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UNSC India Agenda : मोदी करेंगे यूएनएससी की अध्यक्षता, यह होगा एजेंडा

UNSC India Agenda : भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता 09 अगस्त को करने जा रहा है।

AKshita Pidiha
Report AKshita PidihaPublished By Shraddha
Published on: 3 Aug 2021 11:24 AM IST (Updated on: 3 Aug 2021 11:29 AM IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे यूएनएससी की अध्यक्षता
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे यूएनएससी की अध्यक्षता (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

UNSC India Agenda : भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (India United Nations Security Council) की अध्यक्षता 09 अगस्त को करने जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पहले राजनीतिज्ञ होंगें जो सभी बैठकों को संबोधित करेंगे। मतलब आने वाले समय में भारत एक बड़ी भूमिका में नजर आएगा। प्रधानमंत्री के अलावा कई उच्च स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सहित भारत के शीर्ष अधिकारी करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (T.S. Tirumurti) ने जानकारी साझा करते हुए बताया है कि इस एक महीने के दरमियान भारत तीन हाई लेवल मीटिंग करने जा रहा है, जिसमें समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद का मुकाबला जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत दो माह पहले से ही इस बैठक की तैयारियों में लग गया है। भारत ने अमेरिका और रूस जैसे देशों के विदेश मंत्री से बात की है। जिन्होंने इन मुद्दों पर भारत को सहयोग देने की बात कही है। साथ इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच में लाने के लिए भारत की तारीफ भी की है।

ये सिर्फ संयोग की ही बात है कि भारत को जिन दो वर्षों की अध्यक्षता का मौका मिला है। उसमें भारत की स्वातन्त्रता के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसके साथ ही आने वाले 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के दो साल भी पूरे हो रहें हैं और तो और अभी के दिनों में अमेरिका अपने सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला रहा है। जिससे तालिबान सक्रिय हो चला है।

UNSC की बैठक ( फोटो - सोशल मीडिया)

इस प्रकार भारत जो समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद पर रोकथाम, शान्ति वार्ता के लिए जो मुद्दे उठाने वाला है उससे पाकिस्तान को झटका लग सकता है। इसी लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता जाहिद हाफिज चौधरी ने बयान जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान उम्‍मीद करता है कि भारत अपनी अध्‍यक्षता में निष्‍पक्ष रूप से काम करेगा। चौधरी ने ये भी कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के संचालन को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक नियमों और मानदंडों का पालन करेगा। इस मौके पर पाकिस्‍तान ने एक बार फिर से जम्‍मू कश्‍मीर का भी जिक्र छेड़ा। प्रवक्‍ता ने ये भी कहा कि भारत का अध्‍यक्ष बनने का अर्थ ये भी है कि पाकिस्‍तान जम्‍मू कश्‍मीर के मुद्दे को इस मंच पर नहीं उठा सकेगा।इस तरह पाकिस्तान का डर तो साफ दिखाई दे रहा है।

भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का अस्‍थायी सदस्‍य नियुक्‍त किया गया था। भारत को दो वर्षों के लिए इसका अस्‍थायी सदस्‍य बनाया गया है। भारत दिसंबर 2022 में एक बार फिर से इस पद पर आसीन होगा। त्रिमूर्ति का कहना है कि समुद्री सुरक्षा भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता में शामिल है। उन्‍होंने ये भी कहा कि भारत चाहता है कि सुरक्षा परिषद इस मुद्दे गंभीरता दिखाएगी।

तालिबान का वापस लौटना और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होना

पाकिस्तान की सरकार के लिए दोनों मुद्दे काफी अहम हैं और ऐसे में भारत के पास यूएनएससी की अध्यक्षता का जाना, उसे ठीक नहीं लगा होगा। यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चीन हमेशा से उसके साथ रहा है लेकिन अगस्त महीने में सुरक्षा परिषद की किसी भी बैठक में अध्यक्ष होने के नाते भारत की भी अहम भूमिका होगी। पिछले दो सालों में जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीन बार चर्चा हुई है।


UNSC में शामिल होने वाले भारत के एजेंडे (फोटो - सोशल मीडिया)

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी इस महीने पूरी हो जाएगी। ऐसे में अगस्त महीना इस लिहाज से भी अहम है। इस प्रकार पाकिस्तान को भारत अफगानिस्तान के लिए एक बाधा के रूप में नज़र आएगा। चूंकि अभी बीते दिन विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अफगानिस्तान में पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा की। बाद में अमेरिकी मैगज़ीन के हवाले से खबर आयी तालिबानियों ने दानिश को पहचानने के बाद उसकी हत्या की।

हाल ही में पता चला है कि पाकिस्तान में ही जैश- ए - मोहम्मद का सरदार मसूद अजहर भी पाकिस्तान में ही छिपा बैठा है।इस प्रकार भारत के पास आतंकवाद पर गहरी चोट करने और पाकिस्तान को घेरने के लिए बहुत कठोर वजह है।

अगले साल दिसंबर में फिर मौका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा को लेकर होने वाली उच्च स्तरीय डिबेट की अध्यक्षता करेंगे। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 और 19 अगस्त को शांति स्थापना और आतंकवाद पर प्रहार से संबंधित बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल 1 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ। यह सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर 2021-22 कार्यकाल के दौरान भारत की पहली अध्यक्षता है। भारत अगले साल दिसंबर में फिर से सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा। सबसे प्रमुख मुद्दा समुद्री सुरक्षा होगा । भारत आखिर क्यों समुद्री सुरक्षा पर इतना जोर दे रहा है ?

किसी भी देश के लिए जितनी महत्त्वपूर्ण उसकी स्थलीय सीमाएँ हैं उतनी ही महत्त्वपूर्ण जलीय सीमाएँ भी हैं। भारत एक प्रायद्वीपीय देश है जो पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है।भारत अपनी जलीय सीमा के देशों जैसे पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ साझा करता है। 2016 में पाकिस्तान ने समुद्र के रास्ते ही घुसपैठ करने की कोशिश की थी हालांकि वो नाकामयाब हुई थी।भारत और पाकिस्तान के सीमा में अक्सर उतारचढ़ाव के सम्बंध देखे जाते हैं।इसलिये पाकिस्तान दोतरफा वार समुद्र के रास्ते से करने की कोषसिष करता है।208 में मुंबई में हुए हमले इसी का प्रमाण हैं।

भारत की विभिन्न देशों के साथ लंबी जलीय सीमा से कई प्रकार की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती है। इन चुनौतियों में समुद्री द्वीपों निर्जन स्थानों में हथियार एवं गोला बारूद रखना, राष्ट्रविरोधी तत्त्वों द्वारा उन स्थानों का प्रयोग देश में घुसपैठ करने एवं यहाँ से भागने के लिये करना, अपतटीय एवं समुद्री द्वीपों का प्रयोग आपराधिक क्रियाकलापों के लिये करना, समुद्री मार्गों से तस्करी करना आदि शामिल हैं।

समुद्री तटों पर भौतिक अवरोधों के न होने तथा तटों के समीप महत्त्वपूर्ण औद्योगिक एवं रक्षा संबंधी अवसंरचनाओं की मौजूदगी से भी सीमापार अवैध गतिविधियों में बढ़ोतरी होने की संभावना अधिक होती है।मुंबई हमले के बाद से तटीय, अपतटीय और समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये सरकार ने कई उपाय किये हैं।

ब्लू इकोनॉमी लक्ष्य की प्राप्ति

इस तरह भारत न सिर्फ हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों को साध सकेगा बल्कि ब्लू इकॉनमी के लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकेगा। ब्लू इकॉनमी पर बल देने तथा हिंद महासागर क्षेत्र के महत्त्व को देखते हुए ही नई सरकार ने अपने शपथ ग्रहण में बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों को आमंत्रित किया, इतना ही नहीं भारतीय प्रधानमंत्री नें अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये मालदीव और श्रीलंका चुना। भारत के लिए समुद्री सुरक्षा के लिए अनेक चुनोतियाँ सामने आती हैं जैसे कि समुद्री लुटेरे,आतंकवाद, संगठित अपराध,स्वतंत्र नौवाहन में बाधा जैसे चीन का चारों तरफ से हमे घेरना जिसे स्ट्रिंग ऑफ पर्ल कहते हैं ।

इन सब को ध्यान में रखते हुए भारत के पास एक अच्छा मौका है ।भारत की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों को इस परिषद में उठाकर अपना रुख साफ कर सकता है। इसके अलावा भारत की भूमिका सख्त होगी तो अन्य छोटे राष्ट्रों के लिए भी भारत एक प्रेरणा का काम करेगा जो आने वाले समय में सुरक्षा नके मामलों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।



Shraddha

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