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पत्र का विवाद: नफरत की राजनीति करने वालों का मोहरा बने पूर्व नौकरशाह
उत्तर प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले नौकरशाहों की आलोचना की है।
Letter Controversy: देश के सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को लिखे पत्र को आपत्तिजनक मानते हुए उत्तर प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों ने पत्र लिखने वाले नौकरशाहों की आलोचना की है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले पूर्व नौकरशाह (former bureaucrat) नफरत की राजनीति करने वालों का मोहरा बन गए हैं। जिसके चलते ही पाकिस्तान टुडे में छपे एक विवादास्पद लेख का संज्ञान लेते हुए इन पूर्व नौकरशाहों ने नफरत की राजनीति (politics of hate) खत्म करने का मांग पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की। पूर्व नौकरशाहों का यह व्यवहार उचित नहीं है। पूर्व नौकरशाहों को बिलावजह सनसनी फ़ैलाने के प्रयासों से बचना चाहिए।
गौरतलब है कि देश के 108 पूर्व नौकरशाह जिनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टी. के. ए. नायर शामिल हैं आदि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह उम्मीद जतायी कि वह नफरत की राजनीति को समाप्त करने का आह्वान करेंगे।
नौकरशाहों ने लिखा- पूर्वजों द्वारा तैयार संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा
इन नौकरशाहों ने पत्र में लिखा है कि जिस तेज गति से हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा है, वह हमें बोलने और अपना गुस्सा तथा पीड़ा व्यक्त करने के लिए मजबूर करता है। पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत व हिंसा में वृद्धि ने एक भयावह नया आयाम हासिल कर लिया है। नौकरशाहों के इस पत्र के मीडिया में आने पर इस संज्ञान में लिए गया।
देश में अविश्वास का माहौल बनाने के लिए लिखा गया पत्र : डा.मसूद अहमद
इसी क्रम में हुई पड़ताल में पाया गया पाकिस्तान टुडे में प्रकाशित दीदार अली बंगवार के विवादित लेख से उठाए गए सवालों को आधार बनाते हुए ही पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। जिस पर बुधवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त। उन्होंने पूर्व नौकरशाहों के पत्र को गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास का माहौल बनाने के लिए लिखा हुआ बताया।
संबित पात्रा ने यह भी कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सकारात्मक शासन के साथ काम कर रही है, जबकि पूर्व नौकरशाहों का यह समूह नकारात्मकता फैलाना चाहता है। कुछ ऐसे ही विचार यूपी के शिक्षा मंत्री रहे और भारतीय क्रांति मोर्चा के संयोजक डा. मसूद अहमद के भी हैं।
वह कहते हैं कि इस पत्र के पीछे गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास पैदा करने का एक विशेष एजेंडा है। ये पूर्व नौकरशाह जब भी बोलते हैं जहर ही उगलते हैं। देश में जो अच्छे कार्य हो रहे हैं उनपर यह लोग कोई पत्र नहीं लिखते। समाज में तनाव फैलाने वाले मसलों पर ही ये पत्र लिखते हैं। राष्ट्रीय लोकदल के नेता भी डा।मसूद के कथन से सहमत होते हुए कहते हैं कि पूर्व नौकरशाहों को पाकिस्तान के एजेंडे का प्रचार करने से बचना चाहिए। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने भी पूर्व नौकरशाह के लिखे पत्र को प्रचार पाने का प्रयास माना है।
यूपी के राजनीतिक दलों ने पत्र लिखने वाले पूर्व नौकरशाहों को आड़े हाथों लिया
लखनऊ के जयनारायण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज (Jaynarayan Post Graduate College) में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्र पूर्व नौकरशाहों के इस पत्र गैर जरूरी प्रयास बताते हैं। उनका कहना है कि कभी देश की सत्ता पर काबिज रहे यह पूर्व नौकरशाह अब हाशिए पर चलते गए हैं ऐसे में भारत विरोधी संगठनों के विचार उठाकर यह लोग मीडिया में जगह पा जाते हैं। जिसके चलते अब पूर्व नौकरशाहों के यह समूह तीन चार माह में ऐसे विवादों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिख देते हैं जिन्हें भारत से नाराज रहने वाले देश उठाना चाहते हैं।
जैसा कि पाकिस्तान टुडे में छपे विवादित लेख का संज्ञान लेकर पूर्व नौकरशाहों ने किया है। इन नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जो गैरजरूरी बातों का जिक्र किया उसका उल्लेख पाकिस्तान टुडे में छपे दीदार अली बंगवार के लेख में हैं। जिसके आधार पर अब यह कहा जा सकता है कि देश में नफरत की राजनीति करने वालों का मोहरा बन गए हैं देश के तमाम पूर्व नौकरशाह।