×

Top 10 Corrupt IAS: भारत के 10 शीर्ष भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की सूची, जिनकी अवैध कमाई ने कर दिया था दंग

Top 10 Corrupt IAS: आजादी के बाद से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे कई नौकरशाह हैं, जिन्होंने अपने सेवाकाल में अकूत संपत्ति जमाने की कोशिश की। चलिए जानते हैं इनके बारे में-

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 7 May 2022 9:54 AM GMT (Updated on: 9 May 2022 12:48 PM GMT)
Top 10 Corrupt IAS: भारत के 10 शीर्ष भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की सूची, जिनकी अवैध कमाई ने कर दिया था दंग
X

भ्रष्ट आईएएस (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Top 10 Corrupt IAS Of India: झारखंड (Jharkhand) की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल (Pooja Singhal IAS) के यहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापे ने एकबार फिर देश की नौकरशाही के अंदर व्यापत भारी भ्रष्टाचार (Corruption) को सबके सामने ला दिया है। ईडी ने इनके ठिकानों से अबतक 20 करोड़ से अधिक की नकदी बरामद की है। इसी के साथ सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर पर भी शुरू हो गया है। पूजा सिंघल कोई देश की इकलौती आईएएस अधिकारी नहीं है जिन्होंने अपने कुशाग्र बुद्धि का इस्तेमाल अवैध रूप से अपनी तिजोड़ी को भरने में किया।

आजादी के बाद से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे कई नौकरशाह हैं, जिन्होंने अपने सेवाकाल में अकूत संपत्ति जमाने की कोशिश की। तो आईए एक नजर देश के उन 10 चर्चित आईएएस अधिकारियों (Indian IAS Officers) पर नजर डालते हैं-

1. ए मोहन (A Mohan IAS)

एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2016 में आंध्र प्रदेश (IAS A Mohan Andhra Pradesh) में एक छापामार कार्रवाई के दौरान पूर्वी गोदावरी जिले के परिवहन आयुक्त ए मोहन (A Mohan IAS) के पास से अकूत संपत्ति का पता लगाया था। मोहन के पास कई राज्यों में 800 करोड़ रूपये की चल-अचल संपत्ति थी। कार्रवाई के दौरान उसके पास से 14 फ्लैट के कागजात समेत 2 किलो सोना और पांच किलो चांदी बरामद हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, मोहन ने बड़ी बेटी तेज श्री के नाम पर आठ बेनामी कंपनियां बनाई थी। जिसकी कीमत 100-120 करोड़ रूपये आंकी गई थी।

2. अखंड प्रताप सिंह (Akhand Pratap Singh)

साल 1996 में उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन ने अपने एक सर्वेक्षण में अखंड प्रताप सिंह (Akhand Pratap Singh IAS) को कथित रूप से देश का सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारी बताया था। उनकी सारी संपत्ति की जांच की मांग की गई थी, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने मना कर दिया था। केंद्र सरकार ने अखंड प्रताप के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी, जिसे तत्तकालीन राजनाथ सिंह सरकार ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद सत्ता में आईं मायावती ने न केवल सीबीआई जांच की एक और मांग ठुकराई बल्कि उनके खिलाफ विजिलेंस के मामले भी वापस ले लिए।

मायावती के बाद सत्ता में आए मुलायम सिंह यादव को सिंह पर और मेहरबान दिखे। उन्होंने अखंड प्रताप को सूबे का मुख्य सचिव बना दिया और केंद्र सरकार की सहमति से उन्हें सेवा विस्तार भी दिया। अपने सेवाकाल में अलग-अलग सियासी आकाओं को साधने में माहिर अखंड प्रताप सिंह आखिरकार अवकाश के बाद सीबीआई के शिकंजे में आ ही गए। सीबीआई की जांच में पता चला कि उन्होंने अपने तीस साल के करियर में आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। उनकी संपत्तियों में एक बड़ी राजसी कोठी, चार अन्य घर, चार प्लॉट, गुरूग्राम में चार फ्लैट, लखनऊ के पास एक फॉर्म हाउस, 82 लाख रूपये नकद और 13 गाड़ी शामिल थे।

3 अरविंद जोशी, 4 टीनू जोशी

आईएएस अधिकारी अरविंद जोशी (IAS Arvind Joshi) और आईएएस अधिकारी टीनू जोशी (IAS Tinu Joshi) पति-पत्नी हैं। दोनों 1979 के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। 2011 में जोशी दंपति तब सुर्खियों में आया, जब आयकर विभाग ने एमपी की राजधानी भोपाल स्थित इनके घर पर छापा मारा। इस कार्रवाई में आयकर विभाग ने तीन करोड़ रूपये नकद और करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए थे। कार्रवाई के अगले ही दिन दोनों को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। उनके पास से 350 करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति मिली थी।

5. नितेश जर्नादन ठाकुर (Nitish Janardhan Thakur)

साल 2012 के मार्च महीने में मुंबई एसीबी ने आईएएस अधिकारी नितेश जर्नादन ठाकुर (Nitesh Janardhan Thakur) के घर छापा मारा था। छापेमारी करने के बाद एसीबी को पता चला कि ठाकुर के पास 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति थी, वह भी उनकी सेवा के 12 वर्षों के भीतर। 10 लग्जरी वाहन भी मिले। जब वह अलीबाग के कलेक्टर थे, तो उन्होंने जमीन के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। उन्होंने सेवा में रहते हुए कई शेल कंपनियों की स्थापना की, और 300 करोड़ एकत्र किए। ईडी द्वारा जांच शुरू करने से पहले नितेश ठाकुर विदेश भाग गया था और वर्तमान में दुबई में बताया जा रहा है। वह भारत के अब तक के सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों में से एक हैं।

6. नीरा यादव (Neera Yadav)

नीरा यादव (Neera Yadav) ने 1971 में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की और सेवा संवर्ग के रूप में अपना गृह राज्य यूपी प्राप्त किया। उनका नाम यूपी और एनसीआर में विभिन्न भूमि घोटालों में शामिल है। नीरा यादव को 2012 में सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था। उन्होंने करीबी राजनीतिक संपर्क बनाए रखा, जिसके कारण अधिकारी उनके खिलाफ जांच करने से हिचक रहे थे। अगस्त 2017 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दो साल की जेल की सजा को बरकरार रखा। बता दें कि नीरा को 1996 में यूपी आईएएस एसोसिएशन ने राज्य का दूसरे सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारी घोषित किया था। मुलायम सिंह यादव ने नीरा यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार की कई गंभीर शिकायतों के बावजूद उन्हें 2005 में यूपी का मुख्य सचिव बनाया था।

7. एस. मलाइचामी

एस. मलाइचामी (S. Malaichamy IAS) खादी ग्राम उद्योग में पूर्व एमडी थे। दिसंबर 2012 में उन्हें 50 लाख रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए पांच साल की जेल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। वह 1971 बैच (एजीएमयूटी कैडर) के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी के रूप में भी काम किया था। 1971 में आईएएस अधिकारी बनने के बाद उनकी संपत्ति 46 लाख से बढ़कर 1.3 करोड़ रुपये हो गई।

8. टी.ओ सरोज

टी.ओ सरोज (T.O Saroj) केरल कैडर के वरिष्ठ आईएएस हैं। 2003 से उनका नाम कई विवादों में रहा है। उनका नाम मराड में हिंदू-मुस्लिम दंगों को भड़काने में सामने आया, जब वह जिला कलेक्टर अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उन पर कई जमीन हड़पने के मामले और संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप है। विजिलेंस और एसीबी ने उनके आवास पर छापेमारी करते हुए 20 लाख रुपये और 30 करोड़ की संपत्ति बरामद की। वह बेनामी लेनदेन में भी शामिल है।

9. राकेश बहादुर (Rakesh Bahadur)

राकेश बहादुर (Rakesh Bahadur IAS) उत्तर प्रदेश कैडर के एक दागी सीनियर आईएएस अधिकारी हैं। उनका यूपी में समाजवादी पार्टी से बहुत करीबी रिश्ता है। राकेश बहादुर को 2009 में बसपा द्वारा निलंबित कर दिया गया था जब नोएडा भूमि आवंटन परियोजना में अनियमितता देखी गई थी। वह अपने साथियों के साथ 4000 करोड़ रुपये में शामिल बताया जाता है।

10. बाबूलाल अग्रवाल (Babulal Agrawal IAS)

1998 बैच के आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल (Babulal Agrawal IAS) को साल 2010 में छत्तीसगढ़ सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। उस दौरान वो कृषि विभाग के सचिव के पद पर कार्यरत थे। दरअसल आयकर विभाग की रेड में उनके पास से 500 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के बारे में पता चला था। उनके 446 बेनामी बैंक अकाउंट में 40 करोड़ रूपये जमा थे। उनके ऊपर धनशोधन का भी आरोप है। ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी 27.86 करोड़ रुपए की संपत्ति को अटैच कर दिया था।

बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट 2022 में भारत को 180 देशों की सूची में 85वां स्थान मिला है। जो कि 2021 से एक पायदान ऊपर है।

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story