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Allahabad University News: AU में आयोजित हुआ "जश्न-ए-फ़िराक़", गजल के माध्यम से फिराक को किया याद
Allahabad University News: 'फ़िराक़ समग्र' के संपादक चौधरी इबनुल नसीर ने कहा कि इलाहाबाद पर कर्ज है कि फिराक साहब की पूरी रचना कों पाठको के सामने लाया जाए।
Allahabad University News: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी,अंग्रेजी और उर्दू विभाग के संयुक्त प्रयास से हिंदी विभाग के नए हॉल में जश्न-ए-फ़िराक़ का आगाज़ हुआ। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक प्रो राजेन्द्र कुमार ने की और संचालन डॉ मीना कुमारी ने किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र के प्रारंभ में डॉ सुजीत कुमार सिंह ने 'बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं' को गाकर वाहवाही लूटी। 'हमने फ़िराक़ को देखा है' विषय के तहत अपना वक्तव्य देते हुए फिराक गोरखपुरी के छात्र, सहकर्मी और अंग्रेज़ी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.जे.पी.कुलश्रेष्ठ ने फिराक साहब के साथ अपने गुजारे हुए पलों को याद करते हुए कहा कि कक्षा में वो बहुत प्रभावशाली और बाउंड्रीलेस रहते थे। वह अपनी शायरी किसी को सुनाने से बचते थे और बड़े स्वाभिमानी प्रवृत्ति के थे।
'फ़िराक़ समग्र' के संपादक चौधरी इबनुल नसीर ने कहा कि इलाहाबाद पर कर्ज है कि फिराक साहब की पूरी रचना कों पाठको के सामने लाया जाए। और इसका दायित्व इलाहाबाद शहर और इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) का है।
उन्होंने कहा कि वह फिराक साहब को सत्तर के दशक से जानते थे। प्रो.अली अहमद फ़ातमी ने कहा कि वह अपने से बड़ा मीर और ग़ालिब को मानते थे, लेकिन खुद हिंदुस्तान के शायर थे। वे कहते थे कि पूरी दुनिया 'फिर भी' पर रुकी हुई है।
प्रो.हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि फिराकीयत भी एक शैली बन गयी, जीवन की भी और कविता की भी। डॉ.अनिता गोपेश ने कहा कि फ़िराक़ के अनुभव में इतना विस्तार है कि सब कुछ पाया जा सकता है। प्रो.नीलम सरन गौड़ ने कहा कि फ़िराक़ (Firaq Gorakhpuri) साहब की कहानियां इलाहाबाद विश्वविद्यालय ही नहीं, इलाहाबाद के अस्तित्व से जुड़ गयी हैं।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक प्रो राजेंद्र कुमार ने कहा कि तीनों जुबानों के अदीब ख़यालों पर फ़िराक़ की पूरी नज़र रही है। फ़िराक़ की शायरी के कई रंग है। हिंदी कवियों में वह निराला को बेहद पसंद करते थे।
सभी वक्ताओं ने फ़िराक़ से जुड़े कई किस्से और वाकये सुनाए जो उनके अपने अनुभवों, उनके लिखे लेखों और और उनको जानने वालों से पता चलते हैं।
इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष और फ़िराक़ के समकालीन रहे प्रो.एच.एस.सक्सेना का इंटरव्यू भी दिखाया गया। जिसमें उन्होंने फ़िराक़ से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया। जश्न-ए-फ़िराक के दूसरे सत्र में प्रो.अनुराधा अग्रवाल और विवेक प्रियदर्शन ने साथियों संग फ़िराक के ग़ज़लों और नज़्मों की संगीतमय प्रस्तुति दी। जिसका संचालन डॉ.सुजीत कुमार सिंह ने किया।
बेहतर ये है की रब्त ना रखें किसी से हम
तंग आ गए हैं दोस्ती और दुश्मनी से हम
गाकर जश्न ए फिराक की शाम को संगीतमय किया और खूब तालियां बटोरीं अंग्रेजी विभाग की अध्यापक प्रो. स्मिता अग्रवाल ने। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित जश्न ए फिराक में पहले दिन की शाम को संगीत संध्या का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की तरफ से किया गया।
प्रो. स्मिता अग्रवाल ने
बेहतर ये है की रब्त ना रखें किसी से हम, तंग आ गए हैं दोस्ती और दुश्मनी से हम
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी, ये हुश्न इश्क तो धोखा है,
मगर फिर भी और शाम ए गम, कुछ उस निगाह ए नाज की बातें करो, प्रस्तुत किया। विवेक प्रियदर्शन ने संगीत के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए फिराक की चार गजलों को प्रस्तुत किया। जिसमें
रात भी नींद भी कहानी भी, बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,
नर्म फिजा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं और अब अक्सर चुप चुप से रहे हैं, को प्रस्तुत किया।
श्रोताओं ने कार्यक्रम का पूरा आनंद लिया। विश्वविद्यालय के छात्रों और अध्यापकों के साथ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति थी। लंबे अंतराल के बाद तीन विभागों ने साझा प्रयास से ऐतिहासिक कार्यक्रम किया,जिसकी खूब सराहना हुई।
इस अवसर पर प्रो.आर.सी त्रिपाठी, प्रो.प्रणय कृष्ण, प्रो.पंकज कुमार, प्रो.प्रशांत कुमार घोष, प्रो.विवेक कुमार तिवारी, प्रो.हर्ष कुमार,प्रो.अनामिका राय,प्रो.ए.आर. सिद्दीकी, प्रो.आई.आर.सिद्दीकी, डॉ जया कपूर, प्रो.राजीव श्रीवास्तव, धनञ्जय चोपड़ा, हरिश्चंद्र पांडेय, डॉ.कुमार वीरेन्द्र, डॉ.सूर्यनारायण, डॉ.भूरेलाल, प्रो.योगेंद्र प्रताप सिंह, डॉ.विनम्र सेन सिंह, डॉ.आशुतोष पार्थेश्वर, डॉ.जनार्दन, डॉ.दीनानाथ मौर्य, डॉ.अमितेश कुमार, प्रवीण शेखर, डॉ. मोना अग्निहोत्री, डॉ.उमेश चंद्र, डॉ.अमरनाथ, आनंद मालवीय, शैलेन्द्र जय, डॉ विक्रम हरिजन, के.के.पांडेय सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी और शहर के बुद्धिजीवी और नागरिक उपस्थित थे।
आपको बता दें कि आज यानी 28 अगस्त को शाम 4 बजे से हिंदी विभाग में मुशायरा और कवि सम्मेलन होगा साथ ही फ़िराक पर बने वृत्तचित्र को प्रदर्शित किया जाएगा।