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बाल गंगाधर तिलकः आज है भारतीय क्रांति के जनक की जयंती

बाल गंगाधर तिलक की आज 165वीं जयंती है। तिलक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे...

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Ragini Sinha
Published on: 23 July 2021 10:34 PM IST (Updated on: 9 Aug 2021 3:59 PM IST)
Today is the birth anniversary of Bal Gangadhar Tilak
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बाल गंगाधर तिलक की जयंती (social media)

क्या आप को पता है कि आधुनिक भारत का निर्माता कौन था। और यह पदवी उसे किसने दी थी तो आइए आपको बताते हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को यह उपाधि स्वयं महात्मा गांधी ने दी थी। बाल गंगाधर तिलक की आज 165वीं जयंती है। तिलक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था, उनके पिता का नाम गंगाधर तिलक था, जो विद्वान औऱ एक प्रख्यात शिक्षक थे। बाल गंगाधर तिलक का असली नाम केशव गंगाधर तिलक था। अंग्रेज इन्हें भारत में अशांति का पिता कहते थे।

देश की सरकारों ने वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे

यह सच है आज की पीढ़ी को लोकमान्य तिलक के बारे में बहुत कम जानकारी है। इसकी मूल वजह यह है कि तिलक को आजादी के बाद भी देश की सरकारों ने वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। भारतीय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पूर्व संध्या पर जन्म लेने वाले बालक में कितनी आग होगी इसे सहज ही समझा जा सकता है।

पुणे आने के तुरंत बाद उनके माँ का देहांत हो गया

ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के लिए हुंकार भरने वाले तिलक इकलौते नायक थे जिसने कहा स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। तिलक मात्र दस साल के थे तब उनके पिता का स्थानांतरण रत्नागिरी से पुणे हो गया। इसके बाद उनका दाखिला पुणे के एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल में करा दिया गया जहां उन्हें उस समय के कुछ जाने-माने शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त हुई। पुणे आने के तुरंत बाद उनके माँ का देहांत हो गया और जब वह 16 साल के हुए तब उनके पिता भी चल बसे। इसके बाद तिलक जब मैट्रिकुलेशन में पढ़ रहे थे उसी समय उनका विवाह एक दस साल की कन्या सत्यभामा से करा दिया गया।

1877 में बाल गंगाधर तिलक ने बी.ए. की परीक्षा पास की

लेकिन जीवन की चुनौतियां उनकी शिक्षा के प्रति ललक को कम नहीं कर पाईं मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने डेक्कन कॉलेज में दाखिला लिया। सन 1877 में बाल गंगाधर तिलक ने बी. ए. की परीक्षा गणित विषय में प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की। लेकिन वह रुके नहीं उन्होंने अपनी पढाई जारी रखते हुए एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की।

वह वकील और शिक्षक भी रहें

उन्होंने वकालत भी की। शिक्षक भी रहे और पत्रकारिता भी की। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि यहां उनका गुजारा नहीं है। वह कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे। 1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी। गरम दल में लोकमान्य तिलक के साथ लाला लाजपत राय और श्री बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे। इन तीनों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा। 1908 में लोकमान्य तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया। जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गये और 1916 में एनी बेसेंट जी और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की। जिसका उद्देश्य स्वराज था। उन्होंने गाँव-गाँव और मुहल्लों में जाकर लोगों को 'होम रूल लीग' के उद्देश्य को समझाया।

हिन्दी भाषा के लिए उन्होंने देवनागरी लिपि की वकालत की

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव तिलक की ही देन है। हिन्दी भाषा के लिए उन्होंने देवनागरी लिपि की वकालत की। कहते हैं कि 1919 में कांग्रेस की अमृतसर बैठक में हिस्सा लेने के लिये स्वदेश लौटने तक लोकमान्य तिलक इतने नरम हो गये थे कि उन्होंने मॉन्टेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधारों के द्वारा स्थापित लेजिस्लेटिव कौंसिल (विधायी परिषद) के चुनाव के बहिष्कार की गान्धी जी की नीति का विरोध ही नहीं किया। इसके बजाय लोकमान्य तिलक ने क्षेत्रीय सरकारों में कुछ हद तक भारतीयों की भागीदारी की शुरुआत करने वाले सुधारों को लागू करने के लिये प्रतिनिधियों को यह सलाह अवश्य दी कि वे उनके प्रत्युत्तरपूर्ण सहयोग की नीति का पालन करें। लेकिन नये सुधारों को निर्णायक दिशा देने से पहले ही 1 अगस्त, 1920 ई. को बम्बई में उनकी मृत्यु हो गयी। मरणोपरान्त श्रद्धांजलि देते हुए गान्धी जी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक बतलाया।



Ragini Sinha

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