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करीब 100 साल बाद बढ़ेगी इलाहाबाद विवि की फीस, तो परिसर में तनाव भी बढ़ा सकता है फैसला

इस साल नये सत्र से अंडर ग्रेजुएट क्लासेस की ट्यूशन फीस 12 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 100 रुपये प्रतिमाह, पीजी क्लासेस की ट्यूशन फीस 15 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये प्रतिमाह और रिसर्च यानी शोध छात्रों की फीस 18 रुपये से 200 रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया है।

zafar
Published on: 18 May 2017 8:10 PM GMT
करीब 100 साल बाद बढ़ेगी इलाहाबाद विवि की फीस, तो परिसर में तनाव भी बढ़ा सकता है फैसला
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इलाहाबाद: पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय करीब सौ साल बाद फीस बढ़ाने वाला है। विश्वविद्यालय के खर्च को काबू करने के लिए एकेडेमिक काउंसिल ने इस सिलसिले में बड़ा फैसला लिया है।

यह विश्वविद्यालय देश में सबसे कम फीस लेने वाला विश्वविद्यालय है। आज़ादी के बाद अब पहली बार यहां ट्यूशन और डेवलपमेंट फीस में बढोतरी की जा रही है।

1923 के बाद बढ़ेगी फीस

बीसवीं सदी के शुरुआती दशक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूरब के ऑक्सफ़ोर्ड का दर्जा हासिल हुआ था। तब से अब तक ये विश्वविद्यालय अपने फीस स्ट्रक्चर की खूबी के लिए भी जाना जाता था, जो आम छात्र की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया था। 1923 के बाद विश्वविद्यालय ने एक बार 1986 में परीक्षा शुल्क 250 रुपए से बढ़ाकर 400 रुपये जरूर किया था, लेकिन सामान्य फीस को तब भी नहीं छुआ गया। किया गया था।

करीब 95 साल बाद विश्वविद्यालय की अकेडेमी ने अखिर सामान्य फीस बढ़ाने का भी फैसला कर लिया। एडमिशन कमेटी के चेयरमैन और अकेडेमिक काउंसिल के मेंबर प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण ने बताया कि इस साल नये सत्र से अंडर ग्रेजुएट क्लासेस की ट्यूशन फीस 12 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 100 रुपये प्रतिमाह, पीजी क्लासेस की ट्यूशन फीस 15 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये प्रतिमाह और रिसर्च यानी शोध छात्रों की फीस 18 रुपये से 200 रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया है।

सरकारी भार ने किया मजबूर

नई फीस लागू होने के बाद ग्रेजुएट क्लासेस की सालाना फीस 924 रुपये से बढ़कर 3 हज़ार रुपये लगभग, पोस्ट ग्रेजुएट क्लास की फीस 1424 से बढ़कर 3500 रुपये के करीब और रिसर्च कैटेगरी की सालाना फीस 24 सौ रुपये से 39 सौ रुपये हो जायेगी । इसके अलावा डेवलपमेंट चार्ज जिसमें मेडिकल, लाइब्रेरी और छात्रों का बीमा भी शामिल है..में भी मामूली वृद्धि की गई है ।

विश्विद्यालय के मुताबिक फीस वृद्धि का मुख्य कारण बीते एक दशक के दौरान विश्वविद्यालय के खर्च में बेतहाशा वृद्धि होने और एमएचआरडी और यूजीसी की वो नीति है जिसमें आने वाले सालों में विश्वविद्यालय को अपना 30 प्रतिशत खर्च खुद उठाना होगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन के मुताबिक विश्वविद्यालय का सालाना बिजली का बिल बीते कुछ सालों को 1 करोड़ से बढ़कर 6 करोड़ के करीब हो गया है इसके अलावा सरकार अब विश्वविद्यालय से हाउस टैक्स भी वसूल रही है जो सालाना 42 लाख रुपए है। ऐसे में, विश्वविद्यालय खुद अपनी न्यूनंतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाए इस लिहाज से ये कदम उठाया गया है।

टकराव की आशंका

देश मे स्थापित सबसे पुराने चार विश्वविद्यालयों में एक इस इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1923 के बाद पहली बार विश्वविद्यालय ट्यूशन फीस और डेवलपमेंट चार्ज बढ़ाने का निर्णय लिया गया है जो कई विवादों को भी जन्म दे सकता है। हॉस्टल वाश आउट मुद्दे पर पहले से विवि प्रशासन और छात्रों के बीच जारी गतिरोध और विरोध और बढ़ सकता है। लेकिन विवि प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय को अपने पांव पर खड़ा रखने के लिए, उसके पास अब कोई दूसरा रास्ता नही बचा है।

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