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Dying Books: क्या किताबें मर रही हैं? बदलता समय, बदलती आदतें

Dying Books:आज की पीढ़ी किताबों के पन्नों को पलटने से ज्यादा, ऑडियोबुक सुनने और रिमोट के बटन दबाने में दिलचस्पी रखती है।

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Newstrack Network
Published on: 26 Dec 2024 5:22 PM IST
Dying Books ( Pic-  Social- Media)
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Dying Books ( Pic-  Social- Media)

Dying Books: कहते हैं, एक अच्छी किताब आपके जीवन को बदल सकती है। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। आज की पीढ़ी किताबों के पन्नों को पलटने से ज्यादा, ऑडियोबुक सुनने और रिमोट के बटन दबाने में दिलचस्पी रखती है। ये बदलाव केवल आदतों का नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली का भी हिस्सा बन चुका है।

ऑडियोबुक्स का बढ़ता क्रेज

ऑडियोबुक्स ने पिछले कुछ सालों में अपनी लोकप्रियता में भारी इजाफा किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में ऑडियोबुक इंडस्ट्री की ग्लोबल मार्केट वैल्यू 5 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई। लोग अब यात्रा करते हुए, वर्कआउट करते हुए, या घर के काम करते हुए किताबें 'सुनने' को प्राथमिकता दे रहे हैं।

मुंबई की रहने वाली 30 वर्षीय नेहा कहती हैं, "ऑफिस से घर आते वक्त मेट्रो में किताब पढ़ना मुश्किल लगता था। अब ऑडियोबुक सुन लेती हूं। एक कहानी खत्म करना आसान हो गया है।"

टीवी शोज़ ने छीन ली पढ़ने की आदत?

इसी बीच, "प्रेस्टीज टेलीविजन" यानी हाई-क्वालिटी वेब और टीवी सीरीज़ ने भी लोगों की पढ़ने की आदतों को प्रभावित किया है। नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, और डिज़्नी+ जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कंटेंट ने एक नई तरह की प्रतिस्पर्धा खड़ी कर दी है।गाज़ियाबाद के रितेश वर्मा बताते हैं, "पहले वीकेंड पर किताबें पढ़ने का वक्त निकालता था, लेकिन अब सीरीज़ बिंज-वॉच करना आसान लगता है।"

तो क्या किताबें मर रही हैं?

हालांकि किताबों के मरने की बात को खारिज करना भी जरूरी है। दुनियाभर के बुकस्टोर्स पर नई किताबों की डिमांड अब भी बनी हुई है। भारतीय लेखक चेतन भगत और ट्विंकल खन्ना जैसे लेखकों की किताबें बेस्टसेलर लिस्ट में बनी रहती हैं। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि अब पढ़ने के तरीके बदल गए हैं।

नया समय, नई प्राथमिकताएं

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव हमारी तेजी से बदलती जिंदगी और कम होती फोकस क्षमता का नतीजा है। हर किसी के पास समय की कमी है, और ऑडियोबुक या टीवी शोज़ इसे बेहतर तरीके से भरने का काम कर रहे हैं।

तो, सवाल ये है कि क्या हम जा रहे है ?

क्यों की काम तो हमारा मंज़िल तक पहुंचना है फिर चाहे रास्ता क्यों ही न बदल जाये।चाहे आप किताब पढ़ें, ऑडियोबुक सुनें या टीवी शो देखें—महत्वपूर्ण यह है कि आप कहानियों से जुड़े रहें। आखिरकार, कहानियां ही तो हैं जो हमें इंसान बनाती हैं।

नाजनीन



Shalini Rai

Shalini Rai

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