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विश्व कछुआ दिवस: खतरे में है कछुओं का अस्तित्व, अमेरिकी संगठन ने दिए बचाव के सुझाव

विश्व कछुआ दिवस: कछुआ करीब 200 मिलियन वर्ष पुराना प्रजाति है। ये सांप, छिपकली से पहले पृथ्वी पर आये थें।

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Newstrack NetworkPublished By Chitra Singh
Published on: 23 May 2021 12:13 PM GMT (Updated on: 23 May 2021 12:39 PM GMT)
World Turtle Day
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विश्व कछुआ दिवस (फोटो- सोशल मीडिया)

विश्व कछुआ दिवस: कछुआ और खरगोश की कहानी तो आपने सुनी होगी। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया से कम हो रहे कछुओं के संरक्षण के लिए विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है? जी हां, हर साल 23 मई को पूरे विश्व में 'विश्व कछुआ दिवस' मनाया जाता है। जो लोग जीव प्रेमी होते हैं, वे इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनते हैं। साल 2000 में पहली बार 'विश्व कछुआ दिवस' मनाया गया था।

आप सोच रहे होंगे कि आखिर कछुआ दिवस मनाने का विचार कब, क्यों और कैसे आया? तो आपको बता दें कि इस दिन की शुरूआत साल 1990 में अमेरिकी कछुआ बचाव (एटीआर) ने की थी। बता दें कि एटीआर की टीम कछुओं की प्रजातियों को बचाने का काम करती है। इसके लिए उन्होंने साल 1990 में अमेरिकन टॉर्ट्वायज रेस्क्यू की स्थापना की। तब से हर साल 23 मई को पूरी दुनिया में कछुओं को बचाने के लिए विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है। भारत में कछुओं को बचाने के लिए 1989 में ओडिशा में कछुआ संरक्षण परियोजना शुरू की गई थी।

बता दें कि दुनिया से धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। बचे हुए कछुओं को बचाने के लिए अमेरिकी संगठन ने लोगों को कुछ सुझाव दिये हैं। एटीआर का कहना है कि जो भी जीव प्रेमी है, वे कछुओं को पालतू जानवरों की दुकान से ना खरीदें। यदि वे पशुओं को पालतू जानवरों की दुकान से खरीदते हैं तो इन कछुओं की डिमांड और बढ़ जाएगी। डिमांड बढ़ने से उन्हें प्राकृतिक निवास स्थल से दूर कर दिया जाएगा। अमेरिकी संगठन ने अपने अगले सुझाव में कहा कि यदि कोई कछुआ बीमार या घायल अवस्था में न हो तो उसे प्राकृतिक निवास स्थल से दूर न किया जाए।

कछुआ (फोटो- सोशल मीडिया)

क्या आपको पता है कि कछुओं की प्रजाति कितनी साल पुरानी है? बता दें कि कछुआ करीब 200 मिलियन वर्ष पुराना प्रजाति है। कहा जाता है कि कछुएं सांप, छिपकली, पक्षी समेत अन्य स्तनधारी प्रजाति से पहले पृथ्वी पर आये थें। यही वजह है कि वैज्ञानिक इन्हें प्रातचीनतम सरीसृपों में से एक माने जाते हैं। कहा जाता है कछुओं को उम्र 300 साल से भी ज्यादा होती है। दुख की बात ये है कि मौजूदा हालात में उनकी कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। धरती पर नमी कम होने की वजह से इनका अस्तित्व खतरे में हैं। जिन कछुओं की प्रजाति खतरे में है, उनके नाम है- हॉक्सबिल कछुएं और लेदरबैक कछुएं। जबकि ग्रीन कछुओं और लॉग्गरहेड कछुओं की विलुप्त होने का उच्चतम जोखिम और भी बढ़ गया है।

आपको बता दें कि कछुएं रात के अंधेरों में भी आसानी से किसी चीज को देख सकते हैं। यह तरह के रंगों की पहचान करने में सक्षम होते हैं। ये धरती पर बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। ये प्रजाति अंटार्कटिका के सिवाय हर महाद्वीपों में पाए जाते हैं।

जानकारी के अनुसार, दुनिया का सबसे छोटे कछुएं का नाम 'बोग' है। इसकी लंबाई मात्र 4 इंच की होती है। वहीं 'लेदरी' कछुए विश्व के सबसे बड़े कछुए होते हैं। इनका वजन करीब 1500 पाउंड का होता है।

Chitra Singh

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