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पहली डोज़ के बाद संक्रमण हुआ तो दूसरी डोज़ के लिए गैप जरूरी

कोरोना की जितनी भी वैक्सीनें हैं सबका सिस्टम अलग-अलग है। ऐसे में सभी देशों में दो डोज़ के बीच गैप भिन्न भिन्न है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 14 May 2021 4:08 PM IST
पहली डोज़ के बाद संक्रमण हुआ तो दूसरी डोज़ के लिए गैप जरूरी
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वैक्सीन लगवाती युवती (फोटो- न्यूजट्रैक)

लखनऊ: कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज़ के बीच कितना अंतराल होना चाहिए, एक डोज़ के बाद जो लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं उनको दूसरी डोज़ कब लेनी चाहिए - इन दोनों ही सवालों पर भारी कंफ्यूज़न बना हुआ है। इस कंफ्यूज़न की वजह सरकार द्वारा बार बार दिशानिर्देशों का बदला जाना है। महीने-डेढ़ महीने पहले जहां दो डोज़ के बीच 4 से 6 हफ्ते के गैप की एडवाइजरी थी वहीं अब 3 से 6 महीने यानी 12 से 24 हफ्ते की एडवाइजरी आ गई है। दिक्कत ये है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलग अलग समय पर अलग अलग बातें कही हैं।

कोरोना की जितनी भी वैक्सीनें हैं सबका सिस्टम अलग-अलग है। सबकी डोज़ के बीच में गैप अलग अलग है। इसीलिए सभी देशों में दो डोज़ के बीच गैप भिन्न भिन्न है। एक डोज़ के बाद संक्रमित हुए लोगों के लिए एक्सपर्ट्स की राय अलग अलग हैं।

दो डोज़ के बीच अंतर क्यों

फाइजर, मोडर्ना, कोविशील्ड, कोवैक्सिन या दुनिया की जितनी भी डबल डोज़ वैक्सीनें हैं सबमें दो डोज़ के बीच अंतर इसलिए रखा जाता है ताकि शरीर में इम्यूनिटी और एंटीबाडी ठीक से बन सके। पहली या दूसरी डोज़ लगने के तुरंत बाद इम्यूनिटी डेवलप नहीं होती है। पहली डोज़ के 14 दिन बाद और दूसरी डोज़ के 18 से 28 दिन बाद पूरी इम्यूनिटी डेवलप हो पाती है।

वैक्सीन (फोटो- न्यूजट्रैक)

पहली डोज़ के बाद इम्यूनिटी बनना शुरू होती है और दूसरी डोज़ इसे बूस्ट करने का काम करती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहली डोज़ के 14 दिन बाद 40 से 50 फीसदी प्रोटेक्शन मिलना शुरू होता है और दूसरी डोज़ के बाद ये बढ़ता है। पहली डोज़ के बाद 14 से 21 दिन तक कोरोना संक्रमण के प्रति सुरक्षा नहीं मिलती है और संक्रमण हो सकता है। फाइजर की वैक्सीन इस समय सबसे बढ़िया मानी जा रही है लेकिन इसकी भी दोनों डोज़ लगने के 20 दिन बाद ही व्यक्ति को पूरी तरह वैक्सिनेटेड माना जाता है।

कोविशील्ड में डोज़ का अंतराल

आमतौर पर एक्सपर्ट्स में ये आम सहमति है कि दो डोज़ के बीच कम से कम 28 दिन का गैप होना चाहिए। लेकिन कोविशील्ड के मामले में ये गैप किन्हीं "वैज्ञानिक साक्ष्यों" के आधार पर संशोधित किया जा चुका है। भारत में जब जनवरी में वैक्सीनेशन शुरू हुआ तब 4 से 6 हफ्ते के गैप की सिफारिश की गई थी। मार्च में ये गैप फिर संशोधित करके 4 से 8 हफ्ते किया गया।

अब लेटेस्ट संशोधन में इसे 12 से 16 हफ्ते करने का निर्णय लिया गया है। ये निर्णय यूनाइटेड किंगडम से मिले साक्ष्यों के आधार पर है। वहां इस वैक्सीन पर लगातार स्टडी की जा रही है। भारत ने यूके की स्टडी को आधार माना है सो संभवतः भारत में लग रही वैक्सीनों के बारे में अपने देश की कोई स्टडी नहीं है।

वैसे यूनाइटेड किंगडम की जिस स्टडी का हवाला दिया जा रहा है वो कई महीने पहले हुई थी और दो डोज़ के बीच अंतर बढ़ाने का फैसला यूके में तीन महीने पहले ही कर लिया गया था। भारत ने तीन महीने बाद ये निर्णय लिया है। कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड और आस्ट्रा जेनका ने डेवलप किया है।

कोविशील्ड के बारे में यूके के अध्ययनों से पता चला है कि दो डोज़ के बीच ज्यादा अंतर होने से ये बेहतर काम करती है। इस फरवरी में "लैंसेट" पत्रिका ने कहा था कि कोविशील्ड की दो डोज़ के बीच अंतर 12 हफ्ते या इससे ज्यादा करने से उसकी क्षमता 26 फीसदी बढ़ जाती है। भारत में 90 फीसदी वैक्सीनेशन कोविशील्ड का ही हो रहा है। इसकी करीब 18 करोड़ डोज़ लग चुकी हैं।

कोवैक्सिन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कोवैक्सिन की डोज़ में अंतर नहीं बढ़ाया

कोवैक्सिन की दो डोज़ के बीच अंतर बढ़ाने की बात अब भी नहीं की गई है। इसकी दो डोज़ के बीच 28 दिन के गैप की सिफारिश ज्यों कि त्यों है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसकी वजह ये है कि कोवैक्सिन अलग तरह से डेवलप की गई है। ये एक इनक्टिवेटेड यानी असक्रिय वैक्सीन है जिसमें एक मृत वायरस रहता है जो लोगों को संक्रमित तो नहीं करता लेकिन तब भी उसमें ये क्षमता रहती है कि वो संक्रमण की स्थिति में शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रतिरक्षा करने के निर्देश देता है। ये वैक्सीन का पारंपरिक तरीका है। इसीलिए इसकी डोज़ के बीच गैप बढ़ाने की कोई बात नहीं है।

अमेरिका में क्या है एडवाइजरी

अमेरिका में एक ही संस्था है जो एडवाइजरी जारी करती है। ये संस्था है सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल यानी सीडीसी। सीडीसी भी समय समय पर नई रिसर्च के अनुरूप गाइडलाइंस अपडेट करता रहता है। अमेरिका में सिर्फ तीन वैक्सीनें लगाई जा रहीं हैं - फाइजर, मोडर्ना और जॉनसन एन्ड जॉनसन की। इनमें जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज़ वैक्सीन को सीडीसी ने फिलहाल रोक दिया है क्योंकि 6 लोगों में ब्लड क्लोटिंग की समस्या हो गई थी। बहरहाल, सीडीसी की गाइडलाइन है कि फाइजर की दो डोज़ के बीच 3 हफ्ते का गैप होना चाहिए। और मोडर्ना की वैक्सीन में 4 हफ्ते का गैप। दोनों ही वैक्सीनों में जरूरत पड़ने पर अधिकतम गैप 6 हफ्ते तक का हो सकता है।

एक डोज़ के बाद संक्रमण हुआ तो क्या करें

किसी भी वैक्सीन की एक डोज़ के बाद कोरोना संक्रमण होने पर दूसरी डोज़ के बारे में एक्सपर्ट्स की राय अलग अलग हैं। अमेरिका में सीडीसी का कहना है कि अगर किसी को एक डोज़ लगने के बाद संक्रमण हुआ है तो सभी लक्षण खत्म होने के 10 दिन बाद दूसरी डोज़ लगाई जानी चाहिए। लेकिन ये भी संक्रमण की तीव्रता और इम्यूनिटी की स्थिति पर निर्भर करेगा।

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि संक्रमण के बाद रिकवर कर चुके लोगों को कम से कम 4 से 8 हफ्ते बाद दूसरी डोज़ लेनी चाहिए। ये गैप इन लोगों पर लागू होगा - जिन लोगों में कोरोना संक्रमण के एक्टिव लक्षण हैं। जिन लोगों को एन्टी कोविड मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी या प्लाज्मा दिया गया है। तथा जो लोग गम्भीर रूप से बीमार पड़े या अस्पताल में भर्ती रहे। या जिनको कोई अन्य बीमारी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के साथ ही शरीर में एंटीबॉडी बनने लगती है। संक्रमण होने के 90 दिन तक शरीर में कोरोना के प्रति एंटीबॉडी बनी रहती है। लेकिन ये भी हर व्यक्ति में अलग अलग पर निर्भर करता है।

ऐसे में कम से कम 28 दिन इंतजार करने के बाद दूसरी डोज़ लेनी चाहिए। कुछ डॉक्टर कहते हैं कि संक्रमित हो चुके व्यक्ति को एन्टीबॉडी टेस्ट कराने के बाद दूसरी डोज़ लेनी चाहिए।

Shreya

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