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गाजियाबाद में आरपीएफ इंस्पेक्टर को न्यायालय ने सुनाई 7 साल की सजा
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने आठ हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी आरपीएफ इंस्पेक्टर को सात साल की सजा सुनाई है।
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने आठ हजार रुपये की रिश्वत लेने के दोषी आरपीएफ इंस्पेक्टर को सात साल की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं जज अमित वीर सिंह की अदालत ने आरोपी इंस्पेक्टर पर 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
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जानिए पूरा मामला-
सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक बीके सिंह और अनुराग मोदी के मुताबिक 10 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 11 पर वेंडर ठेकेदार अरुण मिश्रा से आठ हजार की रिश्वत लेते हुए आरपीएफ इंस्पेक्टर जी.हसन को सीबीआइ की एंटी करप्शन शाखा ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था और जेल भेज दिया था। दरअसल दादरी स्टेशन पर वेंडर ठेकेदार अरुण मिश्रा से आरपीएफ इंस्पेक्टर जी. हसन साढ़े 17 हजार रुपये रिश्वत की मांग कर रहा था। वह कुछ साल पहले दादरी स्टेशन पर ही तैनात रहा था। गिरफ्तारी के समय वह टूंडला स्टेशन पर तैनात था।वादी अरुण ने सीबीआइ टीम से शिकायत की थी कि आरोपित उससे कहता था कि टूंडला से दादरी तक का इलाका उसी के अंडर में आता है और ढाई हजार रुपये महीने के हिसाब से उसने साढ़े 17 हजार रुपये मांगे। वादी अरुण मिश्रा द्वारा शिकायत सीबीआई की टीम ने जाल बिछाते हुए अतुल मिश्रा को इंस्पेक्टर के कहे अनुसार रिश्वत देने की बात करने को कहा।
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सीबीआई ने रंगें हाथों दबोचा था इंस्पेक्टर को-
जिसके बाद इंस्पेक्टर ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-10 व 11 पर बुलाया। वादी आठ हजार रुपये रिश्वत इंस्पेक्टर को दे ही रहा थे कि वहां पहले से मौजूद सीबीआई की टीम ने इंस्पेक्टर को रंगे हाथों दबोच लिया। आरोपी के खिलाफ एक अप्रैल 2014 को चार्जशीट पेश की गई थी। इसी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोप इंस्पेक्टर को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई साथ ही 30 हजार का जुर्माना भी लगाया।