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CBSE 12th term 1 exam: समाजशास्त्र के प्रश्नपत्र में 'गुजरात दंगों' पर पूछा विवादित सवाल, बवाल के बाद CBSE ने कहा- करेंगे कार्रवाई
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा बुधवार से 12वीं बोर्ड के प्रमुख (मेजर) विषयों की परीक्षाएं शुरू हुईं। बोर्ड की ओर से पहले दिन 01 दिसंबर 2021 को समाजशास्त्र (Sociology) विषय की परीक्षा ली गई थी।
CBSE 12th term 1 exam : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education of india) (सीबीएसई) द्वारा बुधवार से 12वीं बोर्ड के प्रमुख (मेजर) विषयों की परीक्षाएं शुरू हुईं। बोर्ड की ओर से पहले दिन 01 दिसंबर 2021 को समाजशास्त्र (Sociology) विषय की परीक्षा ली गई थी। लेकिन, बवाल मचा परीक्षा के प्रश्नपत्र में एक सवाल पर। बाद में यह विवाद बढ़ता ही चला गया।
दरअसल, समाजशास्त्र के प्रश्न पत्र में एक सवाल 2002 में हुए गुजरात दंगे को लेकर पूछा गया था। समाजशास्त्र के प्रश्न पत्र में बहुविकल्पीय (Multiple choice) सवाल में यह पूछा गया था कि 'साल 2002 में अभूतपूर्व पैमाने पर मुस्लिम विरोधी हिंसा किस सरकार के शासन में हुई?' इस प्रश्न के उत्तर के लिए चार विकल्प दिए गए थे- कांग्रेस, बीजेपी, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन। बता दें, कि इस सवाल से जुड़ी जानकारी बाहर आने के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर गंभीर आपत्ति जताई। लोगों ने बोर्ड पर बच्चों के दिमाग में दो समुदायों के बीच जहर फैलाने तक का आरोप लगाया।
CBSE ने ट्वीट कर दी सफाई
शुरुआती बवाल के विवाद में बदलते ही सीबीएसई (CBSE) का भी स्पष्टीकरण सामने आया। सीबीएसई ने ट्वीट कर सफाई दी। जिसमें कहा, कि 'समाजशास्त्र विषय की परीक्षा के प्रश्न पत्र में एक अनुचित सवाल पूछा गया है। यह सवाल सीबीएसई के दिशानिर्देशों के अनुरूप बिलकुल नहीं है। ट्वीट में पल्ला झड़ते हुए CBSE ने कहा, बाहरी विशेषज्ञ ने प्रश्न बनाते समय बोर्ड के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। हालांकि, सीबीएसई के गलती स्वीकारते ही यह विवाद यहीं थम गया। CBSE की तरफ से इस घटना से संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
CBSE का स्पष्टीकरण
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा है, कि बोर्ड के दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रश्न पत्र को बनाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए, कि सवाल अकादमिक हिसाब से, वर्ग और समुदाय निष्पक्ष होना चाहिए। साथ ही, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि किसी भी सवाल से छात्रों के सामाजिक और राजनीतिक पक्ष को ठेस न पहुंचे।