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800 कॉलेज बंद होने की कगार पर, कॉलेज ने दिए ये सुझाव
काउंसिल ने हाल ही में उन 800 कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है जिसमें लगातार 5 साल से 30 प्रतिशत से कम एडमिशन हुए हैं। करीब एक दशक से टेक्निकल इंस्टीट्यूट कम एडमिशन की परेशानियों से जूझ रहे थे। सरकार ने निर्णय लिया है कि सिर्फ अच्छे इंस्टिट्यूट्स को जारी रहने की अनुमति मिलेगी और अच्छा परफॉर्म न करने वाले कॉलेजों को बंद किया जाएगा।
मुंबई: ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) आस-पास में स्थित दो कॉलेजों के विलय या बाईआउट्स के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर गौर कर रहा है। देश भर में 800 कॉलेज कम एडमिशन के कारण बंद होने की कगार पर हैं। उन कॉलेजों ने काउंसिल से इंस्टीट्यूट को बंद करने के अपने निर्णय को दो सालों तक टालने या विलय की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
पिछले पांच सालों में कुल 4,633 कोर्स और 527 इंस्टीट्यूट बंद किए गए हैं। अकेले महाराष्ट्र में पिछले 5 सालों में 921 कोर्स और 69 इंस्टीट्यूट बंद हुए हैं। इन संस्थानों में बंद होने वाले वे कॉलेज शामिल हैं जो इंजिनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर, पॉलिटेक्निक, होटल मैनेजमेंट कोर्स आदि ऑफर कर रहे हैं।
कॉलेज करें अच्छा परफॉर्म नहीं तो...
काउंसिल ने हाल ही में उन 800 कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है जिसमें लगातार 5 साल से 30 प्रतिशत से कम एडमिशन हुए हैं। करीब एक दशक से टेक्निकल इंस्टीट्यूट कम एडमिशन की परेशानियों से जूझ रहे थे। सरकार ने निर्णय लिया है कि सिर्फ अच्छे इंस्टिट्यूट्स को जारी रहने की अनुमति मिलेगी और अच्छा परफॉर्म न करने वाले कॉलेजों को बंद किया जाएगा।
कॉलेजों ने दिए दो सुझाव
सीटीई के चेयरमैन अनिल साहस्त्रबुद्धे ने कहा, 'बंद करने की खबर मिलने के बाद कॉलेजों ने दो सुझाव दिए हैं। पहला सुझाव यह है कि पिछले तीन साल के प्रवेश संबंधित डेटा पर गौर किया जाए और अगले दो सालों तक इनको बंद करने के फैसले को टाल दिया जाए। फिर एडमिशन के डेटा के आधार पर उनको बंद करने को कहा जाए। दूसरा सुझाव है कि ये कॉलेज विलय या किसी अन्य ट्रस्ट्स की ओप से खरीदे जाने की अनुमति देने की मांग करेंगे।'
लेनी होगी कानूनी सलाह
साहस्त्रबुद्धे का कहना है कि, 'सुझाव के आधार पर हम इस तरह के प्रबंध सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। हमें न सिर्फ इन प्राइवेट कॉलेजों के साथ अपनी योजना पर चर्चा करनी होगी बल्कि उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए कानूनी सलाह भी लेनी होगी।'