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Covid-19 Vaccination: वैक्सीनेशन की रफ्तार फिर सुस्त, दिसंबर तक नहीं मिल पायेगी सुरक्षा
Vaccination News: अमेरिका ने जरूरतमंद देशों को अपना सरप्लस वैक्सीन स्टॉक बांटने की घोषणा की है लेकिन ये स्टॉक कब मिलेगा अभी तय नहीं है। जिस तरह से कोरोना वायरस के नए-नए वेरियंट आ रहे हैं उसमें ये बहुत जरूरी है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन कर दिया जाए।
Vaccination News: देश की करीब 140 करोड़ आबादी में अभी तक 32 करोड़ 36 लाख खुराकें लगीं हैं। और अभी तक 5.6 फीसदी से कम आबादी का ही पूर्ण वैक्सीनेशन हो पाया है। पूरी व्यस्क आबादी के वैक्सीनेशन का सफर अभी लम्बा है। इसकी वजह वैक्सीनों की धीमी सप्लाई है।
कोविशील्ड और कोवैक्सिन को मिला कर मई महीने में साढ़े सात करोड़ खुराकें सरकार को मिली थीं। जून में उपलब्धता बढ़ी और 12 करोड़ खुराकें हासिल हुईं। अगले महीने यानी जुलाई में 13 करोड़ 50 लाख खुराकें मिलने की उम्मीद है। वैसे, अब केंद्र सरकार ने कहा है कि साल के अंत तक पांच कंपनियों से कोरोना वैक्सीनों की 188 करोड़ खुराकें मिलने की उम्मीद है। अगर इतनी भी वैक्सीनें मिल जाती हैं तो 18 साल से ऊपर के सभी 94 करोड़ नागरिकों के हिस्से में दो - दो डोज हो जाएंगी। पहले कहा गया था कि अगस्त से दिसंबर के बीच देश में 216 करोड़ खुराकें उपलब्ध होंगी।
दो प्रमुख वैक्सीनें
भारत का वैक्सीनेशन अभियान फिलहाल दो वैक्सीनों पर ही निर्भर है। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने इस साल अगस्त से दिसम्बर तक 1 अरब 30 करोड़ डोज देने का वादा सरकार से किया हुआ है। भारत में कुछ अन्य वैक्सीनों का या तो ट्रायल चल रहा है या उनकी जांच प्रक्रिया जारी है। जहां तक रूस की स्पूतनिक वैक्सीन की बात है तो भारत ने इसे एमरजेंसी मंजूरी दी है और रूस से 30 लाख डोज मिली भी हैं लेकिन उसका प्रोडक्शन अभी भारत में शुरू होना बाकी है।
अमेरिका से मदद
भारत को अमेरिका से भी मदद की उम्मीद है। अमेरिका ने जरूरतमंद देशों को अपना सरप्लस वैक्सीन स्टॉक बांटने की घोषणा भी की है लेकिन ये स्टॉक कब मिलेगा अभी तय नहीं है। जिस तरह से कोरोना वायरस के नए नए वेरियंट आ रहे हैं उसमें ये बहुत जरूरी है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन कर दिया जाए। संक्रमण जितना सीमित होगा, नए वेरियंट की समस्या से उतनी मजबूती से निपट सकेंगे।
अमेरिका में आधी से ज्यादा आबादी का वैक्सीनेशन कर दिया गया है जिसके चलते वहां जनजीवन लगभग नार्मल हो चुका है। इस सामान्य अवस्था को हासिल करने के लिए भारत को भी बहुत तेजी से वैक्सीनेशन का काम करना है। चूंकि अब ये भी मसला है कि वैक्सीन से मिली सुरक्षा कितने दिन तक काम करेगी। ऐसे में अब तीसरी बूस्टर डोज भी लगने की बात है। लेकिन भारत और तमाम देशों में अभी पहली और दूसरी डोज ही ज्यादातर लोगों को नहीं लग पाई है तो तीसरी डोज दूर की बात है।
चीन ने एक अरब का आंकड़ा पार किया
दुनियाभर में वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार चीन ने दिखाई है। चीन में अब तक कोरोना वैक्सीन की एक अरब से ज्यादा खुराकें लगाई जा चुकी हैं। ये संख्या अमेरिका में लगी खुराकों से तीन गुना ज्यादा है। यही नहीं, दुनियाभर में अभी तक ढाई अरब वैक्सीनें लगी हैं और इनमें से 45 फीसदी सिर्फ चीन में हैं। चीन में वैक्सीनेशन के आंकड़े इसलिए भी हैरानी भरे हैं क्योंकि वहां वैक्सीन रोलआउट बहुत सुस्त रफ्तार से हुआ था। 27 मार्च तक वहां सिर्फ 10 लाख खुराकें लग पाईं थीं। जबकि ये मुकाम अमेरिका ने दो हफ्ते पहले 12 मार्च को पा लिया था। लेकिन मई की शुरुआत में चीन ने रफ्तार पकड़ी, जबर्दस्त ढंग से वैक्सीनेशन किया गया और जून महीने में 60 करोड़ से ज्यादा खुराकें लगा दी गईं। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के अनुसार 17 जून को सिर्फ एक ही दिन में 2 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई गईं।
चीन ने जिस तरह कोरोना संक्रमण को कंट्रोल किया उससे शुरुआत में जनता के बीच वैक्सीनेशन के प्रति ज्यादा उत्साह नहीं था। लेकिन अप्रैल में जब कई इलाकों में कोरोना ने फिर पैर फैलाये तो दहशत के मारे लोग वैक्सीन लगवाने के लिए बढ़चढ़ कर आगे आने लगे।