×

Ravindran Byju Success Story: एक टीचर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते बन गया अरबपति और खड़ी कर दी अरबों डॉलर की कंपनी? जानिए कैसे?

Ravindran Byju Success Story: रविंद्रन बायजू का मैथ्स बहुत अच्छा था। जब छुट्टियों में वे भारत आए, तो उन्होंने अपने कुछ दोस्तों की आईआईएम के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में मदद की। इसी दौरान बायजू को लगा कि उन्हें भी आईआईएम एंट्रेंस देना चाहिए। उन्होंने भी एंट्रेंस दिया और जब रिजल्ट आया तो पता चला कि उन्हें 100 पर्सेंटाइल मिले थे।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 7 Nov 2023 7:00 PM IST
Ravindran Byju Success Story: एक टीचर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते बन गया अरबपति और खड़ी कर दी अरबों डॉलर की कंपनी? जानिए कैसे?
X

Ravindran Byju Success Story: अगर इंसान किसी चीज को करने की ठान ले और उसके प्रति वह डेडिकेटेड हो जाए तो उसके लिए कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं हो सकता है। यही हुआ इस व्यक्ति के साथ। हम यहां आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं। जो ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते एक कंपनी खोल ली और हजारों लोगों को रोजगार तो दिया ही साथ ही सात साल में अरबपति भी बन गए। हम यहां बात हो रही है बायजू रवींद्रन की।

केरल के कन्नूर जिले में अझीकोड नाम का एक छोटा सा गांव है। यह गांव भले ही छोटा है, लेकिन इस गांव को आज केरल में सब लोग जानते हैं। इसका कारण है बायजू रवींद्रन। क्योंकि वे इसी गांव के हैं।

रविंद्रन बायजू: Photo- Social Media

गांव से हुई थी शिक्षा की शुरुआत-

रवींद्रन की शुरुआती शिक्षा इसी गांव में मलयालम मीडियम स्कूल से हुई थी। रवींद्रन के माता-पिता इसी स्कूल में शिक्षक थे। पढ़ाई में रवींद्रन शुरू से ही काफी तेज थे। इसके साथ ही स्पोर्ट्स में भी उनकी काफी रुचि थी। जब रवींद्रन ने गांव में अपनी प्रारंभिक शिक्षा शुरू की थी तो उस समय कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि यही रवींद्रन एक दिन अरबों डॉलर की कंपनी का मालिक बन जाएगा। पढ़ाई पूरी हुई तो वे यूके की एक शिपिंग कंपनी में इंजीनियर बन गए। यहां पर नौकरी की, लेकिन वह उन्हें रास नहीं आई और जल्द ही नौकरी छोड़ दी।

ये भी पढ़ें: DDU News: भारत स्काउट और गाइड उत्तर प्रदेश द्वारा डीडीयू को मिला जिला संस्था का दर्जा, वीसी ने दी बधाई

2 बार दिया आईआईएम एंट्रेंस, आए 100 पर्सेंटाइल-

रविंद्रन बायजू का मैथ्स बहुत ही अच्छा था। जब छुट्टियों में रविंद्रन भारत आए, तो उन्होंने अपने कुछ दोस्तों की आईआईएम के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में मदद की। इसी दौरान बायजू को लगा कि उन्हें भी आईआईएम एंट्रेंस देना चाहिए और फिर क्या था उन्होंने भी एंट्रेंस दिया और जब रिजल्ट आया तो पता चला कि उन्हें 100 पर्सेंटाइल मिले थे। उस समय रवींद्रन बायजू को लगा कि यह शायद कोई संयोग होगा। उन्होंने फिर से आईआईएम का एंट्रेंस टेस्ट दिया और फिर से उनका स्कोर 100 पर्सेंटाइल था। लेकिन उन्होंने आईआईएम में एडमिशन नहीं लिया। इसके बजाय उन्होंने कोचिंग क्लास शुरू करने का फैसला किया और उनका फैसला आज उन्हें उसी मुकाम तक पहुंचा दिया जहां उन्होंने शायद कभी कल्पना भी नहीं की थी।

हर हफ्ते 9 शहरों की यात्रा-

रवींद्रन ने कोचिंग शुरू की और उन्हें इसमें मजा आने लगा और उन्होंने इसके लिए नौकरी भी छोड़ दी। शुरुआत में बायजू छोटे कमरों में छोटे ग्रुप्स को कोचिंग देते थे। रवींद्रन का पढ़ाने का तरीका इतना बेजोड़ और मजेदार था कि स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती ही चली गई।

रवींद्रन की पत्नी और बायजूस की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'रवींद्रन हर हफ्ते 9 शहरों की यात्रा करते थे और स्टेडियम में स्टूडेंट्स को मैथ पढ़ाते थे।'

स्टेडियम में 25,000 स्टूडेंट्स को एक साथ पढ़ाते थे मैथ्स-

गोकुलनाथ ने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘हमने बायजूस की जर्नी एक किराये के कमरे और 40 स्टूडेंट्स के साथ शुरू की थी।‘ वे कहती हैं, ‘हमारा पढ़ाने का तरीका इतना यूनीक था कि स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती चली गई।‘ स्टूडेंट्स इतने आने लगे कि बायजूस को बड़े ऑडिटोरियम में शिफ्ट होना पड़ा। बायजूस ने स्टेडियम को किराए पर लिये। वे 6 स्क्रीन के बीच खड़े रहकर बच्चों को मैथ्स पढ़ाते थे। रवींद्रन ने दिल्ली के इंदिया गांधी इनडोर स्टेडियम में भी स्टूडेंट्स को पढ़ाया था। यहां 25,000 स्टूडेंट्स आए थे और इस तरह यह दुनिया का सबसे बड़ा क्लासरूम बन गया था।

रविंद्रन बायजू: Photo- Social Media

7 साल और बन गए अरबपति-

जब व्यस्तता ज्यादा बढ़ने लगी तो बायजू ने सोचा कि क्यों ना एक ही जगह रहकर सभी स्टूडेंट्स तक पहुंचा जाए। इसके बाद उन्होंने साल 2009 में सीएटी के ऑनलाइन वीडियो बेस्ड लर्निंग प्रोग्राम की शुरुआत की। इसके बाद 2011 में उन्होंने थिंक एंड लर्न नाम से एक स्टार्टअप लॉन्च किया, जो कि बायजूस की मूल कंपनी है और 2015 में उन्होंने बायजूस- द लर्निंग ऐप शुरू किया और यही ऐप स्टार्टअप के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। इसका असर यह था कि रवींद्रन केवल 7 साल में अरबपति बन गए थे और फिर यह सिलसिला लगातर चलता ही गया।]

ये भी पढ़ें: UGC Fellowship: रिसर्च स्कॉलर की बल्ले-बल्ले, यूजीसी ने बढ़ाई रिसर्च स्कॉलर की फेलोशिप

22 से घटकर 5.1 अरब डॉलर पर आ गई वैल्यूएशन

आज बायजूस देश की सबसे बड़ी एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी है। सितंबर 2023 तक बायजूस की वैल्यूएशन 5.1 अरब डॉलर थी। कंपनी का दावा है कि उसके पास 15 करोड़ रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स हैं। हालांकि, 2023 बायजूस के लिए अच्छा नहीं रहा। कंपनी की वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर से घटकर 5.1 अरब डॉलर पर आ गई। इस तरह वैल्यूएशन में करीब 75 फीसदी की गिरावट आई है। कंपनी अपने यूएस यूनिट को भी बेचने की तैयारी कर रही है।

यहां रविंद्रन बायजूस की मेहनत और लगन की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने कैसे अपना भाग्य तो बदला ही साथ ही लाखों स्टूडेंट्स की किस्मत को भी चमका दिया। वहीं उन्होंने हजारों लोगों को रोजगार भी दिए।



Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story