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मोदी की धुआंधार सियासी बैटिंग: औरंगजेब और सालार मसूद का जिक्र, शिवाजी व सुहेलदेव की बहादुरी की भी दिलाई याद

Kashi Vishwanath Dham: काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण के मौके पर देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने काशी की गौरवशाली परंपरा का जिक्र किया। उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के अत्याचार और उसे जवाब देने वाले मराठा योद्धा शिवाजी (Maratha Warrior Shivaji) का भी जिक्र किया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 13 Dec 2021 1:51 PM GMT
Varanasi: Inauguration of Kashi Vishwanath Dham, Prime Minister Narendra Modi
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वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  

Kashi Vishwanath Dham: काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) के लोकार्पण के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) लोगों को अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जोड़ने की कोशिश करते हुए दिखे। उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) के अत्याचार और आतंक की याद दिलाई तो उसे जवाब देने वाले मराठा योद्धा शिवाजी (Maratha Warrior Shivaji) का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने सालार मसूद (Salar Masood) के खिलाफ संघर्ष करने वाले राजा सुहेलदेव (Raja Suheldev) की भी याद की।

उन्होंने अपने भाषण में पंजाब के राजा रणजीत सिंह, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर, कबीर, तुलसी, रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद आदि का जिक्र करके लोगों को अपने गौरवशाली इतिहास (glorious history) से जोड़ने का प्रयास किया।

उन्होंने काशी की गौरवशाली परंपरा का जिक्र करते हुए जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद, महामना मदन मोहन मालवीय और बिस्मिल्लाह खान को भी याद किया। उन्होंने काशी की सभ्यता और विरासत (Civilization and Heritage of Kashi) का जमकर गुणगान किया।


शिवाजी ने दिया औरंगजेब को जवाब

प्रधानमंत्री ने कहा कि आक्रमणकारियों ने कई बार इस शहर पर हमला करके इसे नष्ट करने की कोशिश की। इतिहास इस बात का गवाह है कि औरंगजेब ने कितने अत्याचार किए। उसमें धार्मिक कट्टरता भरी हुई थी और कट्टरता के बल पर ही उसने यहां की संस्कृति को कुचलने की चेष्टा की। उन्होंने देश की मिट्टी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां की माटी दुनिया के अन्य देशों से बिल्कुल अलग है। इस देश में अगर औरंगजेब आया तो उसे जवाब देने के लिए शिवाजी का भी उदय हुआ।

प्रधानमंत्री ने मुस्लिम सेनापति सालार मसूद (Muslim commander Salar Masood) का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर सालार मसूद आगे बढ़ा तो राजा सुहेलदेव जैसे योद्धा उसे जवाब देने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने काशी की सभ्यता और विरासत की प्रशंसा करते हुए कहा कि कई सल्तनतों का उदय और पतन हुआ मगर बनारस हमेशा बना रहा। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम को हमें सिर्फ एक शानदार इमारत समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। सच्चाई तो यह है कि यह भारत की सनातन संस्कृति, प्राचीनता, हमारे आध्यात्म और जीवंतता का प्रतीक है।


इंदौर की महारानी (Queen of Indore) को भी किया याद

उन्होंने कहा कि काशी में हर भाषा-वर्ग, मत-मतांतर के लोग रहते हैं और उनका इस शहर से काफी जुड़ाव है। सही मायने में कहा जाए तो काशी देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी होने के साथ ही भारत की आत्मा का जीवंत अवतार भी है। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर के योगदान को भी याद किया। यह याद दिलाया कि बाबा विश्वनाथ के आगे पंजाब के राजा रणजीत सिंह भी नतमस्तक हुए थे और उन्होंने विश्वनाथ मंदिर के शिखर पर 23 मन सोना चढ़ाया था।

रानी लक्ष्मीबाई से लेकर चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) तक न जाने कितने महापुरुषों की जन्म और कर्म भूमि काशी रही है। काशी अनंत है और यह अनंत परंपराओं की विरासत से भरी हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां मां गंगा भी अपनी धारा बदल कर बहती हों, उस काशी को कौन रोक सकता है। काशी में महादेव की कृपा के बिना न तो कोई आता है और न यहां एक भी पत्ता हिलता है।

संबोधन के बाद धार्मिक आचार्यों से की मुलाकात

प्रधानमंत्री बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के बाद काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण (Inauguration of Kashi Vishwanath Dham) करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने पूरे विधि विधान से बाबा का अभिषेक किया। वे ललिता घाट से हाथ में गंगा जल लेकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए दरबार में पहुंचे थे। प्रधानमंत्री की वेशभूषा को भी लोगों ने काफी गौर से देखा। बाबा विश्वनाथ के धाम का लोकार्पण करने के लिए पहुंचे पीएम मोदी ने कुर्ते के साथ धोती पहन रखी थी। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत हर-हर महादेव के साथ की और संबोधन का अंत भी हर-हर महादेव के साथ ही किया।


संबोधन के बाद वे देश के विभिन्न हिस्सों से आए साधु संतों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। प्रधानमंत्री ने धार्मिक आचार्यों को अभिवादन करने के साथ ही उनका आशीर्वाद भी लिया। प्रधानमंत्री के संबोधन के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद संबोधन के लिए आए प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन (Prime Minister's full address) काफी प्रभावशाली था और इसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से पूरे देश में लोगों ने देखा।

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