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बड़ा सियासी संदेश देंगे पांच राज्यों के चुनाव, भाजपा के साथ विपक्ष के लिए भी अहम साबित होंगे नतीजे

Assembly Elections: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से निकलने वाला सियासी संदेश दिल्ली तक की सियासत पर असर डालने वाला साबित होगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 Jan 2022 12:06 PM IST
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चुनाव (फोटो-सोशल मीडिया)

Assembly Elections: 2024 की सियासी जंग से पहले उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच होने जा रहे इस चुनाव को दूरगामी असर वाला माना जा रहा है। विपक्ष के साथ ही भाजपा के लिए भी यह चुनाव काफी अहम साबित होंगे, क्योंकि जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनमें से चार राज्यों में भाजपा की ही सरकारें हैं। इन पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश के चुनाव को सबसे अहम माना जा रहा है क्योंकि इसका असर पूरे देश की सियासत पर पड़ने वाला है।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से निकलने वाला सियासी संदेश दिल्ली तक की सियासत पर असर डालने वाला साबित होगा। हाल के दिनों में कई चुनावों में भाजपा के हाथों पटखनी खाने वाली कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव बड़ा सियासी संदेश सुनाने वाला है। देश में 2024 में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections in 2024) होने हैं और ऐसे में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है।

लोगों के मूड का बड़ा संकेत

उत्तर प्रदेश समेत जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें देश की करीब 25 फ़ीसदी आबादी रहती है। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस चुनाव से लोगों के मूड का बड़ा संकेत माना जाएगा।

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय तक चले किसान आंदोलन का असर भी इन चुनाव नतीजों से आंका जाएगा। विशेष रूप से तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में किसान आंदोलन का असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

आंदोलन वापस न करा पाने के बाद सियासी नुकसान की आशंका से ही पीएम मोदी पहले ही कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। फिर भी कई इलाकों में किसानों की नाराजगी अभी तक दूर नहीं हो सकी है। किसानों का गुस्सा तो जरूर कुछ कम हुआ है मगर एमएसपी समेत कई अन्य मुद्दों पर अभी भी उनकी नाराजगी बरकरार है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा चुनावों पर इस नाराजगी का कितना असर पड़ता है।

कांग्रेस के लिए क्यों अहम हैं चुनाव

जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें सिर्फ पंजाब में ही कांग्रेस की सरकार है। पार्टी उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी हुई है। पंजाब में कांग्रेस नेताओं के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू समय-समय पर अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं। चुनावी नतीजे अच्छे नहीं रहे तो कांग्रेस और राहुल गांधी की मुश्किलें और बढ़ेंगी।

पार्टी का एक खेमा लगातार पार्टी के कमजोर होने पर सवाल उठाता रहा है। इसके साथ ही संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की मांग भी की जाती रही है। ऐसे में राहुल और प्रियंका को इन विधानसभा चुनावों में दमखम दिखाना होगा। उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे प्रियंका के नेतृत्व कौशल की परीक्षा साबित होंगे। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस की अगुवाई की कमान संभाल रखी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव उनके लिए भी बड़ी चुनौती साबित हो गए।

यूपी में अखिलेश के सामने बड़ी चुनौती


उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी इस बार दमखम दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सभाओं में काफी भीड़ उमड़ती रही है मगर इस भीड़ को वोट में बदलना भी बड़ी चुनौती है। अब चुनाव आयोग की ओर से रैलियों और रोड शो पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में वर्चुअल ढंग से मतदाताओं तक पहुंचना भी अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।

हालांकि उन्होंने पहले ही वर्चुअल प्रचार में भाजपा से पिछड़ जाने की बात स्वीकार कर ली है। ऐसे में अखिलेश को भी उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनौती देने में बड़ी मशक्कत करनी होगी। अखिलेश ने आरएलडी समेत अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन की घोषणा की है मगर सीटों के तालमेल को अंतिम रूप देना भी चुनौतीपूर्ण काम है।

आम आदमी पार्टी की भी परीक्षा

पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। पंजाब में पार्टी का जनाधार पहले से मजबूत रहा है। अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों में पार्टी की ताकत दिखाने की बड़ी चुनौती है।

पार्टी के नेता संजय सिंह उत्तर प्रदेश में काफी दिनों से सक्रिय हैं मगर अभी तक पार्टी की चुनावी हवा को मजबूती नहीं दे सके हैं। पार्टी किसी दूसरे दल के साथ मजबूत सियासी गठबंधन भी नहीं कर सकी है। ऐसे में विधानसभा चुनाव आप के लिए भी बड़ा सियासी संदेश देने वाले साबित होंगे।


भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश सबसे अहम

राजनीतिक पंडितों के मुताबिक भाजपा के लिए सबसे अहम चुनाव उत्तर प्रदेश का है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई में एनडीए ने 325 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार पार्टी के लिए चुनौतियां काफी बढ़ गए हैं। विभिन्न मुद्दों को लेकर राज्य की योगी सरकार की मजबूत घेरेबंदी की जा रही है।

भाजपा के लिए बहुकोणीय मुकाबला फायदेमंद साबित होता रहा है मगर अभी तक की स्थिति के मुताबिक राज्य में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने की स्थिति दिख रही है। पार्टी ने चुनाव के पहले से ही पूरी ताकत लगा रखी है और अब देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी अपनी मुहिम में कहां तक कामयाब हो पाती है।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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