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Earth: पृथ्वी पर बढ़ रही दिन की लंबाई, कारण से वैज्ञानिक जमात भी अनभिज्ञ

Earth: ऑस्ट्रेलिया स्थित तस्मानिया विश्वविद्यालय (University of Tasmania) ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है कि धरती पर दिन लंबे हो रहे हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 8 Aug 2022 2:16 PM GMT
The length of the day on the earth is increasing, due to which the scientific community is also ignorant
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पृथ्वी पर बढ़ रही दिन की लंबाई: Photo- Social Media

Earth: क्या आपने कभी महसूस किया कि दिन लंबे हो रहे हैं ? ऑस्ट्रेलिया (Australia) स्थित तस्मानिया विश्वविद्यालय (University of Tasmania) ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है कि धरती पर दिन लंबे हो रहे हैं (the days are getting longer)। वो ये दावा परमाणु घड़ियों और सटीक खगोलीय माप के आधार पर कर रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे की वजह क्या है, इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। इसका असर जीपीएस (GPS) जैसी तकनीकों पर पड़ रहा है, जो हमारे आधुनिक जीवन में नियंत्रित करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का अपनी धुरी के चारों ओर घूमना –जो निर्धारित करता है कि एक दिन कितना लंबा होता है तेज हो रहा है। यह चलन हमारे दिनों को छोटा बना रहा है। जून 2022 में हमने पिछली आधी सदी में सबसे छोटे दिन का रिकॉर्ड बनाया। मगर इस रिकॉर्ड के बावजूद साल 2020 के बाद से वह बढ़ी हुई रफ्तार धीरे-धीरे कम हो रही है और दिन फिर से लंबे हो रहे हैं। इसका कारण अब तक एक रहस्य है।

पहले एक दिन में होते थे 19 घंटे

लाखों सालों से पृथ्वी का घूर्णन धीमा (slow rotation of the earth) होता जा रहा है। इसकी वजह चंद्रमा द्वारा संचालित ज्वार- भाटे से जुड़े घर्षण प्रभाव हैं। यह प्रक्रिया हर सदी में प्रत्येक दिन की लंबाई में लगभग 2.3 मिलीसेकेंड जोड़ती है। कुछ अरब साल पहले एक पृथ्वी दिवस केवल 19 घंटे का होता था। बीते 20 हजार सालों से एक और प्रक्रिया विपरीत दिशा में काम कर रही है, जिससे पृथ्वी के घूमने की गति तेज हो गई है। जब अंतिम हिमयुग खत्म हुआ, तो ध्रुव्रीय बर्फ की चादरों के पिघलने से सतह का दवाब कम हो गया और पृथ्वी का मेंटल ध्रुओं की ओर तेजी से बढ़ने लगा।

पृथ्वी के धीमी होने की वजह ?

1960 के दशक से, जब ग्रह के चारों ओर रेडियो दूरबीनों के संचालकों ने क्वासर जैसी ब्रह्मांडीय वस्तुओं का एक साथ निरीक्षण करने के लिए तकनीक विकसित करना शुरू किया, तो हमारे पास पृथ्वी के घूमने की दर का बहुत सटीक अनुमान था। इन अनुमानों और परमाणु घड़ी की तुलना से पता चलता है कि दिन की लंबाई वर्षों से कम होती जा रही है।

Shashi kant gautam

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