यूजी/पीजी में अब रिक्त नहीं रहेंगी सीट्स, UGC ने दी CUET के बाद भी विश्वविद्यालयों को प्रवेश परीक्षा की परमिशन

UGC ने विश्वविद्यालयों को निजी स्तर पर एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन करने का प्रावधान जारी किया है इसके साथ ही क्वालीफाइंग एग्जाम में प्राप्त अंको के बेस पर भी दाखिला मिल सकता है।

Garima Shukla
Written By Garima Shukla
Published on: 2 Aug 2024 11:51 AM GMT
यूजी/पीजी में अब रिक्त नहीं रहेंगी सीट्स, UGC ने दी CUET के बाद भी विश्वविद्यालयों को प्रवेश परीक्षा की परमिशन
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UGC NEW POLICY: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ,UGC के द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालयों और इसके अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों में यू जी और पीजी प्रवेश को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स के लिए निर्देश जारी किए हैं। इस संदर्भ में UGC के निर्देशानुसार CUET स्कोर के आधार पर प्रवेश के बाद बची रह गई स्नातक और परास्नातक कार्यक्रम की सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय और संस्थान अतिरिक्त मानकों का प्रयोग कर सकते हैं, जिसमें संस्थान की निजी स्तर की प्रवेश परीक्षा का भी प्रावधान सुनिश्चित किया गया है।

CUET के बाद निजी स्तर पर ले सकते हैं प्रवेश परीक्षा

इस प्रक्रिया के अंतर्गत विश्वविद्यालय अपने निजी स्तर पर एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कर सकते हैं या विश्वविद्यालय के सम्बन्धित संस्थानों द्वारा स्क्रीनिंग एग्जाम का आयोजन किया जा सकता है। विश्वविद्यालय इस नियमानुसार स्टूडडेंट्स का प्रवेश योग्यता परीक्षा में प्राप्त किये गए अंको के आधार पर भी कर सकता हैI

सीयूईटी के अंक को माना जायेगा मुख्य आधार

UGC की तरफ से जारी SOPs के अनुसार सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में यूजी और पीजी में एडमिशन के लिए CUET के अंक को ही मुख्य आधार माना जायेगा। ऐसे में यदि CUET से शेष सीटों के लिए यदि किसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन भी किया जाता है तो अंतिम मेरिट लिस्ट नियोजित करने में CUET और एंट्रेंस एग्जाम के अंकों को मान्य ठहराया जाएगा।

स्टूडेंट्स एडमिशन लेने से रह जाते थे वंचित

UGC अध्यक्ष के निर्देशानुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में CUET के आधार पर UG/PG प्रवेश प्रक्रिया के लिए काउंसलिंग के 3-4 राउंड होने के बाद भी सीटें खाली रह जाती थी जिसकी सूचनाएं UGC विभाग को मिल रही थीं। आयोग ने इस पर विचार किया और निष्कर्ष निकाला किसी भी शैक्षणिक सत्र में रिक्त सीटें न सिर्फ संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाने बाली उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से कई स्टू डेंट्सवंचित रह जाते थे। इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए UGCद्वारा SOPs तैयार करने का कदम उठाया गया I

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