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CCS University Meerut: इंटरनेशनल वैदिक मैथ वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने रखें अपने मत

CCS University Meerut:पाठ्यक्रम को रुचिकर बनाने के लिए वैदिक गणित को गणित के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 27 Aug 2022 6:15 PM IST
CCS University Meerut
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CCS University Meerut (Social Media)

CCSU Workshop: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के गणित विभाग में चल रही अन्तर्राष्ट्रीय वैदिक गणित कार्यशाला के चौथे दिन के पहले सत्र के मुख्य वक्ता राजेश ठाकुर रहें। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो.मुकेश शर्मा ने की। इन्होंने प्राचीन भारतीय गणित के इतिहास को चित्रण के माध्यम से समझाया। और कहा कि अभिनेताओं, खिलाड़ियों, कार्टून आदि के चित्र को आसानी से हम लोग पहचान लेते है।

लेकिन जब बात विषय की आती है तो हम केवल वहीं चीजें पहचान पाते हैं जो हमारे पाठ्यक्रम से संबंधित है। इसलिए पाठ्यक्रम को रुचिकर बनाने के लिए वैदिक गणित को गणित के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आचार्य पिंगल ने अपनी किताब छंद शास्त्र में कुछ गणक के बारे में बताया है।


जिनकी सहायता से गणित की अनेक घटनाओं को आसानी से हल किया जा सकता है। जैसे गायत्री मीटर का उपयोग करके किसी भी अंक की घात को बहुत ही सरल विधि से हल कर सकते है।

उन्होंने पाइथागोरस या बौधायन प्रमेय, चाइनीज रिमाइंडर प्रमेय, पास्कल त्रिभुज और अरेबिक अंको के उपयोग को वैदिक गणित के माध्यम से समझाया। इसी के साथ उन्होंने आर्यभट्ट त्रिकोणमितीय सारणी के बारे में सभी को विस्तार से समझाया। साथ ही आर्यभट्ट त्रिकोणमिति और आधुनिक त्रिकोणमिति में अंतर से भी सभी को अवगत कराया।

दूसरे सत्र के वक्ता केरल के cosmic maths foundation के अध्यक्ष पी.देवराज रहे। डीएन कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर वी.के.अग्रवाल ने इस सत्र की अध्यक्षता की। विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो.मृदुल गुप्ता और गणित विभागाध्यक्ष प्रो.शिवराज सिंह ने वी.के.अग्रवाल सर को धन्यवाद देते हुए प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में वैदिक गणित की उपयोगिता के बारे में विस्तार से चर्चा की। और वैदिक गणित के अनुप्रयोगों से भी सभी को अवगत कराया।

इसी क्रम में उन्होनें कहा कि वैदिक काल में सूत्र नामक कई रचनाएं थी जैसे धर्मसूत्र, शुल्ब सूत्र आदि जो विस्तृत दिशाओं में संकलन और विभिन्न अनुष्ठानों का प्रदर्शन करती थी। तीसरे सत्र की वक्ता डॉ प्राजक्ति गोखले रही। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ.भूपेंद्र सिंह ने की।

उन्होंने त्रिकोणमिति को प्राचीन भारतीय गणित और वैदिक गणित की सहायता से समझाया। जिसमें उन्होंने प्राचीन भारतीय गणित के एक महत्वपूर्ण सूत्र ब्रह्मगुप्त ज्या सूत्र के उपयोगों से सभी को अवगत कराया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.सोनिया गुप्ता ने किया। कार्यशाला मे रश्मि, दीप्ति, रिंकी, वैशाली, उम्मेफरवा,मोनिका,हर्षित,समरेश और अन्य लोग उपस्थित रहें।



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