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जहरीली शराब काण्ड: डीएम और कप्तान पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में मंगलवार को जहरीली शराब में फिर कहर बरपाया। मौत के जाम को पीने से अब तक 23 जिंदगियां काल के गाल में समा चुकी हैं। जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों का आकंड़ा अभी और बढ़ने की उम्मीद हैं।

Aditya Mishra
Published on: 29 May 2019 5:55 PM IST
जहरीली शराब काण्ड: डीएम और कप्तान पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
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बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में मंगलवार को जहरीली शराब में फिर कहर बरपाया। मौत के जाम को पीने से अब तक 23 जिंदगियां काल के गाल में समा चुकी हैं। जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों का आकंड़ा अभी और बढ़ने की उम्मीद हैं। वहीं 52 से ज्यादा लोग बाराबंकी और लखनऊ के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। वहीं इस मामले में प्रशासन ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए हैं । आरोपितों पर रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। इसी बीच खबर भी आई है कि जहरीली शराब कांड का मुख्य आरोपी भी गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि जहरीली शराब से हुई इतनी मौतों का गुनहगार कौन हैं?

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जानिए पूरा मामला-

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। अबतक कुल 23 लोगों की मौत हो चुकी है और 52 से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं, इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी पप्पू जायसवाल को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। गिरफ्तार पप्पू जायसवाल बीस हजार का ईनामी बदमाश था। पप्पू देशी शराब की दुकान पर विक्रेता था। वहीं पूरे मामले में जिला आबकारी अधिकारी, रामनगर के सीओ, एसएचओ और आबकारी निरीक्षक सहित 15 को निलंबित कर दिया गया है। इसी के ससाथ ही अन्य दोषियों की गिरफ्तारी के लिए प्रशासन ने तीन टीमें गठित की हैं। पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं। आरोपितों पर रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।

डीएम और कप्तान पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई-

इस पूरी कार्रवाई के बीच बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर क्या जिले के दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को बचाया जा रहा है। आखिर जिले में जहरीली शराब पर बाराबंकी के जिलाधिकारी और कप्तान पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या इस जहरीली शराब कांड में उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं बनती।

लगातार जहरीली शराब ढा रही है क़हर-

वहीं आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब जहरीली शराब से उत्तर प्रदेश में मौतें हुई हों। सरकारें बदलती रही हैं लेकिन जहरीली शराब का कहर बदस्तूर जारी है। इसी साल फरवरी के महीने में ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब से 72 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी उस समय भी लखनऊ से सटे मलीहाबाद और उन्नाव में भी 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। और एक बार फिर बाराबंकी में जहरीली शराब ने अपना क़हर बरपाया है। दरअसल जहरीली शराब का नेटवर्क या उत्पादन बिना स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता है।

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जहरीली शराब के अवैध कारोबार पर राज्य सरकारों ने मूंद रखी हैं आंखें

गौरतलब है कि शराब बिक्री से अपना खजाना भर रही राज्य सरकारें मिलावटी और जहरीली शराब के अवैध कारोबार को लेकर आंखें मूंदे रहती हैं। यही वजह है कि जहरीली शराब बार-बार प्रदेश में अपना कहर ढा रही है। वहीं हर बारज हरीली शराब के कहर के बाद कहा जाता है कि अवैध शराब के खिलाफ व्यापक अभियान छेड़ा जा रहा है और दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन यकीन मानिए यदि मौत के इस काले कारोबार के खिलाफ वास्तव में सख्ती बरती जा रही होती तो इतनी बड़ी घटना फिर से घटित न होती।



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Aditya Mishra

Aditya Mishra

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