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What is Halal: जानिए क्या होता है हलाल

What is Halal: कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद (hijab controversy) के बाद हलाल मीट (halal meat) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shashi kant gautam
Published on: 30 March 2022 9:51 PM IST
After the hijab controversy in Karnataka, a controversy has arisen over halal meat.
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हलाल प्रकरण: Photo - Social Media

Halal Meat Controversy: कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) के बाद हलाल मीट (Halal Meat) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने हलाल मीट के बहिष्कार का आह्वान किया है। कर्नाटक में हिंदू जन जागृति ने हलाल मीट के बहिष्कार का ऐलान किया था जिसके बाद भाजपा ने हलाल खाने को आर्थिक जिहाद करार दिया है। पिछले साल केरल में भी हलाल गुड़ को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है।

क्या है हलाल (What Is Halal)

हलाल दरअसल, एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ "अनुमति" है। कुरान में हलाल शब्द को हराम (निषिद्ध) से अलग किया गया है। हलाल शब्द विशेष रूप से इस्लामी आहार (iIslamic Diet) कानूनों और विशेष रूप से उन आवश्यकताओं के अनुसार संसाधित और तैयार किए गए मांस से जुड़ा है। इस्लाम में हलाल न केवल भोजन और पेय, बल्कि दैनिक जीवन के सभी मामलों में शामिल है।

अगर इसका इस्तेमाल जानवरों के मांस के संदर्भ में किया जाता है, तो इसका मतलब है कि कोई भी जानवर जो शरिया पद्धति के अनुसार वध किया गया है, वह उपभोग करने के लिए हलाल (वैध) है। इस्लाम में हलाल और हराम सार्वभौमिक शब्द हैं जो जीवन के सभी पहलुओं पर लागू होते हैं।

ये शब्द आमतौर पर खाद्य उत्पादों, मांस उत्पादों, सौंदर्य प्रसाधन, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य सामग्री के संबंध में उपयोग किए जाते हैं। जहां कई चीजें स्पष्ट रूप से हलाल या हराम होती हैं, वहीं कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जो स्पष्ट नहीं होती हैं। ऐसी वस्तुओं को अक्सर मशबूह कहा जाता है, जिसका अर्थ है संदिग्ध।आम तौर पर इस्लाम में हर भोजन को हलाल माना जाता है जब तक कि कुरान या हदीस द्वारा इसे विशेष रूप से प्रतिबंधित नहीं किया जाता है। वैसे अब हलाल टूरिज्म का भी चलन शुरू हो गया है।

हलाल प्रकरण: Photo - Social Media

हलाल प्रमाणीकरण (Halal Certification)

कई इस्लामिक देशों में सरकार द्वारा हलाल सर्टिफिकेशन दिया जाता है। भारत में,एफएसएसआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) प्रमाणन लगभग सभी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर देखा जा सकता है लेकिन यह प्राधिकरण भारत में हलाल प्रमाणन नहीं देता है। हलाल प्रमाणन भारत में कई निजी कंपनियों द्वारा दिया जाता है जो इस्लाम के अनुयायियों के लिए अनुमत भोजन या उत्पादों को चिह्नित करता है। भारत में हलाल प्रमाणीकरण करोड़ों डालर प्रतिवर्ष का बिजनेस है और ये तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत में महत्वपूर्ण हलाल प्रमाणन कंपनियां हैं:

1- हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।

2- हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।

3- जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र

हलाल प्रकरण: Photo - Social Media

केरल में भी हुआ है विवाद (Kerala Dispute)

पिछले साल केरल में भी हलाल भोजन को लेकर अच्छा खासा विवाद हुआ था, ये विवाद तब शुरू हुआ जब यह बताया गया कि सबरीमाला मंदिर में 'अरवण' और 'अप्पम' तैयार करने के लिए हलाल गुड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल, अरवाना गुड़ और चावल से बने खीर होती है जबकि अप्पम मीठा चावल और गुड़ से बना पुआ होता है। दोनों को सबरीमाला में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

विश्व हिंदू परिषद केरल के पूर्व अध्यक्ष एसजेआर कुमार ने सबरीमाला में हलाल गुड़ से बने अरवाना और अप्पम के वितरण को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। मंदिर चलाने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (Devaswom Board) ने अदालत को बताया कि प्रसादम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गुड़ की गुणवत्ता की जांच पंपा की प्रयोगशाला में की जा रही है। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि भक्तों को बांटने से पहले सन्निधानम की प्रयोगशाला में दो मीठे व्यंजनों की गुणवत्ता का परीक्षण किया जा रहा था। गुड़ के पैकेट पर हलाल की मुहर क्यों होती है, इस सवाल पर बोर्ड ने कहा था कि महाराष्ट्र की जिस फर्म से उन्हें पैकेट मिले हैं, वह थोक में इस चीज को अरब देशों को निर्यात करती है।

विवाद को राजनीती से प्रेरित बताते हुए बोर्ड ने कहा कि यह सबरीमाला (Sabarimala) की प्रतिष्ठा पर हमला करने और तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने का एक सुनियोजित प्रयास था। उस समय चूंकि केरल में खाद्य विवाद राजनीतिक रूप लेने लगा था सो सीपीएम की युवा शाखा ने इसके जवाब में एक फूड स्ट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जहां बीफ, पोर्क, चिकन और बिरयानी सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए। पार्टी ने भाजपा और संघ परिवार पर धर्म को भोजन के साथ मिलाने का आरोप लगाया।

क्या हुआ कर्नाटक में

कर्नाटक में विवाद तब शुरू हुआ जब साफा नाम के एक ट्विटर हैंडल पर शेयर की गई एक वीडियो पोस्ट में मोहन गौड़ा नाम के हिंदू नेता कहा कि हलाल मीट को खाना हिंदू धर्म के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं का आचरण नहीं है। उन्होंने दावा किया कि हलाल सर्टिफिकेट के माध्यम से भारत में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार किया जा रहा है और इसके पैसे से देश को इस्लामिक केंद्र बनाने की साजिश हो रही है। उन्होंने सभी हिंदुओं से हलाल मीट और हलाल प्रोडक्टस के बहिष्कार का आह्वान किया।

कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र: Photo - Social Media

कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र (Karnataka Home Minister Araga Gyanendra) ने कहा है कि इस तरह की प्रतिक्रियाओं की वजह मुसलमानों का वह विरोध है, जो उन्होंने हिजाब को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ किया था। कानून व्यवस्था अगर बिगड़ती है तो मेरा मंत्रालय कार्रवाई करेगा। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के पास मुद्दे नहीं हैं और वह लोगों को बांटने के लिए इस तरह के मुद्दे लाती है ताकि चुनाव में जीत हासिल हो सके।

हलाल प्रकरण (Halal Case) पर राज्य के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) का कहना है कि हलाल मुद्दा अभी शुरू हुआ है और हमें समग्रता से अध्ययन करना है, क्योंकि इसका किसी नियम से कोई लेनादेना नहीं है। यह एक पुरानी प्रथा है जिसपर अब गंभीर आपत्ति जताई गई है।

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