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Rajasthan Madhyamik Shiksha Vibhag: शिक्षा विभाग की बड़ी पहल, अब बेटियां भी खेलेंगी फुटबॉल एवं क्रिकेट

राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने खेलकूद प्रतियोगिता में 23 और नए खेलों को शामिल किया है।

Newstrack          -         Network
Published on: 13 Sept 2021 4:34 PM IST
Education Department of Rajasthan
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छात्राओं की फाइल तस्वीर (फोटो साभार सोशल मीडिया)

Rajasthan Madhyamik Shiksha Vibhag: टोक्यो ओलंपिक में बेटियों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए अब सभी राज्य शिक्षा के साथ साथ खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं। सबको यह लगने लगा है कि अगर बेटियों को मौका मिला तो वह देश के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं। इस दिशा में राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा विभाग (madhyamik shiksha vibhag) की तरफ से बड़ी पहल की गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग (madhyamik shiksha vibhag) के तत्वावधान में आयोजित होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता (khelkud pratiyogita) में 23 नए खेलों को शामिल किया गया है। इससे अब यहां की बेटियां भी फुटबाल, क्रिकेट आदि खेलों को खेल सकेंगी।

बता दें कि हाल ही में निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर की तरफ से माध्यमिक शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता (khelkud pratiyogita) में 23 नए खेलों को शामिल करने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री सुनील शर्मा के मुताबिक इन नए खेलों को खेल कैलेंडर में जोड़े जाने से अब इसकी कुल संख्या 41 के करीब हो गई है। उन्होंने बताया कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक केवल 18 खेलों में ही प्रतियोगिता आयोजित होती आ रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग की खेलकूद नियमावती 2005 के मुताबिक विभाग में संचालित 18 खेलों में राज्य से स्वीकृति मिलने के बाद 23 और खेलों को शामिल कर लिया गया है। इन सभी खेलों में शामिल होने के लिए आयुसीमा का भी निर्धारण किया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले राज्य में 18 खेलों की प्रतियोगिता होती रही है। इन खेलों में हैडबॉल, जिमनास्टिक, जूडो, हॉकी, सॉफ्टबाल, तैराकी, बैडमिंटन, वॉलीबाल, बास्केटबाल, खो खो, कबड्डी, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, तीरंदाजी, एथलेटिक्स आदि शामिल हैं। बता दें कि देश की बेटियां हर क्षेत्र में पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। टोक्यो ओलंपिक में इस बार बेटियों ने भारत का वह सपना साकार किया है, जिसे आस वर्षों से लगाई जा रही है। इसीलिए सबने अब यह ठाना है कि खेलेंगी बेटियां तो बढ़ेंगी बेटियां।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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