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69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला

याचियों का तर्क है कि एक बार लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना विधि विरुद्ध है। वहीं सरकार की दलील है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।

Shivakant Shukla
Published on: 29 March 2019 10:57 AM GMT
69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला
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प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती परीक्षा के मामले में बड़ा फैसला दिया है।

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 के सम्बंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश निरस्त कर दिया है। उक्त शासनादेश के द्वारा जनरल व रिजर्व कैटेगरी के लिए क्रमशः 65 व 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया गया था।

हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा कि पिछले सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की भांति क्वालिफाइंग मार्क्स तय करते हुए रिजल्ट तीन महीने में घोषित करें। उल्लेखनीय है कि 2018 भर्ती परीक्षा में 40 से 45 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स था।

सरकार ने 1 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया प्रारम्भ की थी। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। बाद में 7 जनवरी को सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिए थे। सरकार के इसी निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

याचियों का तर्क है कि एक बार लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना विधि विरुद्ध है। वहीं सरकार की दलील है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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