AKTU वीसी पर फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का आरोप, फाइलों में दबी जांच

डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के वर्तमान वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एक फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। मामला साल 2008 का है, उस समय प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एचबीटीआई कानपुर में कंप्‍यूटर साइंस के विभागाध्‍यक्ष पद पर कार्यरत थे। उस समय इन्‍होंने अपने करीबी सौरभ पांडेय नामक शख्‍स को एक अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था।

priyankajoshi
Published on: 12 May 2017 3:10 PM GMT
AKTU वीसी पर फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का आरोप, फाइलों में दबी जांच
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लखनऊ : डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के वर्तमान वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एक फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। मामला साल 2008 का है, उस समय प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एचबीटीआई कानपुर में कंप्‍यूटर साइंस के विभागाध्‍यक्ष पद पर कार्यरत थे। उस समय इन्‍होंने अपने करीबी सौरभ पांडेय नामक शख्‍स को एक अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था।

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हाल ही में एचबीटीआई (अब एचबीटीयू) ने अखबार में गजट कराकर इस प्रमाण पत्र को संदिग्‍ध करार दे दिया है। ऐसे में वर्तमान वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के हस्‍ताक्षरयुक्‍त प्रमाण पत्र को लेकर यूपी सरकार द्वारा जांच कमेटी बनाकर जांच की जा रही है। लेकिन किन्‍हीं कारणों से जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।

अनुभव प्रमाण पत्र के साथ नौकरी देने का भी आरोप

प्रोफेसर विनय कुमार पाठक मूलरूप से एचबीटीयू कानपुर के कंप्‍यूटर साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर हैं। वर्तमान में यह एकेटीयू के वाइस चांसलर पद पर तैनात हैं। इन पर आरोप है कि इन्‍होंने कंप्‍यूटर साइंस के विभागाध्‍यक्ष की हैसियत से 25 जून 2008 को सौरभ पांडेय पुत्र राम हेत पांडेय को एक अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जबकि एचबीटीयू ने अपनी वेबसाइट पर साल 2007 से 2010 तक कंप्‍यूटर साइंस डिपार्टमेंट के विभागाध्‍यक्ष के तौर पर प्रोजेक्ट रघुराज सिंह को दिखाया है।

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इसके बाद इसी प्रमाण पत्र को आधार बनाकर वर्ष 2013 में प्रोफेसर विनय पाठक जब कोटा राजस्‍थान की वर्धमान महावीर ओपेन यूनिवर्सिटी के कुलपति बने तो सौरभ पांडेय को स्‍टूडियो प्रोडयूसर के पद पर नियुक्ति दे दी। इस मामले में एचबीटीयू ने 5 मई 2017 को विज्ञापन जारी करके उक्‍त अनुभव प्रमाण को संदिग्‍ध बताते हुए विश्‍वविदयालय से कोई संबंध न होना बताया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किन परिस्थितियों में इसे जारी किया गया और सरकारी पर नियुक्ति के समय इसका सत्‍यापन क्‍यों नहीं करवाया गया।

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मामले की जांच के लिए कमेटी गठित

इस मामले में एकेटीयू वीसी विनय पाठक पर जांच बैठा दी गई है। इस मामले के लिए एक जांच कमेटी बनाई गई है जिसमें बीएचयू आईटी के प्रोफेसर आनंद मोहन, एचबीटीयू के प्रोफेसर यदुवीर सिंह और यूपी सरकार द्वारा नामित विशेष सचिव स्‍तर के अधिकारी कर रहे हैं। कोटा में नियुक्ति से पूर्व सौरभ पांडे उत्‍तराखंड की उसी यूनिवर्सिटी में तैनात थे जिसके वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय पाठक थे। जैसे ही विनय कुमार पाठक कोटा आए, सौरभ पांडेय की नियुक्ति भी कोटा में हो गई। इसे महज संयोग कहना तर्कसंगत नहीं होगा, हालांकि इस पूरी साजिश की जांच कमेटी के पास लंबित है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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