मगर फिर भी उन्हें टीएमसी संसदीय दल का अध्यक्ष चुना गया है। अभी तक किसी वरिष्ठ सांसद को ही किसी पार्टी के संसदीय दल का अध्यक्ष चुना जाता रहा है। इसलिए टीएमसी के इस कदम पर हैरानी भी जताई जा रही है।
दूसरी ओर सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी की ओर से बहुत सोच समझकर यह फैसला किया गया है। दरअसल पार्टी ममता बनर्जी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार कर रही है। टीएमसी की ओर से ममता को अगले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनाने की तैयारी है और इसी रणनीति के तहत यह बड़ा फैसला किया गया है।
ममता के अनुभव का लाभ उठाएगी पार्टी
ममता के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि दीदी इस पद के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं और उनके मार्गदर्शन में पार्टी आने वाले दिनों में और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि दीदी को संसद के कामकाज का गहरा अनुभव है क्योंकि वे सात बार सांसद रह चुकी हैं। उनके संसदीय दल का अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी और मजबूत होगी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की बैठक में लोकसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता सुदीप बनर्जी और राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ममता को संसदीय दल का अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि कुछ सांसद दिल्ली से बाहर होने के कारण बैठक में हिस्सा नहीं ले सके मगर वे भी इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं। दिल्ली आने पर वे भी इस प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर करेंगे।
ममता के सियासी कद को भुनाने की तैयारी
सियासी जानकारों का कहना है कि अभी तक किसी वरिष्ठ सांसद को ही पार्टी संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुने जाने की परंपरा रही है मगर टीएमसी ने 2024 की रणनीति को ध्यान में रखते हुए ममता को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुना है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता ने मोदी और शाह की जोड़ी को हराने में कामयाबी हासिल की थी। इस जीत के बाद ममता का सियासी कद काफी बढ़ गया है और टीएमसी इसे भुनाने की कोशिश में जुट गई है। अभी तक ममता कोलकाता से केंद्र सरकार पर हमला बोलती रही हैं मगर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुने जाने के बाद अब वे दिल्ली में भी सक्रिय होंगी और मोदी सरकार पर हमला बोलेंगी।
मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं ममता
हाल के दिनों में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला बोलती रही हैं। कोरोना काल में हुई अव्यवस्था,पेगासस जासूसी कांड, किसानों के आंदोलन, मीडिया हाउसेस पर छापे और पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के मुद्दे पर वे लगातार मोदी सरकार पर हमला करती रही हैं।
पिछले दिनों शहीद दिवस पर आयोजित पार्टी के कार्यक्रम में भी उन्होंने मोदी सरकार को घेरा था। ममता के इस कार्यक्रम का प्रसारण पश्चिम बंगाल के बाहर अन्य प्रदेशों में भी किया गया था। इस मौके पर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में भी बड़ा आयोजन हुआ था जिसमें विपक्ष के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। माना जा रहा है कि टीएमसी अब ममता को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की कोशिश में जुट गई है।
दीदी की दिल्ली यात्रा पर सबकी नजर
ममता बनर्जी 25 जुलाई को दिल्ली पहुंचने वाली हैं। इस यात्रा के दौरान वे दो-तीन दिनों तक दिल्ली में रुकेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगी। ममता ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि उनकी प्रधानमंत्री से मुलाकात होगी। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद यह दोनों नेताओं की पहली मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान ममता विपक्ष के बड़े नेताओं से भी मुलाकात करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी उनकी मुलाकात संभावित है। ममता की ओर से उठाए जा रहे इन सभी कदमों को बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वैसे टीएमसी का अभी पश्चिम बंगाल से बाहर अन्य प्रदेशों में मजबूत संगठन नहीं है मगर ममता ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को पश्चिम बंगाल से बाहर पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंप रखी है। आने वाले दिनों में इसका नतीजा दिखने के आसार हैं।