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काशी से पूरी दुनिया को एक बड़ा सन्देश, अब हिंदुत्व को इस तरह धार देगी भाजपा

Kashi Vishwanath Dham: काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण (Inauguration Kashi Vishwanath Dham) और यहाँ एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों के जरिये केंद्र तथा यूपी की सरकार अपने वादे को पूरा करने और हिंदुत्व का सन्देश देना चाहती है।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Shashi kant gautam
Published on: 10 Dec 2021 5:44 PM IST
Now the message of Hindutva from Kashi
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काशी विश्वनाथ धाम: photo - social media

Kashi Vishwanath Dham: काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) के जरिए भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) हिंदुत्व (Hindutva) के अपने एजेंडे को धार देने की तैयारी में है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार (UP Government) इस आयोजन को वैश्विक पटल पर लाकर हिन्दुओं के बीच एक मजबूत सन्देश देना चाहती है। ये हिंदुत्व का सन्देश (Hindutva message) है जो काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण (Inauguration of Kashi Vishwanath Dham) और यहाँ एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों की शृंखला से पूरे देश के धर्मावलंबियों को मिशन काशी पूरा होने से साथ पहुंचाया जाएगा।

आठ मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने काशी विश्वनाथ प्रोजेक्ट (Kashi Vishwanath Project) के शिलान्यास के समय बाबा विश्वनाथ को संकरी गलियों से मुक्त करने का संदेश पूरे देश को दिया था अब करीब 800 करोड़ रुपये का ये प्रोजेक्ट साकार हो रहा है और केंद्र तथा यूपी की सरकार अपने वादे को पूरा करने का सन्देश प्रस्तुत करना चाहती है। बात सिर्फ 13 दिसंबर को प्रोजेक्ट के लोकार्पण से समाप्त नहीं होगी बल्कि इसके साथ एक महीने तक का महाभियान शुरू होगा जिसमें देशभर के हिन्दुओं को काशी आमंत्रित कर भाजपा उन्हें अपने मिशन से जोड़ने का काम करेगी।

काशी विश्वनाथ प्रोजेक्ट का शिलान्यास: photo - social media

काशी से दूर चित्रकूट (Chitrakoot) में भी हिंदुत्व के अजेंडे को धार दी जायगी जहाँ श्रीतुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरू रामभद्राचार्य (Shritulsi Peethadheeshwar Jagadguru Rambhadracharya) ने 15 दिसम्बर को हिन्दू एकता महाकुंभ का आयोजन किया है जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) को मुख्य अतिथि के रूप में आमांत्रित किया गया है। इस मौके पर प्रमुख वक्ता के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) भी मौजूद रहेंगे।

तीनों शक्ति केन्द्रों में भाजपा (BJP)

कभी भारतीय जनता पार्टी की सभाओं में यह नारा लगाया जाता था - 'अयोध्या तो झांकी है, मथुरा, काशी बाकी है।' आज जब भाजपा ने अपने इन तीनों शक्ति केंद्रों में से अयोध्या व काशी के अभियान को पूरा कर दिखाया है। तब लगता है कि अगले विधानसभा चुनाव (UP Election 2022 ) वह काशी की झांकी यानी काशी में जो कुछ किया है, उसी के बूते पर जीतने की रणनीति तैयार कर रही है। तभी तो काशी विश्वनाथ मंदिर को भाजपा काल में जो डिवाइन लुक दिया गया है, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे तामझाम के साथ राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं।

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक देवाधिदेव महादेव के दरबार में होगी। बैठक से पहले प्रदेश के सभी मंत्री बाबा के दरबार में मत्था टेकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम में प्रदेश कैबिनेट की बैठक के जरिए भाजपा काशी के महात्म्य के साथ ही हिंदुत्व का संदेश भी देने की कोशिश में जुटी हुई है। काशी को पूरी दुनिया में हिंदू आस्था के प्रमुख केंद्र (major center of Hindu faith) के रूप में जाना जाता है। महादेव के दरबार में कैबिनेट बैठक के जरिए भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में हैं।

यह पहला मौका होगा जब प्रदेश कैबिनेट की बैठक किसी मंदिर में (cabinet meeting in a temple) आयोजित की जाएगी। प्रदेश सरकार इस आयोजन के जरिए काशी विश्वनाथ धाम को विश्व फलक तक लाने की कोशिश कर रही है। इससे पूर्व प्रयागराज में कुंभ के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश कैबिनेट की बैठक करके बड़ा संदेश दिया था।

दरअसल, भाजपा इस कैबिनेट बैठक के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को और धारदार बनाने में लगी है। पीएम मोदी के हाथों काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत भी होगी। भाजपा के सभी पदाधिकारी, मंत्री और प्रमुख कार्यकर्ता भी वाराणसी में आमंत्रित हैं। अगले 1 महीने तक पार्टी कार्यकर्ता गांव-गांव घूमेंगे। हर गांव में भाजपा का संगठन काशी कॉरिडोर के भव्य कार्यक्रम को चौपाल लगाकर लोगों को दिखाएगा और अयोध्या के बाद अब काशी के कायाकल्प को लोगों के बीच विमर्श का केंद्र बनाने की कोशिश करेगा।

मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये शब्द 2014 में कहे थे जब वे वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha seat) से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरने पहुंचे थे नरेंद्र मोदी ने कहे थे। उस समय लोगों को बड़ी हैरत हुई थी कि वाराणसी से ही क्यों? मोदी का गृहराज्य गुजरात था यूपी से उनका खास ताल्लुक नहीं रहा था। लेकिन धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी होने की वजह से वाराणसी भाजपा के परंपरागत विमर्श को तो पुष्ट कर ही रही थी, साथ ही पूर्वांचल भी एक ख़ास वजह थी। इसके अलावा ये सीट हमेशा से भाजपा की मजबूत सीट रही है। भाजपा की रणनीति बेहद सफल रही और 2019 में मोदी ने किसी और सीट से पर्चा नहीं भरा।

पीएम मोदी: photo - social media

हिंदुत्व और पूर्वांचल का विकास –ये दोनों अब आगे नया जादू चलाएंगे, भाजपा इस बारे में काफी आश्वस्त है। 2014 में वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में कई बड़े काम कराए हैं। मगर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। पीएम मोदी वाराणसी दौरों के समय खुद भी बाबा के दरबार में मत्था टेकने के साथ ही इस कॉरिडोर के निर्माण की पूरी जानकारी लेते रहे हैं।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

वाराणसी में एक बहुत बड़ा काम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) के निर्माण का किया गया है। काशी विश्वनाथ गलियारा परियोजना (Kashi Vishwanath Corridor Project) की कल्पना 2019 में की गई थी और इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इस परियोजना का उद्देश्य मंदिर के कुल क्षेत्रफल को लगभग 50,000 वर्ग मीटर तक बढ़ाना है। ये गलियारा 800 करोड़ रुपये से बनाया गया है।

काशी विश्वनाथ प्रोजेक्ट: photo - social media

इस कॉरिडोर के लिए मन्दिर के आसपास की करीब 40 हज़ार वर्गमीटर क्षेत्र का अधिग्रहण अब तक किया गया है। दरअसल, मन्दिर परिसर के आसपास सघन आबादी को विस्थापित करना सबसे बड़ी समस्या थी लेकिन फिर भी ये काम बखूबी किया गया और करीब 260 भवन स्वामियों के साथ-साथ इन इमारतों में रहने वाले किरायेदारों को करोड़ों की मुआवजा राशि दी गई। कॉरिडोर निर्माण के लिए अधिग्रहण में ही करीब दो साल का समय लगा है। अधिग्रहण के बाद पुराने मन्दिरों के संरक्षण का बड़ा मुद्दा था। अधिग्रहण के बाद जब मकान आदि गिराए जाने लगे तो उनमें छिपे कई पुराने मन्दिर और विग्रहों का पता चला।

बहरहाल, करीब 125 छोटे बड़े मन्दिर और विग्रहों को इस कॉरिडोर में एक श्रृंखला के तौर पर स्थापित किया गया है। पूरे परिसर का क्षेत्रफल करीब 55 हज़ार वर्गमीटर ( campus area 55 thousand square meters) में फैला हुआ है। एक ख़ास बात ये भी है कि ज्ञानव्यापी मस्जिद का संचालन करने वाली समिति ने मस्जिद परिसर के बाहर जमीन का एक टुकड़ा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को दे दिया है। यह जमीन एक अन्य जमीन के बदले में दी गई है।

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं। सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था। फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की।

काशी विश्वनाथ धाम: photo - social media

स्कंद पुराण में इस नगर का इतिहास वर्णित हैं। रामायण एवं महाभारत (Ramayana and Mahabharata) में भी इस नगरी का वर्णन है। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 किलो शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया। नेपाल के महाराजा ने यहाँ नंदी की विशाल मूर्ति बनवाई थी।

इस शहर पर सर्वप्रथम मुहम्मद गोरी ने सन 1163 में आक्रमण किया। बाद में लगातार 600 वर्षों तक इसे विदेशी आक्रमण झेलने पड़े।1663 में औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट कर दिया और उसकी जगह भव्य मस्जिद बनाई। 1852 में बाजीराव पेशवा ने यहाँ का प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर बनवाया।

पीएम मोदी: photo - social media

वाराणसी में हुए हैं ढेरों काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात नवंबर 2014 को अपने पहले दौरे पर बड़ा लालपुर में ट्रेड फैसिलिटी सेंटर व टेक्सटाइल सेंटर (Trade Facility Center and Textile Center) की घोषणा की थी और वाराणसी के विकास को गति देने की शुरुआत की थी। इसके बाद वाराणसी के हर दौरे में वे हजारों करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा के साथ ही अपनी संसदीय क्षेत्र की जनता से मिलते रहे। कोरोना की पहली लहर के बाद नवंबर 2020 में पीएम मोदी ने वर्चुअल माध्यम से दो हजार करोड़ रुपये की दो दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं की शुरुआत कर काशी की विकास यात्रा को आगे बढ़ाया था। उस वक्त यह संदेश गया कि कोरोना जैसी बाधाएं भी काशी के विकास में बाधक नहीं बनेंगी।

पीएम मोदी नवंबर 2020 में देव दीपावली पर बनारस आए और पूरी दुनिया के सामने बनारस के नए स्वरूप को रखा। सात सालों में बाबतपुर वाराणसी रोड, रिंग रोड-1, लहरतारा-चौकाघाट फ्लाईओवर, बीएचयू की सुपर स्पेशियलिटी, एमसीएच विंग, कैंसर अस्पताल, पैरिसेबल कारगो, जलपरिवहन सहित कई परियोजनाओं पर काम कराया है।

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