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स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक में बोले धर्मेंद्र प्रधान, कहा शिक्षा विकसित भारत के लक्ष्य का स्तंभ

कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे जीईआर में सुधार करना और इसे 100 प्रतिशत तक ले जाना बेहद महत्वपूर्ण है।

Garima Shukla
Written By Garima Shukla
Published on: 9 July 2024 5:07 PM IST
स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक में बोले धर्मेंद्र प्रधान, कहा शिक्षा विकसित भारत के लक्ष्य का स्तंभ
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Education update: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पूरे भारत में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण का एक प्रमुख स्तंभ है और उन्होंने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह ह्वान किया।

चार वर्षों में, देश में शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र ने की प्रगति

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लगभग चार वर्षों में, देश में शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र ने जबरदस्त प्रगति की है और एनईपी का कार्यान्वयन भारत को ज्ञान महाशक्ति में बदलने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक न्यायसंगत और समावेशी पहुंच को सक्षम करने की कुंजी है।

भारतीय भाषाओ का शिक्षा में महत्व

भारतीय भाषाओं में शिक्षा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा और सभी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के महत्व पर आधारित है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक युवा देश है इसलिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना जो जड़ और भविष्य दोनों हो, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी बोले-एनईपी 2020 महत्वपूर्ण दस्तावेज

शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति दस्तावेज है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे जीईआर में सुधार करना और इसे 100% तक ले जाना बेहद महत्वपूर्ण है और आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े, आदिवासी समुदायों के छात्रों को औपचारिक शैक्षिक प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए।

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