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संसदीय समिति ने ट्विटर से दो दिनों में मांगा जवाब, प्रसाद और थरूर के अकाउंट का मामला
प्रसाद और थरूर के अकाउंट को अस्थायी रूप से बंद किए जाने के मामले में संसद की समिति ने ट्विटर से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के ट्विटर अकाउंट को अस्थायी रूप से बंद किए जाने के मामले में संसद की एक समिति ने माइक्रो-ब्लॉगिंग इकाई से दो दिनों के अंदर जवाब तलब किया है। सूचना प्रौद्योगिकी मामलों संबंधी स्थायी समिति ने ट्विटर को पत्र भेजकर दो दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है। बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर इस समिति के प्रमुख हैं। समिति ने ट्विटर के खिलाफ ऐसे समय में यह कदम उठाया है जब वह नए आईटी नियमों सहित अन्य मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार से उसकी रस्साकशी चल रही है। जानकारों कि मानें तो थरूर ने समिति को निर्देश दिया था कि रविशंकर प्रसाद और उनके अकाउंट पर रोक लगाने को लेकर ट्विटर से जवाब तलब किया जाए।
गौरतलब है कि रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों ट्वीट कर अपने अकाउंट को अस्थायी रूप से बंद किए जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि ''दोस्तो! आज कुछ बहुत ही अनूठा हुआ। ट्विटर ने संयुक्त राज्य अमेरिका के डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट अधिनियम (डीएमसीए) के कथित उल्लंघन के आधार पर करीब एक घंटे तक मेरे अकाउंट को रोका और बाद में उन्होंने मुझे अकाउंट के इस्तेमाल करने की मंजूरी दी। रविशंकर प्रसाद के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मामलों संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने लिखा था, ''रवि जी, मेरे साथ भी इसी तरह हुआ है। इससे साफ होता है कि डीएमसीए अति सक्रिय हो रहा है।'' शशि थरूर के मुताबिक, ट्विटर ने वोकल ग्रुप (संगीत समूह) 'बोनी एम' के गाने 'रासपुतिन' से संबंधित कॉपीराइट का हवाला देकर उनके एक ट्वीट को हटा दिया था।
थरूर ने बताया था कि एक पूरी प्रक्रिया के बाद उनका अकाउंट फिर से शुरू हो सका। इस मामले में उन्होंने कहा था कि ट्विटर से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। वहीं जानकारी मिल रही है कि फेसबुक और गूगल के अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग के मुद्दे पर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान समिति की तरफ से दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा गया कि वे नए आईटी नियमों, सरकार के दिशानिर्देशों और अदालती आदेशों का पालन सुनिश्चित करें।